चीन की अकड़ मिटानी है तो ‘मेड इन चाइना’ टैग हटाना होगा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 6, 2023 10:04 AM2023-09-06T10:04:32+5:302023-09-06T10:09:48+5:30
चीन एक उभरती हुई महाशक्ति है तो भारत की सैन्य और राजनीतिक ताकत कम नहीं है, बढ़ ही रही है। पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के रिश्ते खराब हुए हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आएंगे। उनके स्थान पर चीन का प्रतिनिधित्व ली छियांग करेंगे। जाहिर है उन्होंने भारत के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की उम्मीद पर पानी फेरा है।
बाइडेन ने भी उनसे भारत आने की अपील की थी। हालांकि शी के न आने से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ा है। कहते हैं कि नई दिल्ली न आने के शी जिनपिंग के फैसले के पीछे बाइडेन का वियतनाम का दौरा भी हो सकता है। कूटनीतिज्ञों का मानना है कि शी जिनपिंग ने अपने देश का नया नक्शा जानबूझकर इस समय जारी करवाया है।
चीन के नए नक्शे में भारत सहित कई अन्य देशों की सीमाओं का भी उल्लंघन है। चीन की विस्तारवादी नीति को भारत गंभीरता से लेता है। बहरहाल, चीन एक उभरती हुई महाशक्ति है तो भारत की सैन्य और राजनीतिक ताकत कम नहीं है, बढ़ ही रही है। पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के रिश्ते खराब हुए हैं।
इसके अलावा अमेरिका और भारत की बढ़ती नजदीकी से चीन असहज महसूस कर रहा है। किसी अप्रत्याशित और अप्रिय स्थिति से बचने के लिए भारत को चीन पर निर्भरता कम करनी होगी, चीन से आयात में कटौती करनी होगी। इसमें दो राय नहीं कि चीन पर अपनी निर्भरता कम करना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है।
दरअसल भारत स्मार्टफोन, सेमीकंडक्टर और फार्मास्युटिकल्स सहित कई उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर है। भारत में घरेलू स्तर पर निर्मित कई सामानों के लिए कच्चे माल और घटक भी चीन से ही आते हैं। भारत को इन कच्चे माल के लिए वैकल्पिक स्रोत खोजना बहुत जरूरी है। भारत को अपनी तकनीक में भी सुधार करना होगा।
जानकार कहते हैं कि हमें एक प्रौद्योगिकी नीति की आवश्यकता है। जब तक हम अपने प्रौद्योगिकी विकास के मामले में, अपनी पूंजी जुटाने के मामले में अधिक सक्रियता से काम नहीं करते, हम किसी न किसी पर निर्भर ही रहेंगे। हमें महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना खर्च बढ़ाने और चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी तकनीक विकसित करनी होगी।
हमें अनुसंधान और विकास करने के लिए शिक्षा को उच्च प्राथमिकता देनी होगी। अच्छी बात है कि केंद्र सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और चीन पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए मेक इन इंडिया और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना जैसे कई उपक्रम शुरू किए हैं। इनका असर दिखाई देने में थोड़ा समय तो लगेगा।