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विवेक शुक्ला का ब्लॉग: चुनाव प्रचार में डीपफेक के इस्तेमाल पर कैसे लगे लगाम?

By विवेक शुक्ला | Updated: May 3, 2024 10:56 IST

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप तो पहले भी होते रहे हैं, लेकिन अब इसमें अपने विरोधियों के खिलाफ ‘डीपफेक’ प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है, जो चिंताजनक है.

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ठळक मुद्देदेश के गृह मंत्री अमित शाह ही डीपफेक का शिकार हो गए हैं.मित शाह ने पिछले माह 25 अप्रैल को तेलंगाना के मेडक जिले के सिद्दीपेट में भाजपा की चुनावी रैली में भाषण दिया था. अमित शाह के एक पुराने वीडियो को एडिट किया गया है, जिसमें वे मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात कह रहे थे.

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप तो पहले भी होते रहे हैं, लेकिन अब इसमें अपने विरोधियों के खिलाफ ‘डीपफेक’ प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है, जो चिंताजनक है. ताजा मामले में देश के गृह मंत्री अमित शाह ही डीपफेक का शिकार हो गए हैं. अमित शाह ने पिछले माह 25 अप्रैल को तेलंगाना के मेडक जिले के सिद्दीपेट में भाजपा की चुनावी रैली में भाषण दिया था. 

इस भाषण के वीडियो को कथित तौर पर छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. इस फर्जी वीडियो में गृह मंत्री अमित शाह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को खत्म करने की घोषणा करते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल अमित शाह के एक पुराने वीडियो को एडिट किया गया है, जिसमें वे मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात कह रहे थे. 

इस वीडियो में मुस्लिम की जगह एससी और एसटी को जोड़ दिया गया. डीपफेक तकनीक के माध्यम से छेड़छाड़ कर बनाए गए वीडियो में असली और नकली का अंतर बता पाना मुश्किल होता है. गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस उन शरारती तत्वों पर एक्शन ले रही है जो इस मामले में लिप्त हैं. अहमदाबाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. 

इससे पहले असम पुलिस ने भी इसको लेकर एक शख्स को गिरफ्तार किया था. दरअसल अमित शाह के खिलाफ डीपफेक केस की शिकायत भाजपा की मुंबई इकाई के पदाधिकारी प्रतीक करपे ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) साइबर थाने में दर्ज कराई है. अगर डीफफेक जैसी तकनीक से अपने विरोधियों को बदनाम करने वालों पर कठोर एक्शन नहीं लिया गया तो फिर हालात काबू से बाहर होने लगेंगे.

पिछले कुछ दशकों में दुनिया में तकनीकी विकास तेजी से हुआ है. डिजिटल प्लेटफॉर्म के बढ़ते उपयोग ने जीवन को सरल और तेज बना दिया है, लेकिन यह लाभ के साथ साइबर सुरक्षा से जुड़े कुछ गंभीर जोखिम भी सामने ला रहा है. साइबर स्पेस की सीमाहीन प्रकृति के साथ इससे जुड़े खतरे और साइबर अपराधियों के छलपूर्ण तरीके एवं उपकरण के कारण साइबर हमलों की प्रवृत्ति लगातार बदल रही है. 

इसके अलावा, आतंकवाद और कट्टरता को भी साइबर स्पेस में पनाह मिल रही है. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “साइबर सुरक्षा अब डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बन गया है.” साइबर स्पेस युद्ध का नया क्षेत्र बन गया है. फिलहाल सरकार को डीपफेक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों पर कठोर एक्शन लेना होगा.

टॅग्स :लोकसभा चुनाव 2024अमित शाह
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