यह एक राहत भरी खबर है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने रविवार को देश के दक्षिणी छोर निकोबार द्वीप पर दस्तक दे दी है 31 मई तक यह केरल पहुंच जाएगा और 11 जून तक इसके महाराष्ट्र में पहुंचने का अनुमान है। भारतमौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने रविवार को बताया कि ‘दक्षिण-पश्चिम मानसून रविवार को मालदीव के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र और दक्षिण बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में पहुंच गया है।’
इसका मतलब है कि इस साल फसल अच्छी होने की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि जून-जुलाई में अच्छी बारिश होने की बात कही जा रही है। इन दिनों हालांकि देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है, अधिकांश जलाशयों में बहुत कम पानी बचा है और भीषण गर्मी बिजली ग्रिड पर भी दबाव डाल रही है, लेकिन मानसून के आगमन की खबर ने उम्मीद बंधाई है कि यह विकराल गर्मी और जल किल्लत अब ज्यादा दिनों तक नहीं झेलनी पड़ेगी।
लेकिन मानसून के आगमन की खबर ने जहां राहत दी है, वहीं इसके लिए अभी से तैयारियों में भी जुट जाने की जरूरत है। मानसून की पहली बारिश के साथ ही आमतौर पर देखा जाता है कि खासकर शहरी इलाकों में व्यवस्था चरमरा जाती है। नाले-नालियां चोक हो जाते हैं और निचले इलाकों में पानी भर जाता है।
बारिश के साथ ही आंधी आना या हवा तेज बहना आम बात होती है जिससे बिजली के तारों पर पेड़ों की डालियां गिरने से बिजली गुल होने की समस्या से भी नागरिकों को दो-चार होना पड़ता है। इसलिए मानसून के राज्य में पहुंचने से पहले ही शासन-प्रशासन को इससे संबंधित तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए, ताकि ऐन वक्त पर सामने आने वाली मुश्किलों से बचा जा सके।
इसमें नाली-नालों और जलबहाव वाले क्षेत्रों की सफाई कराना, विद्युत तारों के आसपास के पेड़ों की डालियों की छंटाई आदि शामिल है। इधर-उधर फैला रहने वाला कचरा बारिश के दौरान कीचड़ में बदल कर बीमारियां फैलाने का कारण बनता है, इसलिए बरसात आने के पहले ही साफ-सफाई पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
अगर समुचित व्यवस्थाएं पहले ही कर ली जाएं तो बारिश का मौसम खुशियों का मौसम बन जाता है, वरना इतनी समस्याएं सामने आती हैं कि यह आफत बनकर रह जाता है।