जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते प्रवासी भारतीय
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: December 27, 2021 10:39 AM2021-12-27T10:39:12+5:302021-12-27T10:47:56+5:30
दुनिया के करीब 210 देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय भारत की महान पूंजी हैं. साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं।
ब्लॉग: हाल ही में विश्व बैंक के द्वारा जारी ‘माइग्रेशन एंड डेवलमपेंट ब्रीफ’ रिपोर्ट 2021 के मुताबिक विदेश में कमाई करके अपने देश में धन (रेमिटेंस) भेजने के मामले में इस वर्ष 2021 में भारतीय प्रवासी दुनिया में सबसे आगे रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में प्रवासी भारतीयों ने 87 अरब डॉलर की धनराशि स्वदेश भेजी. यह धनराशि पिछले वर्ष की तुलना में 4.6 फीसदी अधिक है. इसमें सबसे अधिक 20 फीसदी धनराशि अमेरिका से प्रवासी भारतीयों के द्वारा भेजी गई है.
वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के प्रवासियों के द्वारा 2021 में कुल 589 अरब डॉलर की राशि अपने-अपने देशों में भेजी गई है, जबकि 2020 में उनके द्वारा भेजी गई धनराशि 540 अरब डॉलर थी. प्रवासियों से धन प्राप्त करने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की सूची में भारत वर्ष 2008 से अब तक पहले क्रम का देश बना हुआ है. प्रवासियों से धन प्राप्त करने में भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्त्न हैं.
जहां पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की ऋणात्मक विकास दर की स्थिति में पहुंच गई थी, वहीं दुनिया के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आने के कारण भारतीय प्रवासियों की आमदनी में बड़ी कमी आई थी. फिर भी आर्थिक मुश्किलों के बीच भारतीय प्रवासियों के द्वारा पिछले वर्ष भेजी गई 83 अरब डॉलर की बड़ी धनराशि से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला था. अब इस वर्ष 2021 में प्रवासियों के द्वारा भेजी गई 87 अरब डॉलर की धनराशि अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के मद्देनजर अहम रही है.
यह उल्लेखनीय है कि प्रवासी भारतीयों के साथ भारत के संबंधों को फिर से ऊर्जाशील बनाने में पूर्व प्रधानमंत्नी अटल बिहारी वाजपेयी ने अहम भूमिका निभाई है. उन्हीं के प्रयासों से 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस समारोह शुरू हुआ और इससे प्रवासी भारतीय भारत के लगातार निकट आते गए हैं. प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश धन भेजने से जिस तरह बड़ी मात्ना में विदेशी मुद्रा भारत आती है, वह राशि सालाना प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की राशि से भी अधिक होती है.
यह एक ऐसा बड़ा कारण भी है जिससे कोरोनाकाल में भारत का विदेशी मुद्राकोष लगातार बढ़ते हुए दिखाई दिया है. रिजर्व बैंक के द्वारा 10 दिसंबर 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा कोष 637 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है.
दुनिया के करीब 210 देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय भारत की महान पूंजी हैं. साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं. दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों की सफलताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. यदि हम चाहते हैं कि प्रवासी भारतीय भारत को मजबूत बनाने में अपनी सहभागिता और अधिक बढ़ाएं, तो हमें भी प्रवासियों के दु:ख-दर्द में अधिक सहभागी बनना पड़ेगा. उनके साथ सांस्कृतिक सहयोग और स्नेह बढ़ाना होगा.
उल्लेखनीय है कि जिस तरह से पिछले वर्ष 2020 में कोविड-19 की चुनौतियों से परेशान प्रवासियों की घर वापसी के लिए सरकार ने वंदे भारत मिशन चलाया और 45 लाख प्रवासी भारतीयों को भारत वापस लाया गया, उससे प्रवासी भारतीयों के मन में भारत के लिए और अधिक आत्मीयता बढ़ी है. लेकिन अभी भी हमें प्रवासियों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के निराकरण में अहम भूमिका निभानी होगी. वस्तुत: दुनिया के सारे प्रवासी भारतीय बहुत धनी नहीं हैं.
अधिकांश देशों में इनकी आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है. खासतौर से विभिन्न खाड़ी देशों में लाखों कुशल-अकुशल भारतीय श्रमिक इस बात से त्नस्त हैं कि वहां पर उन्हें न्यूनतम वेतन और जीवन के लिए जरूरी उपयुक्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. जहां भारत के द्वारा विभिन्न विकसित और विकासशील देशों में प्रवासियों की वीजा संबंधी मुश्किलों को कम करने में भी मदद करनी होगी, वहीं विदेशों में रोजगार की प्रक्रि याओं को सरल व पारदर्शी बनाने पर जोर दिया जाना होगा ताकि भारतीय कामगारों को बेईमान बिचौलियों और शोषक रोजगारदाताओं से बचाया जा सके.
हम उम्मीद करें कि जिस तरह प्रवासी भारतीयों ने इस वर्ष 2021 में 87 अरब डॉलर भारत भेजकर भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है, उसी तरह भविष्य में भी प्रवासी भारतीय भारत के लिए आर्थिक सहयोग के साथ-साथ विविध जरूरतों के लिए और स्नेहिल सहभागी बने रहेंगे.