नशे के खिलाफ हिमाचल प्रदेश ने दिखाई नई राह

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 12, 2025 07:49 IST2025-06-12T07:49:00+5:302025-06-12T07:49:02+5:30

पिछले साल अक्तूबर में दिल्ली के महिपालपुर में दिल्ली पुलिस ने एक गोदाम से 562 किलोग्राम कोकीन और थाईलैंड से आया 40 किलोग्राम मारिजुआना (गांजा) बरामद किया था.

Himachal Pradesh showed a new path against drug addiction | नशे के खिलाफ हिमाचल प्रदेश ने दिखाई नई राह

नशे के खिलाफ हिमाचल प्रदेश ने दिखाई नई राह

भारत के कई राज्यों के युवा नशे की लत के शिकार होते चले जा रहे हैं. किसी समय पंजाब ड्रग्स का केंद्र माना जाता था लेकिन अब यह समस्या पूरे देश में फैल चुकी है. तो यह सवाल बिल्कुल सहज है कि इस समस्या से निपटें कैसे? तमाम तरह की कोशिशें हो रही हैं और इन्हीं में से एक बिल्कुल नई कोशिश हिमाचल प्रदेश में प्रारंभ हुई है. वहां हर थाने के माध्यम से ऐसे किट वितरित किए जा रहे हैं जिस किट पर मूूत्र की एक बूंद यदि डाली जाए तो पता चल जाएगा कि उस व्यक्ति ने किस तरह के ड्रग्स का इस्तेमाल किया है.

निश्चय ही जिन घरोें के युवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं, उन युवाओं के बारे में परिवार को यह किट सतर्क करेगी. दरअसल न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि हर पहाड़ी राज्य में व्यापक पैमाने पर नशे का नेटवर्क बन चुका है. वैसे ड्रग्स तस्करों के असली शिकार तो वहां तफरीह के लिए पहुंचने वाले पर्यटक होते हैं लेकिन इस चक्कर में स्थानीय युवाओं का नेटवर्क तैयार किया जाता है जो खुद इसका शिकार हो जाते हैं.

इसका दुष्परिणाम यह होता है कि जिन युवाओं को अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ना था वे किसी काम के नहीं रह जाते हैं. निजी तौर पर युवक और उसके परिवार को तो नुकसान होता ही है, समाज भी पीछे चला जाता है. इसका असर राष्ट्र पर भी होता है क्योंकि युवा ही तो देश के आधार स्तंभ हैं! नशे के कुछ सौदागर भले ही पैसा कमाने के लिए ड्रग्स के कारोबार को बढ़ाते हैंं लेकिन बहुत बड़ी सच्चाई यह भी है कि भारत में ड्रग्स के कारोबार के दो प्रमुख सहयोगी हैं, एक पाकिस्तान और दूसरा चीन.

अभी जो मणिपुर भीषण जातीय संघर्ष से गुजर रहा है, वहां कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर ड्रग्स के खेप भी कहां से बरामद हो रहे हैं? यह सत्य किसी से छिपा नहीं है कि म्यांमार के रास्ते ड्रग्स भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पहुंचाया जा रहा है. वहां से यह ड्रग्स पूरे भारत में पहुंचता है. दूसरी तरफ पाकिस्तानी तस्कर बड़ी मात्रा में ड्रग्स पंजाब के रास्ते और कश्मीर के रास्ते भारत भेज रहे हैं.

आप कुछ आंकड़ों पर गौर करेंगे तो दंग रह जाएंगे. पिछले साल राज्यसभा में यह जानकारी दी गर्ई थी कि 2020 से 2023 के बीच जिन पांच राज्यों में सबसे ज्यादा ड्रग्स जब्त हुए उनमें करीब 2 लाख 93 हजार किलो ड्रग्स तमिलनाडु में जब्त किया गया. उसके बाद राजस्थान, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, ओडिशा और मध्यप्रदेश का नंबर था. आंकड़े बताते हैं कि 2004 से 2014 के बीच 5900 करोड़ रुपए मूल्य के ड्रग्स जब्त हुए जो अगले दस साल (2014-2024 में बढ़ कर 22 हजार करोड़ हो गया.

ये तो वो आंकड़े हैं जो ड्रग्स जब्त हुए. सवाल यह है कि ड्रग्स नेटवर्क का कितना ड्रग्स पकड़ा गया और कितना युवाओं के शरीर में चला गया? अभी तो यही पता नहीं है कि भारत में ड्रग्स का खतरनाक कारोबार आखिर कितनी राशि का है? बीच-बीच में कुछ बड़ी खेप पकड़ी जाती है लेकिन यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है कि देश में हालात क्या हैं? पिछले साल अक्तूबर में दिल्ली के महिपालपुर में दिल्ली पुलिस ने एक गोदाम से 562 किलोग्राम कोकीन और थाईलैंड से आया 40 किलोग्राम मारिजुआना (गांजा) बरामद किया था.

पुलिस ने ड्रग तस्करों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. उसी दौरान एक नेता का नाम भी सामने आया था. यह कहना जल्दबाजी होगी कि राजनीति के लोग भी नशे के कारोबार में शामिल हैं लेकिन ऐसे मामलों में जब किसी नेता का नाम आता है तो यह शंका तो होती है कि नशे के कारोबारियों को राजनीति की ताकत मिलती होगी अन्यथा हजारों करोड़ रुपए के ड्रग्स दिल्ली जैसी जगह में कैसे पहुंच जाते? कहीं न कहीं पुलिस से भी चूक हुई होगी या कुछ लोग मिले होंगे!

कारण जो भी हो लेकिन मौजूदा वक्त की सच्चाई यही है कि भारत नशे के कारोबारियों का शिकार होता जा रहा है. कुछ चलन ऐसा हो गया है कि युवाओं का बड़ा वर्ग कुछ वक्त के लिए मदहोशी में डूब जाने को बावला हो रहा है. सिगरेट और शराब से शुरू हुआ सफर कब ड्रग्स तक पहुंच जाता है, पता ही नहीं चलता. जब पता चलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है! इस समस्या से लड़ने के लिए समाज को भी सरकार के साथ आना होगा. हिमाचल प्रदेश जैसा नायाब अभियान पूरे देश में शुरू होना चाहिए.

Web Title: Himachal Pradesh showed a new path against drug addiction

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