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हरीश गुप्ता का ब्लॉग: कोविड वैक्सीन की दिसंबर तक 216 करोड़ खुराक केवल खुशनुमा तस्वीर! आखिर क्या है रहस्य

By हरीश गुप्ता | Updated: May 20, 2021 13:36 IST

ये बताया गया है कि भारत के पास दिसंबर तक कोरोना वैक्सीन की 216 करोड़ डोज उपलब्ध होगी. क्या वाकई ऐसा संभव है. मौजूदा आंकड़े कुछ और इशारा करते हैं.

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जब नेता दावा करते हैं तो लोग ध्यान नहीं देते लेकिन जब वैक्सीन पर प्रधानमंत्री टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. वी. के. पॉल जैसे विशेषज्ञ कुछ कहते हैं तो लोग गौर से सुनते हैं. जब उन्होंने 13 मई को कहा कि जुलाई-दिसंबर के बीच वैक्सीन की 216 करोड़ खुराक उपलब्ध होगी तो देश खुशी से झूम उठा. डॉ. पॉल ने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए कंपनी-वार मासिक आपूर्ति का विवरण भी दिया और बताया कि कोई दिक्कत नहीं होगी. 

उन्होंने दावा किया कि सीरम वर्तमान के 6.5 करोड़ के बजाय जुलाई से हर महीने 10 करोड़ डोज प्रदान करेगा. लेकिन सीरम ने 7.5 करोड़ खुराक ही प्रति माह बढ़ाने और 31 दिसंबर तक 50 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, न कि 75 करोड़ खुराक देने की. सीरम यूरोप में विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. 

डॉ. पॉल ने यह भी दावा किया कि भारत बायोटेक लिमिटेड (बीबीएल) दिसंबर तक 55 करोड़ खुराक देगी. लेकिन बीबीएल के दिसंबर तक 25 करोड़ खुराक का उत्पादन और आपूर्ति करने की ही जानकारी है, न कि 55 करोड़. यह भी अन्य वैक्सीन निमार्ताओं की मदद से संभव होगा. 

रूसियों ने डॉ रेड्डीज और अन्य निर्माताओं के साथ स्पुतनिक वी के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. फिर भी यह किसी भी हालत में 31 दिसंबर तक 15.60 करोड़ खुराक की आपूर्ति नहीं कर सकती है, जैसा कि डॉ. पॉल ने दावा किया था. यहां तक कि जायडस कैडिला भी 5 करोड़ से अधिक खुराक की आपूर्ति नहीं कर सकती है, जबकि डॉ. पॉल को 10 करोड़ की आपूर्ति की उम्मीद है.

भारत में 20 अन्य प्रमुख वैक्सीन निर्माता हैं जिन्होंने 70 वर्षों में अपनी क्षमता का निर्माण किया है न कि एक दिन में. उनमें से ज्यादातर बीबीएल जैसे शोध में निवेश नहीं करते हैं. यहां तक कि सबसे बड़ा बॉटलर सीरम भी प्रमुख शोध कार्यों में शामिल नहीं है. 

उनमें से अधिकांश रैबीज, पोलियो, इन्फ्लुएंजा, एच1एन1, टाइफाइड, बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, डिप्थीरिया, टीटी, खसरा व रूबेला, ओरल कॉलरा, एंटी-वेनम आदि के लिए प्रतिवर्ष लाखों खुराक का उत्पादन करते हैं. ये भारतीयों के साथ-साथ वैश्विक बाजारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए भी होता है. ये समान रूप से आवश्यक हैं और केवल कोविड वैक्सीन के लिए इनका उत्पादन अचानक नहीं रोका जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि 216 करोड़ की खुराक केवल खुशनुमा तस्वीर पेश कर रही है.

भाजपा को रिवर्स दलबदल की चिंता

पश्चिम बंगाल में पूरा भाजपा नेतृत्व सुपर हाइपर मोड में क्यों चला गया है? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निजी सलाहकार मंडल के एक अंदरूनी सूत्र ने खुलासा किया कि पश्चिम बंगाल में भारी हार के बाद बड़े पैमाने पर ‘रिवर्स डिफेक्शन’ की संभावना के बारे में नेतृत्व बेहद चिंतित है. 

भाजपा को अपनी करनी का फल भुगतना पड़ सकता है. उसने मौजूदा सांसदों, विधायकों और एमएलसी को अपनी पार्टियों और सीटों को छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए ‘दलबदल की गोली’ दी थी, कि भाजपा उन्हें वापस लाएगी. किंतु ममता बनर्जी की प्रचंड जीत ने एक डर पैदा कर दिया है. हालांकि ममता को किसी विधायक की जरूरत नहीं है, लेकिन भाजपा जानती है कि उसके 75 विधायकों में से अधिकांश प्रलोभन में आ सकते हैं. 

उनमें से लगभग 50 मूल रूप से कांग्रेस, टीएमसी या कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित हैं. केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा जिस तरह से भाजपा के सभी 75 विधायकों को सुरक्षा दी गई, वह एक असाधारण स्थिति का संकेत है. दो मंत्रियों सहित ममता बनर्जी के चार प्रमुख लोगों की गिरफ्तारी भाजपा के इसी हमले का हिस्सा है. लेकिन राज्य में टीएमसी की अराजकता और हिंसा के कारण बर्खास्तगी की धमकी के बावजूद ममता बनर्जी पीछे नहीं हट रही हैं.

प्रियंका ने आखिर समझौता कराया

प्रियंका गांधी वाड्रा के कड़े प्रयासों की बदौलत आखिरकार कांग्रेस आलाकमान और 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह के बीच एक तरह का समझौता हो गया है. पता चला है कि इन नेताओं द्वारा पिछले साल राहुल गांधी की कार्यशैली के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने के बाद बहन प्रियंका ने मामले में हस्तक्षेप किया था. 

उन्होंने गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, जितिन प्रसाद, मुकुल वासनिक आदि के साथ कई बैठकें करने के अलावा कई अन्य लोगों के साथ टेलीफोन पर बातचीत भी की. अहमद पटेल के नहीं होने और जी-23 नेताओं की महासचिव के. सी. वेणुगोपाल के प्रति नापसंदगी के कारण समाधान निकालने का काम प्रियंका के ऊपर आ गया. 

उन्होंने एक अच्छा काम किया और राहुल गांधी पूरी प्रक्रिया से अलग रहे. गुलाम नबी आजाद को रिलीफ कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया, जबकि वेणुगोपाल उन्हें सदस्य के रूप में रिपोर्ट करेंगे. जी-23 के अन्य नेताओं को भी कोई न कोई जिम्मेदारी दी गई है. फिलहाल समझौता हो गया है.

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