विचार: शिक्षा बाजार का हिस्सा, पूंजी के शातिर खिलाड़ियों ने शिक्षा के बाजार में अपनी बोलियां लगानी शुरू...

By प्रो. संजय द्विवेदी | Published: September 5, 2021 02:13 PM2021-09-05T14:13:54+5:302021-09-05T14:13:54+5:30

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षकों से कुछ विशिष्ट अपेक्षाएं की हैं और उनके निरंतर प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण पर भी जोर दिया है.

Happy Teachers Day 2021 Education market share values ​​along skills is very important | विचार: शिक्षा बाजार का हिस्सा, पूंजी के शातिर खिलाड़ियों ने शिक्षा के बाजार में अपनी बोलियां लगानी शुरू...

कम से कम चार तरह का भारत तैयार हो रहा था.(फाइल फोटो)

Highlightsअब शिक्षा बाजार का हिस्सा है, जबकि भारतीय परंपरा में वह गुरु के अधीन थी.पूंजी के शातिर खिलाड़ियों ने जब से शिक्षा के बाजार में अपनी बोलियां लगानी शुरू कीं, हालात बदलने शुरू हो गए.शिक्षा के हर स्तर के बाजार भारत में सजने लगे थे.

जब हर रिश्ते को बाजार की नजर लग गई है, तब गुरु-शिष्य के रिश्तों पर इसका असर न हो ऐसा कैसे हो सकता है? नए जमाने के नए मूल्यों ने हर रिश्ते पर बनावट, नकलीपन और स्वार्थों की एक ऐसी चादर डाल दी है, जिसमें असली सूरत नजर ही नहीं आती.

अब शिक्षा बाजार का हिस्सा है, जबकि भारतीय परंपरा में वह गुरु के अधीन थी, समाज के अधीन थी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षकों से कुछ विशिष्ट अपेक्षाएं की हैं और उनके निरंतर प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण पर भी जोर दिया है. ऐसे समय में जब भारत अनेक क्षेत्रों में प्रगति की ओर अग्रसर है, हमारे अध्यापकों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है क्योंकि उनके जिम्मे ही श्रेष्ठ, संवेदनशील और देश भक्त युवा पीढ़ी के निर्माण का दायित्व है. पूंजी के शातिर खिलाड़ियों ने जब से शिक्षा के बाजार में अपनी बोलियां लगानी शुरू कीं, हालात बदलने शुरू हो गए.

शिक्षा के हर स्तर के बाजार भारत में सजने लगे थे. इसमें कम से कम चार तरह का भारत तैयार हो रहा था. आम छात्र के लिए बेहद साधारण सरकारी स्कूल थे जिनमें पढ़कर वह चौथे दर्जे के काम की योग्यताएं गढ़ सकता था. फिर उससे ऊपर के कुछ निजी स्कूल थे जिनमें वह बाबू बनने की क्षमताएं पा सकता था. फिर अंग्रेजी माध्यमों के मिशनों, शिशु मंदिरों और मझोले व्यापारियों की शिक्षा थी, जो आपको उच्च मध्य वर्ग के करीब ले जा सकती थी. और सबसे ऊपर एक ऐसी शिक्षा थी जिनमें पढ़ने वालों को शासक वर्ग में होने का गुमान, पढ़ते समय ही हो जाता है.

ऐसे कठिन समय में शिक्षक समुदाय की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है. क्योंकि वह ही अपने विद्यार्थियों में मूल्य व संस्कृति प्रवाहित करता है. आज नई पीढ़ी में जो भ्रमित जानकारी या कच्चापन दिखता है, उसका कारण शिक्षक ही हैं. क्योंकि अपने सीमित ज्ञान, कमजोर समझ और पक्षपातपूर्ण विचारों के कारण वे बच्चों में सही समझ विकसित नहीं कर पाते.

शहरों में पढ़ रही नई पीढ़ी की समझ और सूचना का संसार बहुत व्यापक है. उसके पास ज्ञान और सूचना के अनेक साधन हैं जिसने परंपरागत शिक्षकों और उनके शिक्षण के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. नई पीढ़ी बहुत जल्दी और ज्यादा पाने की होड़ में है. उसके सामने एक अध्यापक की भूमिका बहुत सीमित हो गई है. नए जमाने ने श्रद्धाभाव भी कम किया है.

उसके अनेक नकारात्मक प्रसंग हमें दिखाई और सुनाई देते हैं. गुरू-शिष्य रिश्तों में मर्यादाएं टूट रही हैं, वर्जनाएं टूट रही हैं, अनुशासन भी भंग होता दिखता है. स्किल के साथ मूल्यों की शिक्षा बहुत जरूरी है. किसी कॉर्पोरेट के लिए रोबोट तैयार करने के बजाय अगर हम उन्हें मनुष्यता, ईमानदारी और प्रामणिकता की शिक्षा दे पाएं और स्वयं भी खुद को एक रोल मॉडल के प्रस्तुत कर पाएं तो यह बड़ी बात होगी.

Web Title: Happy Teachers Day 2021 Education market share values ​​along skills is very important

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