कोरोना काल में चिकित्सक हैं सम्मान के बड़े हकदार, योगेश कुमार गोयल का ब्लॉग
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 1, 2021 02:42 PM2021-07-01T14:42:08+5:302021-07-01T14:43:33+5:30
देश में कोरोना संक्रमितों की इतनी बड़ी संख्या में से 2.93 करोड़ से भी ज्यादा को ठीक करने में भी सफलता मिली है और इस सफलता का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे हैं हमारे चिकित्सक.
पूरी दुनिया डेढ़ साल से भी ज्यादा समय से कोरोना महामारी से जूझ रही है. इस दौरान विश्व की 18 करोड़ से भी ज्यादा आबादी कोरोना संक्रमित हो चुकी है और करीब 40 लाख लोग जान गंवा चुके हैं.
भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के 3 करोड़ से भी ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से करीब 4 लाख की मौत हो चुकी है. तस्वीर का दूसरा पहलू देखें तो देश में कोरोना संक्रमितों की इतनी बड़ी संख्या में से 2.93 करोड़ से भी ज्यादा को ठीक करने में भी सफलता मिली है और इस सफलता का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे हैं हमारे चिकित्सक.
जिस प्रकार दुनियाभर में आज चिकित्सक अपनी जान की परवाह किए बिना करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा कर रहे हैं, ऐसे में वे वाकई सम्मान के सबसे बड़े हकदार हैं. महामारी के इस दौर में देश में ड्यूटी के दौरान 700 से भी ज्यादा चिकित्सकों की मौत हो चुकी है.
समाज के प्रति चिकित्सकों के समर्पण एवं प्रतिबद्धता के लिए कृतज्ञता और आभार व्यक्त करने तथा मेडिकल छात्नों को प्रेरित करने के लिए ही प्रतिवर्ष देश में एक जुलाई को ‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ मनाया जाता है. चिकित्सक दिवस मनाने का मूल उद्देश्य चिकित्सकों की बहुमूल्य सेवा, भूमिका और महत्व के संबंध में आम जन को जागरूक करना, चिकित्सकों का सम्मान करना और साथ ही चिकित्सकों को भी उनके पेशे के प्रति जागरूक करना है.
दरअसल कुछ चिकित्सक ऐसे भी देखे जाते हैं, जो अपने इस सम्मानित पेशे के प्रति ईमानदार नहीं होते लेकिन ऐसे चिकित्सकों की कमी नहीं, जिनमें अपने पेशे के प्रति समर्पण की कोई कमी नहीं होती. बिना चिकित्सा व्यवस्था के इंसान की जिंदगी कैसी होती, इसकी कल्पना मात्न से ही रोम-रोम सिहर जाता है. यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चिकित्सकों का महत्व सदा से रहा है.
चिकित्सक दिवस की स्थापना भारत में वर्ष 1991 में हुई थी. पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्नी और जाने-माने चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में चिकित्सकों की उपलब्धियों तथा चिकित्सा क्षेत्न में नए आयाम हासिल करने वाले डॉक्टरों के सम्मान के लिए इसका आयोजन होता है.
बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं को आम जनता की पहुंच के भीतर लाने के लिए वे जीवन र्पयत प्रयासरत रहे. संयोगवश डॉ. रॉय का जन्म और मृत्यु एक जुलाई को ही हुई थी. उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को पटना में हुआ था और मृत्यु 1 जुलाई 1962 को हृदयाघात से कोलकाता में हुई.