Ghazipur Village: यह केवल एक गांव की सोच का मसला नहीं है?, महिलाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 27, 2025 05:54 IST2025-12-27T05:54:48+5:302025-12-27T05:54:48+5:30

Ghazipur Village: सोशल मीडिया पर कोई रोक-टोक नहीं है इसलिए ऐसे रील्स अमूमन घटिया किस्म के होते हैं और कई बार तो यौन संदर्भ इतना व्यापक होता है कि उसे आप शाब्दिक पॉर्न भी कह सकते हैं.

Ghazipur Village not just matter one village's thinking Women should not have smartphones Jalore district of Rajasthan | Ghazipur Village: यह केवल एक गांव की सोच का मसला नहीं है?, महिलाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए

सांकेतिक फोटो

Highlightsबच्चों को स्मार्टफोन के दुष्परिणाम से बचाया जा सके लेकिन समाज ने उनकी बात को ठीक से नहीं समझा.प्रतिबंध समाप्त हो जाने के बाद भी यह सवाल जिंदा है कि क्या प्रतिबंध का आसान शिकार महिलाएं हैं?पुरुषों के पास भी स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए! केवल महिलाओं के ही स्मार्टफोन रखने पर प्रतिबंध क्यों?

Ghazipur Village:राजस्थान के जालौर जिले के गाजीपुर गांव की एक घटना की मीडिया में उतनी चर्चा नहीं हुई जितनी कि होनी चाहिए थी. गाजीपुर में गांव के बुजुर्गों ने फैसला किया कि महिलाओं के पास स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए. पंचायत ने इस पर मुहर भी लगा दी. स्वाभाविक तौर पर गांव में ही इस प्रतिबंध का विरोध शुरू हुआ और अंतत: बुजुर्गों को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. बुजुर्गों का कहना था कि उन्होंने ये निर्णय इसलिए लिया था ताकि बच्चों को स्मार्टफोन के दुष्परिणाम से बचाया जा सके लेकिन समाज ने उनकी बात को ठीक से नहीं समझा.

लेकिन बुजुर्गों की यह बात समझ से परे है. उनकी बात को सच भी मान लें तो स्वाभाविक सा सवाल पैदा होता कि यदि बच्चों को स्मार्टफोन से बचाना है तो फिर घर के पुरुषों के पास भी स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए! केवल महिलाओं के ही स्मार्टफोन रखने पर प्रतिबंध क्यों? प्रतिबंध समाप्त हो जाने के बाद भी यह सवाल जिंदा है कि क्या प्रतिबंध का आसान शिकार महिलाएं हैं?

लगता तो ऐसा ही है. ग्रामीण भारत में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां महिलाओं को वह सामाजिक आजादी हासिल नहीं है जिसकी हकदार उन्हें नैसर्गिक रूप से होना चाहिए. यहां तक कि पारिवारिक निर्णयों में भी उनकी भागीदारी कम ही रहती है. इसका कारण पितृसत्तात्मक सोच है. बहुत हुआ तो कभी-कभार उनकी राय जान ली जाती है लेकिन अंतिम फैसला पुरुष ही करता है.

हालांकि वक्त बदल रहा है लेकिन कई बार बदलाव का तरीका थोड़ा अजीब होता है. मसलन, आप सोशल मीडिया पर ऐसे रील्स की आंधी देख सकते हैं जो ग्रामीण भारत से उपज रहे हैं. चूंकि सोशल मीडिया पर कोई रोक-टोक नहीं है इसलिए ऐसे रील्स अमूमन घटिया किस्म के होते हैं और कई बार तो यौन संदर्भ इतना व्यापक होता है कि उसे आप शाब्दिक पॉर्न भी कह सकते हैं.

इन रील्स में जननांगों का जिक्र इतने भयावह रूप से होता है कि हम सामान्य जीवन में इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. ऐसे में बुजुर्गों का नाराज होना स्वाभाविक है. संभव है कि देश दुनिया की स्थिति को देखते हुए गाजीपुर के बुजुर्गों को भी लगा हो कि यह बीमारी हमारे यहां भी न पहुंच पाए. इसीलिए उन्होंने स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाया हो ताकि वीडियो बन ही न सके.

मगर इन सारी आशंकाओं के बावजूद यह कहने में हर्ज नहीं है कि महिलाओं के स्मार्टफोन उपयोग पर प्रतिबंध की बात करना नाजायज है. दरअसल गांवों के युवाओं को साथ लेकर इस तरह की सामाजिक स्थिति तैयार करने की जरूरत है कि वहां निम्नस्तरीय रील्स तैयार ही न हो सके. यदि हमारे गांवों ने इस पर फतह हासिल कर ली तो हम निश्चय ही एक बड़े संकट से निकल पाएंगे. 

Web Title: Ghazipur Village not just matter one village's thinking Women should not have smartphones Jalore district of Rajasthan

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे