गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: सामरिक संबंधों को मजबूत करने की अमेरिकी पहल

By गौरीशंकर राजहंस | Published: March 26, 2021 03:52 PM2021-03-26T15:52:52+5:302021-03-26T15:52:52+5:30

चीन के खिलाफ अमेरिका किसी नरमी के मूड में नहीं है। साथ ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये भी साफ किया है कि वे भारत के साथ रिश्तों को और मजबूत करना चाहते हैं।

Gaurishankar Rajhans Blog: US Initiative to Strengthen Strategic Relation | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: सामरिक संबंधों को मजबूत करने की अमेरिकी पहल

भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्ते (फाइल फोटो)

जैसे ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन सत्ता में आए, उन्होंने प्रयास किया कि भारत के साथ अमेरिका के सामरिक संबंध मजबूत किए जाएं. इसके लिए उन्होंने शीघ्रातिशीघ्र अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन को भारत के नेताओं से बात करने के लिए दिल्ली भेजा. 

ऑस्टिन ने कुछ दिनों पहले ही भारत आकर सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भेंट की और उन्हें विश्वास दिलाया कि ट्रम्प प्रशासन के समय में सामरिक मामलों में अमेरिका के भारत से जो रिश्ते थे, वे और भी अधिक मजबूत होंगे. 

प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से विस्तृत चर्चा के बाद उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बात की और सभी की यही राय थी कि अमेरिका को पुराने पूर्वाग्रहों को छोड़कर भारत के साथ रक्षा के मामलों में शिखर वार्ता करनी चाहिए.

चीन से मिलकर मुकाबला करने की अमेरिकी पहल

अमेरिका के नए रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर जाकर इन देशों को आगाह किया कि इस क्षेत्र में चीन सभी का दुश्मन है. राजनीति में एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है’. इसलिए अमेरिका के रक्षा मंत्री ने भारत सहित क्वाड के सभी सदस्यों को आगाह किया कि चीन इस क्षेत्र में सभी का दुश्मन है और यह दुश्मन बहुत ही ताकतवर है. अत: मिल जुलकर चीन का मुकाबला करना चाहिए.

प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बात करने के बाद अमेरिका के रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस क्षेत्र की समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की और सभी का मत था कि इससे पहले कि देर हो जाए, चीन के तेजी से बढ़ते हुए रुख को मोड़ देना चाहिए. 

चीन को इस कदर पंगु बना देना चाहिए जिससे कि चीन इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमला कर इन देशों की जमीन को नहीं हड़प सके.

अमेरिका के रक्षा मंत्री ने साफ-साफ कहा कि नए राष्ट्रपति हर हालत में रक्षा के मामले में भारत का साथ देंगे और सुरक्षा के मामले में भारत जिस तरह की भी मदद चाहेगा उसमें अमेरिका कभी भी पीछे नहीं हटेगा.

चीन को लेकर अमेरिका नरमी नहीं चाहता

अमेरिका के रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने दो-टूक कहा कि चीन के आक्रामक रवैये को कम करके नहीं आंका जा सकता है. चीन का रवैया हमेशा धोखेबाजी का रहा है. वह किसी-न- किसी बहाने पड़ोसियों की जमीन हड़पना चाहता है. उसके इस प्रयास का मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए और यह तभी संभव है जब इस क्षेत्र के सारे देश एक होकर चीन का मुकाबला करें.

ऑस्टिन के भारत दौरे से भारत की गुटनिरपेक्ष नीति में बदलाव आया है. बहुत दिनों से यह मांग हो रही थी कि भारत गुट निरपेक्ष नीति को त्यागकर नाटो का सदस्य बन जाए और चीन जैसे भयानक देश का डटकर मुकाबला करे. परंतु किसी कारणवश इस नीति का देश में समर्थन नहीं हो सका और देश हाल तक गुटनिरपेक्ष नीति पर ही चलता रहा.

भारत ने जी-जान से कोशिश की कि चीन के साथ उसके रिश्ते मधुर हों. परंतु चीन सदा से एक धूर्त देश रहा है. उसका हमेशा यही प्रयास रहा है कि किसी तरह घुसपैठ कर पड़ोसियों की जमीन हथिया ली जाए जिसमें उसे किसी हद तक सफलता भी मिली. परंतु अब जब भारत की जनता जाग गई है और वह चीन की धूर्तता को अच्छी तरह समझ गई है, ऐसे में भारत के लिए अमेरिका का साथ लेना बहुत ही लाभकारी होगा.  

आने वाले समय में अमेरिका  और भारत के संबंध और मजबूत होंगे. यह भी उम्मीद की जा सकती है कि भारतीय मूल के जो लोग अमेरिका में रह रहे हैं उन्हें जो बाइडेन हर तरह की सुविधा प्रदान करेंगे. 

कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि भारत और अमेरिका के संबंध, खासकर सामरिक संबंध अत्यंत ही मधुर होंगे. यदि भारत चीन के खतरों से निश्चिंत हो जाए तो अपनी सारी ताकत देश के विकास में लगा सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले समय में भारत और अमेरिका के संबंध अत्यंत ही मधुर होंगे.

Web Title: Gaurishankar Rajhans Blog: US Initiative to Strengthen Strategic Relation

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