पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: कहीं गुम ही न हो जाए गंगा सागर

By पंकज चतुर्वेदी | Published: October 19, 2023 10:20 AM2023-10-19T10:20:27+5:302023-10-19T10:21:54+5:30

Ganga Sagar may never get lost | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: कहीं गुम ही न हो जाए गंगा सागर

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsकोलकाता से कोई 100 किमी दूर स्थित पानी की बूंद की आकृति का गंगा सागर, सुंदरवन द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है.यह बात सरकारी रिकाॅर्ड में दर्ज है कि गंगा सागर द्वीप का क्षेत्रफल सन्‌ 1969 में 255 वर्ग किमी था.सन्‌ 2022 में इसकी माप 224.30 वर्ग किमी मापी गई.

भारत देश की जीवन रेखा, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान गंगा नदी अपने समूचे कोई 2500 किलोमीटर से अधिक के प्रवाह क्षेत्र में तो प्रदूषण से आहत थी ही, इसके बंगाल की खाड़ी में समुद्र के समागम स्थल पर भी अब अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है. 

यह किसी से छिपा नहीं है कि जलवायु परिवर्तन की सबसे तगड़ी मार हिंद महासागर के बंगाल की खाड़ी क्षेत्र पर पड़ रही है और इसी के चलते यहां उस द्वीप के गुम होने की संभावना बढ़ गई है जिसे गंगा सागर कहते हैं. कोलकाता से कोई 100 किमी दूर स्थित पानी की बूंद की आकृति का गंगा सागर, सुंदरवन द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है.

यह बात सरकारी रिकाॅर्ड में दर्ज है कि गंगा सागर द्वीप का क्षेत्रफल सन्‌ 1969 में 255 वर्ग किमी था. दस साल बाद यह 246.79 वर्ग किमी हो गया. सन्‌ 2009 में यह और घट कर 242.98 रह गया. इसके अगले दस साल बाद यह और तेजी से कम हुआ और 230. 98 वर्ग किमी हो गया. सन्‌ 2022 में इसकी माप 224.30 वर्ग किमी मापी गई. इस तरह बीते 52 वर्षों में यहां 31 वर्ग किमी धरती समुद्र में समा चुकी है.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाले चेन्नई स्थित नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में समुद्र सीमा 534.45 किमी है और इसमें से 60.5 फीसदी अर्थात 323.07 किमी हिस्से में समुद्र ने गहरे कटाव दर्ज किए हैं. इन्हीं कटाव के चलते समूचे सुंदरबन पर स्थित कोई 102 द्वीप खतरे में हैं. 

घोरमारा द्वीप पर जब कटाव बढ़ा तो आबादी गंगा सागर की तरफ पलायन करने लगी. गोसाबा द्वीप पर रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर को शिकार की कमी हुई और वह जब गांवों में घुस कर नरभक्षी बन रहे हैं तो इससे भी भाग रहे लोगों का आसरा सागर द्वीप ही है. उधर गंगा सागर द्वीप धार्मिक अनुष्ठान के कारण सरकार और समाज सभी की निगाह में है. 

सो लोगों को लगता है कि यहां बसने से जिंदगी तो बचेगी. हालांकि इस द्वीप पर भी कटाव का प्रकोप अब बढ़ता जा रहा है. बानगी के तौर पर कपिल मुनि का मंदिर ही लें. यहां तीन मंदिर पहले ही पानी में समा चुके हैं. सन्‌ 1437 में स्वामी रामानंद द्वारा स्थापित कपिल मुनि मंदिर दशकों पहले समुद्र में समा गया था. फिर सत्तर के दशक में समुद्र से 20 किलोमीटर दूर दूसरा मंदिर बनाया गया, वह भी जमीन के कटाव के साथ जल-समाधि ले चुका है. 

वहां की प्रतिमा को एक नए मंदिर में स्थापित किया गया. समुद्र तट से इस मंदिर का फासला अब महज 300-350 मीटर रह गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वहां हर साल समुद्र का पानी 100-200 फुट के क्षेत्र को अपने आगोश में लेता जा रहा है.

Web Title: Ganga Sagar may never get lost

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