जावेद आलम ब्लॉग: सामाजिक समरसता का त्योहार ईद-उल-अजहा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 29, 2023 12:34 PM2023-06-29T12:34:17+5:302023-06-29T12:36:32+5:30

आज ईद अल अजहा यानी बकरीद है जिसे भारत समेत देश के अन्य देशों में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मना रहे हैं।

Eid-ul-Azha a festival of social harmony | जावेद आलम ब्लॉग: सामाजिक समरसता का त्योहार ईद-उल-अजहा

फाइल फोटो

Highlightsइस साल भी ईद-उल-अजहा का पर्व पूरे संसार में धूमधाम से मनाया जा रहा हैईद अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ईद-उल-अजहा पर पशु की खरीदो-फरोख्त का मुख्य कारोबार होता है

हर साल की तरह इस साल भी ईद-उल-अजहा का पर्व पूरे संसार में अक़ीदत से मनाया जा रहा है. दुनिया भर के मुसलमान इस दिन विशेष नमाज अदा करते हैं तथा सुन्नत-ए-इब्राहीमी भी अदा करते हैं.

ईद की नमाज को सलातुल्ईद व सलातुल्ईदैन (दो ईद की नमाज) भी कहते हैं. दोनों ईदों यानी ईदुल्फित्र व ईद-उल-अजहा को ईदैन कहा जाता है और दोनों की नमाज एक ही तरीके से अदा की जाती है. ईदैन का धार्मिक महत्व तो है ही, इसके सामाजिक व आर्थिक पहलू भी बहुत महत्वपूर्ण हैं.

दोनों ईद अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ईदुल्फित्र पर जहां जम कर खाद्य पदार्थों, कपड़ों व जूतों की खरीदारी की जाती है, वहीं ईद-उल-अजहा पर पशु की खरीदो-फरोख्त का मुख्य कारोबार होता है.

ईदें, यानी खुशी के यह त्योहार धार्मिक व आर्थिक समृद्धि देने के साथ सामाजिक समरसता व समानता का पैगाम भी देते हैं. जहां ईदुल्फित्र पर फ़ित्रा यानी सहायता राशि गरीबों, कमजोरों को देने का हुक्म है, वहीं ईद-उल-अजहा पर एक हिस्सा गरीबों तक पहुंचाने का आदेश दिया गया है.

जैसा कि मजहबी किताबों में आया है ईद-उल-अजहा दरअसल अल्लाह के नबी (संदेशवाहक) पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व उनके बेटे तथा अल्लाह के नबी ह. इस्माईल (अ.) द्वारा पेश किए गए बेमिसाल बलिदान की यादगार है.

क़ुर्आन में आया है- बस तुम अपने रब ही के लिए नमाज़ पढ़ो और क़ुर्बानी करो (सूरः अल्कौसर 02). हदीस की किताबों से पैग़ंबरे-इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.) द्वारा इस पर अमल किए जाने के प्रमाण मिलते हैं.

इस्लामी तालीमात के मुताबिक़ एक मुसलमान ईद-उल-अजहा के समय यह संकल्प व्यक्त करता है कि वह जीवन के हर क्षेत्र में उस सर्वशक्तिमान, सर्वव्याप्त रब द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करेगा तथा समय पड़ने पर किसी भी तरह के त्याग, बलिदान से मुंह नहीं मोड़ेगा.

गोया यह पूरी कवायद महज अल्लाह को राजी करने, उसकी खुशी हासिल करने के लिए है. यही इस ईद का सच्चा संदेश व उसका उद्देश्य भी है.

Web Title: Eid-ul-Azha a festival of social harmony

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