गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: केंद्रीय बजट में शिक्षा को संरक्षण मिले

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: July 23, 2024 09:40 IST2024-07-23T09:39:13+5:302024-07-23T09:40:05+5:30

आज ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विश्व में अग्रणी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. इसके विपरीत भारत में शिक्षा अनेक विसंगतियों से जूझती आ रही है. शिक्षा के क्षेत्र में ढलान के लक्षण लाभकारी नहीं हैं.

Education should get protection in the Union Budget | गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: केंद्रीय बजट में शिक्षा को संरक्षण मिले

गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: केंद्रीय बजट में शिक्षा को संरक्षण मिले

Highlightsशिक्षा की बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय भूमिका से शायद ही किसी की असहमति हो.यह मानवनिर्मित सबसे प्रभावी और प्राचीनतम हस्तक्षेप है जो जीवन और जगत को बदलता चला आ रहा है. समाज के अस्तित्व, संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षा जैसा कोई सुनियोजित उपाय नहीं है.

शिक्षा की बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय भूमिका से शायद ही किसी की असहमति हो. यह मानवनिर्मित सबसे प्रभावी और प्राचीनतम हस्तक्षेप है जो जीवन और जगत को बदलता चला आ रहा है. समाज के अस्तित्व, संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षा जैसा कोई सुनियोजित उपाय नहीं है. इसीलिए  हर देश में शिक्षा में निवेश वहां की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य मद हुआ करता है. 

आज ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विश्व में अग्रणी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. इसके विपरीत भारत में शिक्षा अनेक विसंगतियों से जूझती आ रही है. शिक्षा के क्षेत्र में ढलान के लक्षण लाभकारी नहीं हैं. अंग्रेजी राज में भारतीय मूल के ज्ञान का हाशियाकरण तेजी से शुरू हुआ तथा ज्ञान और संस्कृति के अप्रतिम प्रतिमान के रूप में अंग्रेजियत छाती चली गई. 

परिणाम यह हुआ कि भारतीय शिक्षा के समग्र, समावेशी और स्वायत्त स्वरूप विकसित करने की बात धरी  रह गई. हम उसके अंशों में थोड़ा-बहुत हेरफेर लाकर काम चलाते रहे. स्वतंत्र भारत में अपनाई गई शिक्षा  की नीतियां, योजनाएं और उनका कार्यान्वयन प्रायः पुरानी लीक पर ही अग्रसर हुआ. स्वतंत्र होने के बाद भी पश्चिमी मॉडल के जाल से आज भी हम उबर नहीं पाए हैं.

बजट में शिक्षा के लिए  प्रावधान बढ़ाने की जरूरत है. अनेक वर्षों से शिक्षा पर देश के बजट में छह प्रतिशत खर्च करने की बात कही जा रही है परंतु वास्तविक व्यय तीन प्रतिशत भी बमुश्किल हो पाता है.  हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के महत्वाकांक्षी प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए वित्त की आवश्यकता को स्वीकार करना होगा. 

फरवरी-मार्च 2024 में प्रकाशित आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि शिक्षा के लिए आवंटित राशि में लगभग 8 प्रतिशत  की वृद्धि हुई है. फिर भी, यह राशि शिक्षा के लिए अपेक्षित निवेश सीमा 6 प्रतिशत  से कम है. ऐसा  लगता है कि  प्राथमिकता के आधार पर अलग-अलग मदों में घट-बढ़ कर सरकार वित्तीय नियोजन का उपाय कर रही है. 

एक तरफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बजट को कम किया गया है तो दूसरी तरफ केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अधिक राशि आवंटित की गई है. ऐसे ही उन संस्थाओं को जिन्हें सरकार प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा देती है, उनके बजट में भी वृद्धि की है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में विद्यालयी शिक्षा के बजट में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई. यह राशि समग्र शिक्षा अभियान को गति प्रदान करने का कार्य करेगी. 

इसी तरह पीएम श्री योजना को भी प्रभावी बनाना होगा. सरकार को उच्च शिक्षा में बेहतर और समावेशी अवसर पैदा करने के लिए नए क्षेत्रों में संभावनाओं को तलाशना होगा. 

यदि विद्यालय स्तर के लिए बढ़ाया गया बजट अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है तो निकट भविष्य में उच्च शिक्षा पर निवेश बढ़ाना अपरिहार्य हो जाएगा. सरकार को यह भी संज्ञान में लेना होगा कि यदि शिक्षा रूपी लोकवस्तु पर राज्य निवेश नहीं बढ़ाएगा तो इसका लाभ बाजार की ताकतें उठाएंगी.

Web Title: Education should get protection in the Union Budget

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