डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: ड्रग्स के चलते पटरी से उतर गई सुशांत की मौत की जांच?

By डॉ एसएस मंठा | Published: September 29, 2020 03:09 PM2020-09-29T15:09:58+5:302020-09-29T15:10:12+5:30

क्या गांजा बीज और पत्ते भांग के रूप में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं? क्या हम ‘कुंभ’ में साधुओं को बहुतायत से चिलम फूंकते हुए नहीं देखते हैं? इन विकृतियों की परिधि में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की क्या भूमिका है?

Dr. S.S. Mantha's blog: Investigation into Sushant's death due to drugs derailed? | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: ड्रग्स के चलते पटरी से उतर गई सुशांत की मौत की जांच?

सुशांत सिंह राजपूत (फाइल फोटो)

सुशांत सिंह राजपूत और उनकी दुर्भाग्यपूर्ण मौत के लिए न्याय के साथ शुरू की गई जांच ड्रग्स के अप्रत्याशित मामले तक पहुंच गई है और प्रत्येक बीतते दिन के साथ इसमें अनैतिक व्यवहार उजागर हो रहे हैं.

मीडिया चैनलों में यही मामला सुर्खियों में छाया हुआ है. इसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन सुशांत की मौत की भी होनी चाहिए. फिर भी, क्या हम वास्तव में परवाह करते हैं? क्या हमें आम आदमी की समस्याओं को भुला देना चाहिए जो महामारी के चलते अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और अनिश्चितताओं भरा जीवन जी रहे हैं?

अव्यावहारिक आलोचक तो बहस करते ही रहेंगे, लेकिन चैनलों को तय करना चाहिए कि उन्हें ड्रग्स पर चर्चा करानी है या नौकरियां जाने और महामारी पर.

क्या हमने कभी महसूस किया है कि सड़न कितने गहरे तक फैल गई है? हम व्यावहारिक रूप से कोई भी दवा खरीद सकते हैं, यहां तक कि उन दवाओं को भी, जिनके लिए शहर या गांव कहीं पर भी मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता होती है. कई फार्मेसियों में बिना प्रिस्क्रिप्शन के हृदय रोगों, अवसाद, दर्द और संक्रमण दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री होती है.

वाट्सएप्प पर दिखाई गई पर्ची के सहारे आमतौर पर दवाएं उपलब्ध करा दी जाती हैं. कितनी फार्मेसियां ईमानदारी से कह सकती हैं कि वे दवाओं को बेचने से पहले डॉक्टर के पर्चे को सत्यापित करती हैं?

यहां तक कि कुछ फार्मेसियों में तो डॉक्टर के मुफ्त परामर्श की व्यवस्था भी की जाती है ताकि वे उनके द्वारा लिखी दवाइयों को बेच सकें. कुछ तो शेड्यूल एच दवाओं के लिए भी बिल प्रदान करते हैं जो सख्त वर्जित हैं.

क्या गांजा बीज और पत्ते भांग के रूप में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं? क्या हम ‘कुंभ’ में साधुओं को बहुतायत से चिलम फूंकते हुए नहीं देखते हैं? इन विकृतियों की परिधि में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की क्या भूमिका है? इस मामले में पीसीआई की क्या भूमिका है?

वर्तमान मादक द्रव्यों के सेवन की हलचल को इसी परिदृश्य में देखा जाना चाहिए. कोकीन और अन्य मादक पदार्थो के मामले में वातावरण, औषधि विज्ञान और उपयोगकर्ता के बीच एक जटिल संबंध होता है. विभिन्न औषधीय प्रभाव वाली कई दवाओं के मेल का उपयोग तेजी से देखा जा रहा है.

मॉर्फिन, हेरोइन, अफीम और कोकीन का संयोजन, वैलियम, जेनैक्स और मेथाडोन जैसे ट्रैंक्विलाइजर घातक हो सकते हैं. उत्तेजक और मतिभ्रम पैदा करने वाले पदार्थ, जो सुख का आभास देते हैं और चेतना को बदलते हैं, वे सदियों से मौजूद हैं. कोकीन और मारिजुआना आज सबसे अधिक दुरुपयोग होने वाली दवाओं में से हैं.

एमडीएमए, एलएसडी, पीसीपी या जीएचबी जैसी सिंथेटिक दवाओं का उत्पादन प्रयोगशालाओं में किया जाता है. चूंकि ये सभी प्रतिबंधित हैं, इसलिए वे अवैध बाजारों में अपना रास्ता तलाशते हैं. माफिया सिर्फ ड्रग्स में ही नहीं, बल्कि हर जगह फलना-फूलना तय है. निश्चित रूप से कोई भी 500 बिलियन डॉलर के अवैध विश्व ड्रग मार्केट को हाथ से जाने नहीं देगा.

मनोरंजन उद्योग में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं का दुरुपयोग दुर्भाग्यपूर्ण है. क्या वे इसके आदी हैं? दुर्भाग्य से, ड्रग्स और शराब कई कलाकारों की रचनात्मकता की क्रूर चालक शक्ति है. हमारे व्यवसाय यह निर्धारित करते हैं कि हम अपना समय और ऊर्जा किस काम में लगाते हैं. संतुष्टि, तृप्ति और पहचान की भावना के अलावा, हमारी नौकरियां हमें तनाव देती हैं.

एनआरयू कॉलेज ऑफ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के नशीली दवाओं के उपयोग और अनुसंधान केंद्र द्वारा एक अध्ययन में कहा गया है कि निर्माणकार्य में लगे श्रमिकों के अन्य व्यवसायों के श्रमिकों की तुलना में ड्रग्स का प्रयोग करने की अधिक संभावना होती है.

ड्रग और अल्कोहल का दुरुपयोग खाद्य सेवा और आवास उद्योग में भी देखा जाता है. लत पेशेवर सीमाओं सहित सभी सामाजिक और आर्थिक बाधाओं के पार चली जाती है. किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह व्यवसाय, स्वास्थ्य, कानून और वित्त की दुनिया के भी 15 से 20 प्रतिशत पेशेवर, तनाव, भय और चिंता में जीते हैं, जो कि मादक द्रव्यों के सेवन का एक मुख्य कारण है.

क्या हमने खेलों में डोपिंग की बात नहीं सुनी है? यहां तक कि बड़ी-बड़ी स्पर्धाओं में भी एथलीट अच्छे प्रदर्शन के लिए शक्तिवर्धक दवाओं (पीईडी) का उपयोग करते हैं, पूरी तरह से यह जानते हुए भी कि वे निषिद्ध हैं और उनका करियर दांव पर लग सकता है. 

सवाल यह है कि ये ड्रग्स आते कहां से हैं? हम भांग का उत्पादन करने वाले दसवें सबसे बड़े देश हैं. उपलब्धता की कमी से अवैध बिक्री बढ़ जाती है. कानून प्रवर्तन ने अवैध दवाओं और स्टेरॉयड उद्योग को ब्लैक मार्केट में धकेल दिया है.

प्रभावी निगरानी से इन्हें नियंत्रित तो किया जा सकता है लेकिन कभी खत्म नहीं किया जा सकता. व्यापक स्तर पर, सरकार को एक ऐसी दवा नियंत्रण नीति बनानी होगी, प्रतिबंध की ऐसी व्यवस्था जिसमें ड्रग्स केवल चिकित्सा की जरूरतों के लिए ही उपलब्ध हों और ऐसा कड़ा नियंत्रण जिसमें वयस्कों को चिकित्सा से इतर इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हों.

Web Title: Dr. S.S. Mantha's blog: Investigation into Sushant's death due to drugs derailed?

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