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डॉ. एस. एस. मंठा का ब्लॉग: डिजिटल कौशल में पारंगत होने के लिए कितने तैयार हैं हम?

By डॉ एसएस मंठा | Updated: February 16, 2020 11:05 IST

हम अपने जीवन में आने वाले बदलावों का पहले से शायद ही अनुमान लगा पाते हैं और जब ये अचानक हमारे सामने आ जाते हैं तो हमारा मौजूदा कौशल पुराना पड़ जाता है तथा नया कौशल सीखना पड़ता है. इन नए कौशलों में साफ्टवेयर डेवलपमेंट, रोबोटिक्स प्रोसेस आटोमेशन, बिग डेटा एनालिटिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नालॉजी सिक्योरिटी शामिल है. इन परिवर्तनों को आत्मात करने के लिए समय चाहिए. क्या हम इन परिवर्तनों के लिए तैयार हैं?

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कई बार हम में से कई लोगों को अपने करियर के ऐन मध्य में विकल्पों का चुनाव करना पड़ता है. चाहे हम अध्यापन कर रहे हों या किसी आईटी कंपनी अथवा निर्माण उद्योग में काम कर रहे हों. कारण यह है कि ये सारे क्षेत्र डिजिटल हो रहे हैं. डिजिटलीकरण एक आधुनिक जिन्न है और एक बार बोतल से बाहर निकलने के बाद यह जो दिशा तय करेगा, उसका सभी को अनुसरण करना होगा.

हम अपने जीवन में आने वाले बदलावों का पहले से शायद ही अनुमान लगा पाते हैं और जब ये अचानक हमारे सामने आ जाते हैं तो हमारा मौजूदा कौशल पुराना पड़ जाता है तथा नया कौशल सीखना पड़ता है. इन नए कौशलों में साफ्टवेयर डेवलपमेंट, रोबोटिक्स प्रोसेस आटोमेशन, बिग डेटा एनालिटिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नालॉजी सिक्योरिटी शामिल है. इन परिवर्तनों को आत्मात करने के लिए समय चाहिए. क्या हम इन परिवर्तनों के लिए तैयार हैं?

मैककिन्से ग्लोबल इंस्टीटय़ूट ने मई 2018 में अपने एक शोधपत्र में कहा था कि पिछले 15 वर्षो में हमारे कार्यबलों ने जो कौशल अर्जित किया है, आटोमेशन से उसे गति मिलेगी. शोधपत्र में आगे कहा गया है कि वर्ष 2030 तक तकनीकी कौशल में 55 प्रतिशत वृद्धि होगी. इसकी मांग बुनियादी डिजिटल कौशल और प्रोग्रामिंग जैसे उन्नत तकनीकी कौशल, दोनों क्षेत्रों में होगी. यही नहीं बल्कि नेतृत्व और प्रबंधन विषयक कौशल की मांग में भी 24 प्रतिशत की वृद्धि होगी. सभी क्षेत्रों और व्यवसायों पर यह बात लागू होती है.

हर कोई इस बारे में सोच रहा है कि उसके काम पर तकनीकी प्रगति का क्या प्रभाव पड़ेगा. जिन लोगों को चिंता है कि तकनीकी विकास भविष्य में उन्हें निर्थक बना सकता है और उन्हें प्रासंगिक बने रहने के लिए नया कौशल सीखना जरूरी है, उनकी मदद की जानी चाहिए. इसके लिए कौशल उन्नयन कार्यक्रम लागू करना आवश्यक है.

हमारे देश में बेरोजगारी की दर अक्तूबर 2019 में 8.5 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो पिछले तीन वर्षो में सर्वाधिक है. जबकि दुनिया में यह दर दो से ढाई प्रतिशत के बीच ही है. बेरोजगारी, चाहे वह आवश्यक कौशल के अभाव में हो या रोजगार के समुचित अवसर नहीं होने की वजह से, गंभीर चिंता का विषय है, जिसका नतीजा अर्थव्यवस्था में गिरावट के रूप में सामने आता है.

उद्योगों को आधुनिक कौशल में पारंगत युवा मिल सकें, इसके लिए शैक्षणिक संस्थाओं को आगे आने की आवश्यकता है. यह सच है कि करियर के बीच में किसी भी बदलाव को आत्मसात कर पाना आसान नहीं होता, लेकिन यह भी सच है कि नया कौशल सीखने वालों के लिए ही आगे बढ़ने के रास्ते खुलेंगे. 

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