शरद जोशी का ब्लॉग: श्वान प्रदर्शनी और कुत्तों का सम्मान

By शरद जोशी | Published: October 13, 2019 07:16 AM2019-10-13T07:16:42+5:302019-10-13T07:16:42+5:30

यों कुत्तों का सम्मान मनुष्य से ज्यादा भी कई जगह किया गया है, और इनसे भय भी पुलिस से ज्यादा ही लगता है. सभ्यता और संस्कृति की स्लेज गाड़ी खींचकर लाने में कुत्तों के बड़े पैर रहे हैं.

Dog Show & Dogs Honor | शरद जोशी का ब्लॉग: श्वान प्रदर्शनी और कुत्तों का सम्मान

शरद जोशी का ब्लॉग: श्वान प्रदर्शनी और कुत्तों का सम्मान

Highlightsआज से कई वर्ष पूर्व जब दौर नव कृषि सभ्यता का राम बनकर रम रहा था,भारत के स्वर्ण-युग में जब लोग घरों में ताले नहीं लगाते थे, तब कुत्ते ही रक्षक थे.

जब मैं रात को लौटता हूं, तब मोहल्ले के कुत्तों द्वारा मेरे प्रति जो सम्मान प्रदर्शित किया जाता है, उसके बारे में सोच कर मैं इस विषय में कुछ कलापूर्ण तरीके से भौंक सकने की स्थिति में नहीं हूं.

पर जब कलकत्ता और लंदन की श्वान प्रदर्शनी के विषय में पढ़ा तो मुझे कुछ अजीब-सा लगा. बंबई के एक क्लब द्वारा अभी जो प्रदर्शनी आयोजित की गई, उसकी भी कल्पना करता हूं तो मुझे आश्चर्य होता है कि डॉ. राव किस प्रकार से सबको एक स्थान पर इकट्ठे कर सके होंगे.

यों कुत्तों का सम्मान मनुष्य से ज्यादा भी कई जगह किया गया है, और इनसे भय भी पुलिस से ज्यादा ही लगता है. सभ्यता और संस्कृति की स्लेज गाड़ी खींचकर लाने में कुत्तों के बड़े पैर रहे हैं. आज से कई वर्ष पूर्व जब दौर नव कृषि सभ्यता का राम बनकर रम रहा था, कारवां यायावरों का बस रहा था, जम रहा था, तब कुत्ते आकर मानव समाज के निर्माण में सहयोगी हो रहे थे.

पर सभ्यता के इतिहास को पढ़ने पर पता लगता है कि मनुष्य हाथी  की तरह आगे बढ़ता गया और कुत्ते भूंकते रहे. केवल धर्मराज युधिष्ठिर ही उसे इंद्र के रथ में बिठाकर ले गए, केवल भगवान भैरवनाथ ने अपना प्रेम का हाथ उस पर रखा. न जाने कौन गद्दार था जिसने कुत्तों का उपयोग गाली के अर्थ में किया. नारद पुराण में नरक के कुत्तों का चित्रण किस भयपूर्ण ढंग से किया गया है, कल्पना करके डर लगता है. भारत के स्वर्ण-युग में जब लोग घरों में ताले नहीं लगाते थे, तब कुत्ते ही रक्षक थे.

नगर सभ्यता के विकास के साथ ही कुत्तों की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ गई, दार्शनिकों और कलाकारों ने महसूस किया कि मनुष्य में कुत्ता इस नाते श्रेष्ठ है कि वह ईमानदार है लेकिन बोलकर नहीं सुनाता. अब मनुष्य का प्यार कुत्तों से बढ़ रहा है. न्यूयॉर्क की एक खबर थी कि एक सज्जन ने अपनी पत्नी को तलाक इसी कारण दिया कि वह उसके कुत्ते को ठीक से खाने को नहीं देती थी. सोचिए, अमेरिकी पत्नियां कुत्तों का भी सम्मान अपने पति की तरह ही करती होंगी.

31 तारीख को जब बंबई में श्वान प्रदर्शनी हो रही थी, तब मैं समझा था, शायद हमारे मोहल्ले से भी प्रतिनिधि गया होगा. पर जब रात को आ रहा था, तब कुत्ते जरूरत से ज्यादा खफा हो रहे थे. शायद वे राहगीरों से यही पूछ रहे होंगे कि क्या हम प्रदर्शन योग्य नहीं हैं? मैं क्या कहता? सोचता हूं, यहां किस क्लब या संस्था से ऐसी प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए दुम हिलाऊं?

Web Title: Dog Show & Dogs Honor

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