दिनकर कुमार का ब्लॉग: असम में अखिल गोगोई की हिरासत के विरोध में उमड़ता जनाक्रोश

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 24, 2020 05:53 AM2020-07-24T05:53:18+5:302020-07-24T05:53:18+5:30

असम में उग्रवादी संगठन उल्फा की लोकप्रियता खत्म होने के बाद राज्य का हाल के दिनों का इतिहास अखिल गोगोई और उनके संगठन की चर्चा के बगैर अधूरा है. अखिल एक ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पसंद नहीं करती हैं.

Dinkar Kumar's blog: Public outrage against Akhil Gogoi's detention in Assam | दिनकर कुमार का ब्लॉग: असम में अखिल गोगोई की हिरासत के विरोध में उमड़ता जनाक्रोश

अखिल गोगोई (फाइल फोटो)

असम के किसान नेता और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अखिल गोगोई को पिछले साल एनआईए ने सीएए विरोधी हिंसक प्रदर्शन में कथित भूमिका के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.

गोगोई 11 जुलाई को कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और इसके साथ ही जेल से उनकी रिहाई की मांग तेज हो गई है. राज्य के 100 से अधिक साहित्यकारों ने मुख्यमंत्नी सर्वानंद सोनोवाल को पत्न लिख कर गोगोई की उचित चिकित्सा का इंतजाम करने का अनुरोध किया है.

इससे पहले जेल में जब गोगोई के दो सहयोगी कोविड-19 के परीक्षण में पॉजीटिव पाए गए, तब गोगोई के समर्थकों ने जेल से उनकी रिहाई के लिए एक ऑनलाइन अभियान शुरू कर दिया. गोगोई 12 दिसंबर, 2019 को अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में बंदी बने हुए हैं.

गिरफ्तारी के अगले ही दिन गुवाहाटी के चांदमारी थाने में पुलिस ने स्वयं मामला दर्ज किया और उसी दिन यह केस राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को स्थानांतरित कर दिया गया.

मामला स्थानांतरित होने के बाद एनआईए ने अखिल गोगोई को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपनी हिरासत में ले लिया. उनके संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और उसके छात्न विंग के तीन सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया.

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में अखिल गोगोई की गिरफ्तारी के बाद ही पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन ने जोर पकड़ा था.

7 मई 2018 को नागरिकता संशोधन विधेयक की सुनवाई के लिए भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में जेपीसी की टीम असम आई थी, तब अखिल गोगोई ने जेपीसी के प्रतिनिधियों से घंटे भर बहस की थी. वहीं उनके संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने पूरे प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन किया था.

असम में उग्रवादी संगठन उल्फा की लोकप्रियता खत्म होने के बाद राज्य का हाल के दिनों का इतिहास अखिल गोगोई और उनके संगठन की चर्चा के बगैर अधूरा है. अखिल एक ऐसे कार्यकर्ता हैं, जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां पसंद नहीं करती हैं.

कभी पुराने तो कभी नए आरोप में अखिल को समय-समय पर जेल भेजा जाता रहा है. वर्ष 2005 में किसान के 29 वर्षीय बेटे अखिल ने कृषक मुक्ति संग्राम समिति की स्थापना की थी. इससे पहले अखिल ने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करते हुए कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल की स्थापना की थी.

अखिल ने उस साल सभी दोस्तों को एकजुट कर कहा कि हमारी राजनीतिक सोच कार्य में तब्दील होनी चाहिए, और इस तरह कॉटन कॉलेज स्टडी सर्किल का जन्म हुआ.

अखिल गोगोई की पत्नी गीताश्री और पूर्व सहयोगी बताते हैं कि किसान नेता के रूप में अखिल का उभरना एकाएक हुआ. वे हमेशा छात्न नेता बनना चाहते थे.

अखिल ने गुवाहाटी स्थित जजेज फील्ड में एक विशाल सम्मेलन के आयोजन का सपना देखा था, जहां से एक नए क्रांतिकारी छात्न संघ का जन्म होता. मगर वह सम्मेलन कभी नहीं हुआ.

अखिल ने सांस्कृतिक मार्ग चुना और ज्योति प्रसाद अगरवाला की जन्म शताब्दी मनाने का फैसला किया. इस आयोजन के बाद अखिल लोकप्रिय चेहरा बन चुके थे. इस कार्यक्र म का आयोजन कॉटन कॉलेज के सुदमर्शन हॉल में किया गया था, जिसमें भूपेन हजारिका शामिल हुए थे.

हाल के कुछ वर्षो में संगठन ने कई आंदोलन किए हैं. बस किराए में बढ़ोत्तरी से लेकर बड़े बांध या टॉलगेट का विरोध, सब में संगठन ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

वर्ष 2015 में संगठन ने काजीरंगा एंड ऑर्किड एंड बायोडाइवर्सिटी पार्क की स्थापना की. छात्नों और किसानों के समर्थन के बावजूद अखिल कभी चुनाव मैदान में नहीं उतरे.
 

Web Title: Dinkar Kumar's blog: Public outrage against Akhil Gogoi's detention in Assam

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