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ब्लॉगः कठिन राह के बावजूद मोदी सरकार की उपलब्धियां सराहनीय, कई क्षेत्रों में हुआ सुधार

By अश्विनी महाजन | Updated: June 2, 2023 15:59 IST

शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, रोजगार आदि के क्षेत्र में भी पिछली सरकारों की भी उपलब्धियां रही हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार हमारी साक्षरता 1951 के 16.7 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 64.3 प्रतिशत हो गई।

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ठळक मुद्देमोदी सरकार के फैसलों के विरोध के बावजूद कोई भी प्रधानमंत्री मोदी की किसी भी दुर्भावना को साबित नहीं कर सका।भाजपा नीत एनडीए सरकार मई 2014 में सत्ता आई तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2.0 ट्रिलियन अमेरिकी डालर के बराबर था।

मोदी सरकार की यात्रा बहुत सहज नहीं थी, क्योंकि इसे भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, कृषि कानूनों को लागू करने, विमुद्रीकरण, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) यानी पड़ोसी देशों के सताए गए गैर-मुस्लिम नागरिकों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त करने के अपने फैसले के विरोध का सामना करना पड़ा था। मोदी सरकार के फैसलों के विरोध के बावजूद कोई भी प्रधानमंत्री मोदी की किसी भी दुर्भावना को साबित नहीं कर सका। इन फैसलों को लेते समय मोदी सरकार ने विपक्ष के प्रति भी अपनी पूरी संवेदनशीलता दिखाई, और मीडिया के कोप का सामना करते हुए भी सुधार करने के लिए सरकार तैयार दिखाई दी। इससे सरकार की यह कहकर आलोचना करने की कोशिश की गई कि यह एक ‘रोल बैक सरकार’ है।

जब भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए सरकार ने मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता संभाली तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2.0 ट्रिलियन अमेरिकी डालर के बराबर था जो अब 3.73 ट्रिलियन अमेरिकी डालर है। और प्रति व्यक्ति आय जो 2014 में 1573.9 अमेरिकी डालर थी, अब है 2023 में 2601 अमेरिकी डालर है। जीडीपी के मामले में भारत 2014 में 10वें स्थान पर था और अब यह पांचवें स्थान पर है,  ग्रामीण बेरोजगारों के लिए चल रही ‘मनरेगा’ योजना जो पहले से ही चल रही थी, उस पर भारी खर्च अनवरत चलता रहा। पिछले 9 सालों में लगभग मनरेगा पर 5.89 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, रोजगार आदि के क्षेत्र में भी पिछली सरकारों की भी उपलब्धियां रही हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार हमारी साक्षरता 1951 के 16.7 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 64.3 प्रतिशत हो गई। जीवन प्रत्याशा भी 1951 में मात्र 37.2 वर्ष से सुधर कर अब तक 68.2 वर्ष हो गई है। लेकिन कई मामलों में हम अपनी ही उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।

आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख तक के इलाज की सुविधा, सभी के लिए शौचालय (इज्जत घर) की व्यवस्था, सूक्ष्म लागत पर दुर्घटना और जीवन बीमा योजना, महिलाओं के लिए धुआंमुक्त रसोई हेतु मुफ्त गैस सिलेंडर की उज्जवला योजना, 100 प्रतिशत गांवों तक बिजली, बिजली कटौती से निजात पाने हेतु परंपरागत और नवीकरणीय बिजली के अलावा एलईडी बल्ब के विस्तार से बिजली की खपत में कमी, कुछ ऐसे कार्यक्रम है जिसमें लोगों के जीवन में तो सुधार किया ही है, कुछ हद तक विकास के अवरोधों को भी कम किया है। 45 करोड़ से भी अधिक जीरो बैलेंस बैंक खातों के खुलने से न केवल वित्तीय समावेशन संभव हुआ है, भ्रष्टाचार कम हो जाने के कारण, सरकारी खर्च का भी कुशलतम उपयोग संभव हुआ है।

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