ब्लॉग: मौजूदा शिक्षा व्यवस्था वैदिक शिक्षा व्यवस्था से बेहतर
By शक्तिनन्दन भारती | Published: November 18, 2021 04:38 PM2021-11-18T16:38:55+5:302021-11-18T16:38:55+5:30
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था वैदिक शिक्षा व्यवस्था से बेहतर है जिसमें वैदिक शिक्षा व्यवस्था के लिए भी पूर्ण स्थान है। ऐसा भी नहीं है कि वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में वैदिक शिक्षा व्यवस्था के कोई अंश शामिल नहीं किए गए हैं।
वैदिक शिक्षा व्यवस्था श्रुति पर आधारित थी। गुरुकुल में चार वेद और वेदांगों सहित सभी प्रकार की शिक्षाएं प्रदान की जाती थी। सभी प्रमुख पाठ सस्वर उच्चारण कराकर के शिष्यों को याद करा दिए जाते थे। चार वेद इस प्रकार थे ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद। छ: वेदांग इस प्रकार थे, शिक्षा, कल्प, ज्योतिष, व्याकरण, छंद, निरुक्त।
वैदिक काल की सामाजिक व्यवस्था में शिल्प शिक्षा का भी प्रावधान था। शिल्प शिक्षा का स्वरूप वर्ण व्यवस्था के क्रम में जातिगत हो चला था। वैदिक काल से लेकर के उत्तर वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था के उत्तरोत्तर ह्रास होने के कारण सभी प्रकार के शिक्षा प्रतिष्ठान सामाजिक संस्थागत ना होकर के पारिवारिक रह गए थे।
पूर्व वैदिक काल के गुरुकुल या पूर्व वैदिक काल के लोग वैदिक ऋचा रच सकते थे उनकी शिक्षा दे सकते थे या गुरुकुल की स्थापना कर सकते थे। लेकिन वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित होने के बाद इस तरह के क्रम में व्यतिक्रम देखा गया। क्षत्रिय केवल युद्ध लड़ सकता था ब्राह्मण केवल पढ़ सकता था या शिक्षा दे सकता था। वैश्य व्यापार कर सकता था और शुद्र केवल सेवा कर सकता था।
वर्ण व्यवस्था के बाद शिक्षा भी हो गई थी जन्म आधारित
वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित होने के बाद शिक्षा भी जन्म आधारित हो गई थी। यही कारण था कि शिल्प आदि की शिक्षाओं को देने में बढ़ई और लोहार अनुवांशिक रूप से बढ़ई और लोहार कर्म का ज्ञान संतानों को देते रहे।
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था वैदिक शिक्षा व्यवस्था से बेहतर है जिसमें वैदिक शिक्षा व्यवस्था के लिए भी पूर्ण स्थान है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को पूर्णतया वैदिक शिक्षा प्रणाली पर आधारित करने में सबसे बड़ी हानि होगी कि हमारी वैज्ञानिक प्रगति व सोच इससे अवरुद्ध हो सकती है।
यह वैदिक शिक्षा का ही प्रभाव था कि वैदिक काल में भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण प्रकार की थी। लेकिन वर्तमान में केवल वैदिक शिक्षा व्यवस्था को लागू करने में भारतीय अर्थव्यवस्था खराब हो सकती है।
ऐसा नहीं है कि वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में वैदिक शिक्षा व्यवस्था के कोई अंश शामिल नहीं किए गए हैं बल्कि अगर हम ध्यान दें पाते हैं कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में फिजिक्स के साथ एस्ट्रोफिजिक्स भी पढ़ाई जाती है तथा मेडिसिन की पढ़ाई के साथ एस्ट्रोमेडिसिन भी पढ़ाई जाती है। यह प्रभाव निश्चित रूप से वैदिक शिक्षा व्यवस्था की ही देन है।
वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्राथमिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए वर्तमान शिक्षा पद्धति में उसको इस तरह से शामिल करना चाहिए जिससे कि दोनों का उत्तरोत्तर विकास संभव हो सके।