पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: तेल रिसाव से समुद्री जीवों पर मंडराता संकट

By पंकज चतुर्वेदी | Published: May 9, 2023 02:10 PM2023-05-09T14:10:35+5:302023-05-09T14:11:36+5:30

टारबॉल काले-भूरे रंग के ऐसे चिपचिपे गोले होते हैं जिनका आकार फुटबॉल से लेकर सिक्के तक होता है. ये समुद्र तटों की रेत को भी चिपचिपा बना देते हैं और इनसे बदबू तो आती ही है.

Crisis looming over sea creatures due to oil spill | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: तेल रिसाव से समुद्री जीवों पर मंडराता संकट

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

इस साल अप्रैल के मध्य में ही गोवा के बेनोलिम समुद्र तट पर तेलीय 'कार्सिनोजेनिक टारबॉल' दिखने लगीं. इसके चलते कुछ कछुए भी मारे गए. आमतौर पर चिपचिपाहट वाली यह गंदगी मई में ज्यादा आती है. गोवा में पर्यटन का यह आखिरी महीना है और टारबॉल की गंदगी से समुद्री तट पर आने वाले और यहां रोमांचक खेलों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में कमी आई. गोवा में सन्‌ 2015 के बाद 33 ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. 

टारबॉल काले-भूरे रंग के ऐसे चिपचिपे गोले होते हैं जिनका आकार फुटबॉल से लेकर सिक्के तक होता है. ये समुद्र तटों की रेत को भी चिपचिपा बना देते हैं और इनसे बदबू तो आती ही है. गोवा में सिन्कुरिम से लेकर मोराजिम तक बाघा, अरम्बोल, वारका, केवेलोसिन, बेनेलिम सहित 105 किमी के अधिकांश समुद्र तट पर इस तरह की गंदगी आना बहुत आम बात है. इसका कारण है समुद्र में तेल या क्रूड ऑइल का रिसाव. 

कई बार यह रास्तों से गुजरने वाले जहाजों से होता है तो इसका बड़ा कारण कई स्थानों पर समुद्र की गहराई से कच्चा तेल निकालने वाले संयंत्र भी हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी ने एक अध्ययन में देश के पश्चिमी तट पर तेल रिसाव के लिए दोषी तीन मुख्य स्थानों की पहचान की है. इनसे निकलने वाला तेल पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी भारत के गोवा के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक के समुद्र तटों को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है. 

इस शोध में सिफारिश की गई है कि 'मैनुअल क्लस्टरिंग' पद्धति अपना कर इन अज्ञात तेल रिसाव कारकों का पता लगाया जा सकता है. गुजरात के प्राचीन समुद्र तट, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक मोड़ और गुजरात पश्चिमी तट पर सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय समुद्र जलीय मार्ग हैं जो तेल रिसाव के कारण खतरनाक टारबॉल के चलते गंभीर पारिस्थितिकीय संकट के शिकार हो रहे हैं. सबसे चिंता की बात यह है कि तेल रिसाव की मार समुद्र के संवेदनशील हिस्से में ज्यादा है. संवेदनशील क्षेत्र अर्थात कछुआ प्रजनन स्थल, मैंग्रोव, कोरल रीफ्स (प्रवाल भित्तियां) शामिल स्थान है. 

मनोहर पर्रिकर के मुख्यमंत्रित्व काल में गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से तैयार गोवा राज्य तेल रिसाव आपदा आपात योजना में कहा गया था कि गोवा के तटीय क्षेत्रों में अनूठी वनस्पतियों और जीवों का ठिकाना है. इस रिपोर्ट में तेल के बहाव के कारण प्रवासी पक्षियों पर विषम असर की भी चर्चा थी. पता नहीं दो खंडों की इतनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट किस लाल बस्ते में गुम गई और तेल की मार से बेहाल समुद्र तटों का दायरा बढ़ता गया.

Web Title: Crisis looming over sea creatures due to oil spill

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे