विजय दर्डा का ब्लॉगः कोरोना के खिलाफ इस जंग में हर व्यक्ति सैनिक

By विजय दर्डा | Published: March 30, 2020 06:23 AM2020-03-30T06:23:14+5:302020-03-30T06:23:14+5:30

Coronavirus: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी जबर्दस्त काम कर रहे हैं. मुख्य सचिव से लेकर गृह सचिव और उनकी टीम - सब दिन-रात काम कर रहे हैं. देश के हर हिस्से में हमारे चिकित्सक, नर्से, वार्डब्वाय, पैरामेडिकल स्टाफ ने दिन-रात एक कर रखा है. वे घर नहीं जा रहे हैं, चौबीस घंटे अस्पतालों में डटे हैं और अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं.

Covid 19: Every person soldier in this battle against Corona | विजय दर्डा का ब्लॉगः कोरोना के खिलाफ इस जंग में हर व्यक्ति सैनिक

विजय दर्डा का ब्लॉगः कोरोना के खिलाफ इस जंग में हर व्यक्ति सैनिक

यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि स्थिति इस वक्त बेहद खराब है. जानकार कह रहे हैं कि हम तेजी से तीसरे स्टेज की ओर बढ़ रहे हैं. यदि कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सका तो भारत की स्थिति क्या होगी, इसकी कल्पना भी भयावह लगती है. चीन के दिए इस खतरनाक तोहफे को सुलझाने में सर्वशक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप भी अभी तक असफल रहे हैं. वल्डरेमीटर के अनुसार दुनिया भर में 31 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. मौत का सिलसिला लगातार बढ़  रहा है.

मैं भारतीय मूल की एक डॉक्टर का वीडियो संदेश सुन रहा था जो न्यूयॉर्क के एक हास्पिटल में कोरोना के मरीजों की देखभाल कर रही हैं. वे कह रही थीं कि उनके पास वेंटिलेटर की इतनी कमी हो गई है कि कई बार वेंटिलेटर एक होता है और मरीज 3 होते हैं. ऐसे में यह तय करना कठिन होता है कि किसे वेंटिलेटर पर रखें और किसे न रखें. यही हाल इटली और स्पेन का भी है. जरा सोचिए कि हमारे यहां जब कोरोना का कहर टूटेगा तो क्या होगा? मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हमारी हालत क्या है, यह हम सब बखूबी जानते हैं.

मुझे दुख और चिंता इस बात की है कि हमारे देश में अभी भी बहुत से लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. देश में लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद बहुत से लोग घरों से बाहर मजमा जमा रहे हैं. इनमें पता नहीं किसे कोरोना है और किसे नहीं है. खुद भी लोगों को पता नहीं है तो जाहिर सी बात है कि एक व्यक्ति यदि इन्फेक्टेड है तो वह दूसरों तक भी इस वायरस को पहुंचाएगा ही! दरअसल बहुत से लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं. सड़क पर पुलिस है तो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं लेकिन गलियों में पुलिस नहीं है तो वहां लोग कोरोना पर चर्चा करने के लिए जमा होने से परहेज नहीं कर रहे हैं! इस विडंबना को हम कैसे दूर करें?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी जबर्दस्त काम कर रहे हैं. मुख्य सचिव से लेकर गृह सचिव और उनकी टीम - सब दिन-रात काम कर रहे हैं. देश के हर हिस्से में हमारे चिकित्सक, नर्से, वार्डब्वाय, पैरामेडिकल स्टाफ ने दिन-रात एक कर रखा है. वे घर नहीं जा रहे हैं, चौबीस घंटे अस्पतालों में डटे हैं और अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं. मैंने अपने पिछले कॉलम में इन सभी कोरोना योद्धाओं का जिक्र किया था. इनकी लगन की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है. पूरा देश इनका ऋणी रहेगा. इतिहास में जब भी इस महामारी की चर्चा होगी तो चिकित्सा जगत से जुड़े इन सभी लोगों का नाम निश्चय ही
आदर और सम्मान के साथ लिया जाएगा.

हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि कोरोना के खिलाफ यह जंग केवल सरकार या चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मियों की नहीं है. यह जंग एक-एक व्यक्ति की है. इस जंग में देश का हर नागरिक सैनिक की भूमिका में है. और भूमिका यह है कि वह घर में रहे. जो यह भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें तहेदिल से मैं सलाम करता हूं लेकिन जो लोग बेवजह घर से बाहर निकल रहे हैं वास्तव में वे पूरी मानवता के दुश्मन हैं. 

और हां, वे भी पूरे समाज, पूरे देश और मानवता के दुश्मन हैं जो इस कठिन समय में जरूरत के सामानों की कालाबाजारी कर रहे हैं. आज मास्क नहीं मिल रहा है, सैनेटाइजर की किल्लत है. बाजार से पैकेटबंद आटा गायब है. सरकार को इन कालाबाजारियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए कि इनकी आने वाली पीढ़ियां भी कालाबाजारी की हिम्मत न कर पाएं.  इसके साथ ही मैं सरकार और स्वयंसेवी संगठनों से आग्रह करता हूं कि वे उन लोगों का जरूर खयाल रखें जिनके सामने रोटी की समस्या पैदा हो गई है. 

जो सैकड़ों मील दूर स्थित अपने घर जाने के लिए पैदल सड़कों पर निकल पड़े हैं. मैं सभी राज्यों की सरकारों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे लोग जहां भी हैं, उन्हें वहीं रोक कर रहने-खाने की व्यवस्था की जाए और उनकी कोरोना वायरस संबंधी जांच भी कराई जाए. मैं डी. शिवानंदन का जिक्र जरूर करना चाहूंगा जो रोटी बैंक चलाते हैं और गरीबों व बेसहारा लोगों के लिए तीन वक्त के खाने की व्यवस्था करते हैं. अभी उनकी माताजी का निधन हो गया, वे उनका अंतिम संस्कार करके आए और फिर से गरीबों को भोजन कराने में जुट गए. हमें ऐसे समर्पित लोगों की जरूरत है.

मैं इस बात को समझता हूं कि कामकाजी लोगों के लिए घर में रहना बड़ा मुश्किल काम है लेकिन यह मानकर चलिए कि आप घर से बाहर जा रहे हैं तो हकीकत में कोरोना को घर लाने जा रहे हैं.  अपने प्रोफेशन की वजह से मैं बहुत सफर करता हूं और बहुत सारे लोगों के संपर्क में सामान्यत: रहता हूं. लेकिन इन दिनों पूरी तरह से लॉकडाउन का सम्मान कर रहा हूं. किसी से मिल नहीं रहा हूं. सारे कामकाज फोन और इंटरनेट के माध्यम से कर रहा हूं. इस तरह कोरोना के खिलाफ जंग में एक सैनिक की भूमिका निभा रहा हूं. इसलिए मेरा आप सबसे नम्र निवेदन है, प्रार्थना है कि अपने घर पर रहिए.  

आप सुरक्षित रहेंगे तो देश भी सुरक्षित रहेगा. परिवार के साथ वक्त का आनंद लीजिए. मैं धन्यवाद देता हूं सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को जिन्होंने मशहूर सीरियल रामायण और महाभारत का प्रसारण टीवी पर शुरू करवा दिया है. ये सीरियल जाति-धर्म से परे हैं और जीवन जीने की कला सिखाते हैं. मनुष्य के प्रति आदर सम्मान और न्याय का भाव सिखाते हैं. कोशिश कीजिए कि आपका हॉकर आप तक अखबार जरूर पहुंचाए क्योंकि विश्वसनीय समाचारों का सबसे बेहतर माध्यम अखबार ही हैं. अफवाहों से दूर रहिए. मस्त रहिए, स्वस्थ रहिए. राहत इंदौरी ने ठीक ही कहा  है-
एक-एक कर अभी हवा में उड़ जाएंगे 21 दिन..!

और अंत में...
16 मार्च 2020 के अपने कॉलम ‘राजनीति ने दल-बदल कानून में सूराख कर दिया’ में मैंने जिक्र किया था कि हरियाणा के तत्कालीन विधायक गया लाल कांग्रेस छोड़ कर जनता पार्टी में चले गए थे. दरअसल डिक्टेशन की त्रुटि के कारण जनता पार्टी का जिक्र हो गया, जबकि गया लाल संयुक्त विधायक दल में शामिल हुए थे. जनता पार्टी जब वजूद में आई तो संयुक्त विधायक दल का विलय उसमें हो गया था.

Web Title: Covid 19: Every person soldier in this battle against Corona

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