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कांग्रेस को मजबूत बनकर उभरना ही होगा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 29, 2023 10:20 IST

इस समय विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी की नजर अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। कांग्रेस अपने 139वें स्थापना दिवस के साथ ही चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।

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ठळक मुद्देविपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी की नजर अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर हैकांग्रेस अपने 139वें स्थापना दिवस के साथ ही चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैकांग्रेस ने नागपुर में ‘हैं तैयार हम’ महारैली के साथ 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू की

इस समय विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी की नजर अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। कांग्रेस अपने 139वें स्थापना दिवस के साथ ही चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। नागपुर में ‘हैं तैयार हम’ महारैली के साथ उसने 2024 लोकसभा चुनाव अभियान की दमदार शुरुआत की है।

कांग्रेस का यह अधिवेशन पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला तो बढ़ाएगा ही, पार्टी के समर्थकों के बीच भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। कांग्रेस की महारैली इस अर्थ में भी काफी मायने रखती है क्योंकि ये नागपुर में आयोजित हो रही है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय स्थित है और यहीं ऐतिहासिक स्थान दीक्षाभूमि मौजूद है।

कांग्रेस ने बार-बार भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात कही है। इस समय कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती दोबारा अपनी साख को बनाना है। मजबूत बनकर उभरना है। यह केवल कांग्रेस के बस की ही बात है, क्योंकि बाकी पार्टियां क्षेत्रीय स्तर की हैं, राष्ट्रीय स्तर की नहीं। कई पार्टियां तो प्राइवेट लिमिटेड की तरह हैं।

यह कहना गलत न होगा कि देश ने जब भी मुसीबतों का सामना किया है, तब कांग्रेस पार्टी ही आगे आई है और उसने एक बड़ा बदलाव किया है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए भारत में एक मजबूत एवं रचनात्मक विपक्ष की आवश्यकता है। यह सच है कि मौजूदा विपक्ष बेहद कमजोर है।

दूसरी ओर यह भी सच है कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और इस देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाली भी यही पार्टी है। देशवासियों के मन में भी इस पार्टी के प्रति सम्मान अभी भी बरकरार है लेकिन जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस बतौर विपक्ष हाशिए पर चली गई, उससे भी लोगों की उम्मीदें टूटी हैं। पार्टी विपक्ष की भूमिका में लगातार जूझती और अस्तित्व बचाती नजर आ रही है।

अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता के लिए भी ज्यादा बड़ी चुनौती साबित होगा। कांग्रेस को अब अपनी राजनीतिक रणनीति पर विचार करना पड़ेगा। कांग्रेस को जहां एक ओर जमीनी स्तर पर अपने संगठन और कैडर को मजबूत करना होगा, वहीं दूसरी ओर जनहितकारी नीतियों को जमीनी स्तर पर उतारना होगा। हर हार के बाद कांग्रेस द्वारा आत्म मंथन, चिंतन व समीक्षा जैसी बातें रस्मअदायगी बन कर रह जा रही हैं, अब उसे एक्शन में उतारने की जरूरत है।

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