अवधेश कुमार का ब्लॉगः नागरिकता विधेयक का पारित होना ऐतिहासिक

By अवधेश कुमार | Published: December 13, 2019 07:49 AM2019-12-13T07:49:18+5:302019-12-13T07:49:18+5:30

नागरिकता कानून, 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी. उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो वैध यात्ना दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर आए हों या वैध दस्तावेज के साथ तो आए लेकिन अवधि से ज्यादा समय तक रुक जाएं.

Citizenship amendment bill is historic decision | अवधेश कुमार का ब्लॉगः नागरिकता विधेयक का पारित होना ऐतिहासिक

File Photo

नागरिकता विधेयक का संसद के दोनों सदन से पारित होना एक ऐतिहासिक घटना है. इस विधेयक द्वारा नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन किया गया है ताकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मो के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सके. किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल यहां रहना अनिवार्य है. इस नियम को आसान बनाकर इन लोगों के लिए नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर छह साल कर दिया गया है. यानी इन तीनों देशों के छह धर्मो के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी.

नागरिकता कानून, 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती थी. उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो वैध यात्ना दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर आए हों या वैध दस्तावेज के साथ तो आए लेकिन अवधि से ज्यादा समय तक रुक जाएं. अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है या विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत वापस उनके देश भेजा जा सकता है. नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2015 और 2016 में 1946 और 1920 के इन कानूनों में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को छूट दे दी है. आज ये वैध दस्तावेजों के बगैर भी रह रहे हैं और उनको नागरिकता के लिए अब किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है.

विरोध नहीं होता तो नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में ही पारित हो जाता. 8 जनवरी, 2019 को विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया लेकिन राज्यसभा में पारित हो नहीं सकता था. राजनीतिक पक्ष-विपक्ष से अलग होकर विचार करें तो इस विधेयक को विभाजन के समय आए शरणार्थियों की निरंतरता के रूप में देखे जाने की जरूरत थी. विरोध का एक बड़ा मुद्दा है, इसमें मुस्लिम समुदाय को अलग रखना. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश तीनों इस्लामिक गणराज्य हैं. इसलिए वहां मुस्लिमों का उत्पीड़न होने का सवाल ही नहीं है. 

दूसरी बात, मुसलमानों को भारत की नागरिकता का निषेध नहीं है. कोई भी भारत के नागरिकता कानून के तहत आवेदन कर सकता है और अर्हता पूरी होने पर नागरिकता मिल सकती है. जैसा गृह मंत्नी अमित शाह ने बताया कि पिछले पांच वर्ष में इन देशों के 566 से ज्यादा मुसलमानों को नागरिकता दी भी गई है.

Web Title: Citizenship amendment bill is historic decision

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