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ब्लॉग: ड्रैगन को आर्थिक तरीके से ही देना होगा जवाब

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: January 8, 2022 09:09 IST

जनवरी से नवंबर 2021 के बीच दोनों देशों में कुल 8.57 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड व्यापार हुआ. जो पिछले साल के मुकाबले 46.4 फीसदी ज्यादा है. भारत ने इन 11 महीनों की अवधि में चीन से 6.59 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड सामान खरीदा है. वह पिछले वर्ष 2020 के मुकाबले 49 फीसदी ज्यादा है.

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ठळक मुद्दे2021 की शुरुआत से ही चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध अत्यधिक कटुतापूर्ण हैं.एलएसी पर चीन ने अत्याधुनिक हथियारों के साथ 50-60 हजार सैनिक तैनात किए हुए हैं. चीन से व्यापार घाटा बढ़ते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना चौंकाने वाला और चुनौतीपूर्ण है.

जब पिछले वर्ष 2021 की शुरुआत से ही चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध अत्यधिक कटुतापूर्ण हैं, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन ने अत्याधुनिक हथियारों के साथ 50-60 हजार सैनिक तैनात किए हुए हैं.

चीन ने अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत बताते हुए अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों का चीनी एवं तिब्बती भाषा में नामकरण कर लिया है, चीन ने नया कानून द लैंड बॉडर लॉ लागू कर दिया है, एलएसी के पार बुनियादी ढांचे का लगातार निर्माण कर रहा है.

तब चीन की ऐसी क्रूर आक्रामकता के बीच वर्ष 2021 में चीन से सामानों का आयात और चीन से व्यापार घाटा छलांगें लगाकर बढ़ते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना चौंकाने वाला और चुनौतीपूर्ण है.

गौरतलब है कि जनवरी से नवंबर 2021 के बीच दोनों देशों में कुल 8.57 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड व्यापार हुआ. जो पिछले साल के मुकाबले 46.4 फीसदी ज्यादा है. भारत ने इन 11 महीनों की अवधि में चीन से 6.59 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड सामान खरीदा है. वह पिछले वर्ष 2020 के मुकाबले 49 फीसदी ज्यादा है. 

वहीं चीन को भारत ने 1.98 करोड़ रुपये मूल्य का सामान निर्यात किया है, जो पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में 38.5 फीसदी ज्यादा है. इन 11 महीनों में चीन से व्यापार घाटा भी रिकॉर्ड स्तर 4.61 लाख करोड़ रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गया है.

यदि हम पिछले चार वर्षो के जनवरी से नवंबर तक के 11 महीनों के भारत-चीन व्यापार के आंकड़ों को देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2017 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 4.45 लाख करोड़ रुपये था, यह वर्ष 2018 में घटकर 4.30 लाख करोड़ रुपये, वर्ष 2019 में घटकर 3.83 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 2020 में घटकर 3.30 लाख करोड़ रुपये रहा. 

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक 2003-04 से लेकर 2013-14 के यूपीए काल के बीच चीन से होने वाले आयात में 1160 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल 2014-15 से 2020-21 के बीच चीन से होने वाले आयात में सिर्फ आठ फीसदी का इजाफा हुआ है. लेकिन अब वित्त वर्ष 2021-22 में चीन से आयात व व्यापार घाटा बढ़ने का चिंताजनक रूप सामने दिखाई दे रहा है.

इस समय चीन से तेजी से आयात बढ़ना इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले छह-सात वर्षो से लगातार 'वोकल फॉर लोकल' और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर को देश भर में आगे बढ़ाया है. 

चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए सरकार के द्वारा टिक टॉक सहित विभिन्न चीनी एप्प पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्रण कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति जैसे विभिन्न प्रयास किए गए हैं. 

वर्ष 2019 और 2020 में चीन से तनाव के कारण देशभर में चीनी सामान का जोरदार बहिष्कार दिखाई दिया था. मेड इन इंडिया का बोलबाला था. स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर का जोरदार असर था. रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गणोश चतुर्थी, नवदुर्गा, दशहरा और दीपावली जैसे त्यौहारों में बाजार में भारतीय उत्पादों की बहुतायत थी और चीनी सामान बाजार में बहुत कम दिखाई दिए थे. 

भारत में चीन से होने वाले आयात में बड़ी गिरावट आने लगी थी. व्यापार घाटे में तेजी से कमी आने लगी थी. चीन ने इससे चिंतित होकर कई बार अपनी बौखलाहट भी जाहिर की थी. अब एक बार चीन को आर्थिक सबक देना जरूरी दिखाई दे रहा है.

निश्चित रूप से स्थानीय बाजारों में चीनी उत्पादों को टक्कर देने और चीन से व्यापार घाटा और कम करने के लिए हमें उद्योग-कारोबार क्षेत्र की कमजोरियों को दूर करना होगा. 

हम देश में मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाकर लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल बना सकते हैं. सरकार के द्वारा स्वदेशी उत्पादों को चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धी बनाने वाले सूक्ष्म आर्थिक सुधारों को लागू किया जाना होगा. भारतीय उद्योगों को चीन के मुकाबले में खड़ा करने के लिए शोध और नवाचार पर और अधिक ध्यान देना होगा. 

देश में लॉजिस्टिक सेवाओं की सरलता पर भी ध्यान बढ़ाया जाना होगा. देश की नई पीढ़ी को चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए कोविड-19 के बाद की नई कार्य संस्कृति का नेतृत्त्व करना होगा.

इस समय आजादी के 75वें साल में जब देश अमृत महोत्सव मना रहा है, तब एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता और चीनी सामान के आयात को नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया अभियान और अधिक उत्साहजनक रूप से आगे बढ़ाया जाना होगा. 

निश्चित रूप से इन सब उपायों से चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा. साथ ही स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत ही चीन को आर्थिक टक्कर देने और चीन की महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण का एक प्रभावी उपाय सिद्ध होगा.

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