Blog: अहिंसक आवाज दबाने की कोशिश

By अवधेश कुमार | Published: November 2, 2018 05:22 PM2018-11-02T17:22:23+5:302018-11-02T17:22:23+5:30

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नवमाओवादियों के भयावह हमले ने केवल देश ही नहीं दुनिया का ध्यान खींचा है। दुनिया का इसलिए क्योंकि इसमें पुलिस जवानों के साथ वीडियो पत्नकार भी शहीद हुआ तथा दो पत्नकारों की जान केवल संयोग से बच गई।

chhattisgarh dantewada Naxal Attack one journalist killed impact of india and as well as world | Blog: अहिंसक आवाज दबाने की कोशिश

Blog: अहिंसक आवाज दबाने की कोशिश

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नवमाओवादियों के भयावह हमले ने केवल देश ही नहीं दुनिया का ध्यान खींचा है। दुनिया का इसलिए क्योंकि इसमें पुलिस जवानों के साथ वीडियो पत्नकार भी शहीद हुआ तथा दो पत्नकारों की जान केवल संयोग से बच गई। वे चूंकि एक गड्ढे में लेटे थे इसलिए गोलियां उनके सिर के  ऊपर से निकल जा रही थीं।

 एक पत्नकार जनता के प्रतिनिधि के रूप में संघर्ष क्षेत्न में भी बिना किसी अस्त्न के अपना काम करता है। वह अपने कलम, कैमरा-माइक या लैपटॉप का अहिंसक सिपाही होता है। इन नवमाओवादियों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया हुआ है। हर बार चुनाव में वे ऐसा करते हैं। आगामी 12 नवंबर को छत्तीसगढ़ के नवमाओवाद प्रभावित इलाकों में मतदान है। वे हर हाल में इसे विफल करना चाहते हैं। पिछले चुनावों में उनके बहिष्कार के बावजूद जनता मतदान करने के लिए निकली। दंतेवाड़ा क्षेत्न में इनके बहिष्कार के बावजूद 2013 में 61।93 प्रतिशत, 2008 में 55।60 प्रतिशत तथा 2003 में 60।28 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। इससे साफ है कि जनता का बहुमत उनके विरुद्ध है, भले एक बड़ी संख्या उनके डर से मतदान केंद्र तक न आए।  

पिछले एक दशक में 12 हजार से ज्यादा लोगों की बलि इस संघर्ष में चढ़ चुकी है जिसमें करीब 2700 सुरक्षा बलों के जवान हैं, पर इस तरह पत्नकारों के दल पर कभी हमला नहीं हुआ था। यह भले नई प्रवृत्ति लगे, पर इन नवमाओवादियों की अंध हिंसा को देखते हुए आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सक्रिय पत्नकारों में ऐसे लोग न के बराबर हैं जो इनकी हिंसा का समर्थन करें। इनके चुनाव बहिष्कार को जनता द्वारा नकारने को हर बार मीडिया पूरा कवरेज देता है। इनकी निंदा करता है। इनके जनसमर्थन विहीन होने की सच्चाई उजागर करता है। इस बार स्थानीय मीडिया ने भी उन गांवों की रिपोर्टिग की है जहां दो दशक बाद ग्रामीण मतदान करने की घोषणा कर चुके हैं। यह टीम भी वैसे ही एक गांव निलवाया जा रही थी जहां बनाए गए नए मतदान केंद्र के साथ स्थानीय लोगों से बात करने की योजना थी। उस गांव के लोगों ने 1998 के बाद से मतदान नहीं किया है। वास्तव में ऐसे आधा दर्जन गांवों में दो दशक बाद मतदान कराने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं जहां के लोग मतदान नहीं कर पाते थे। 

निश्चय ही इस टीम की रिपोर्टिग के बाद देश भर में इनकी सोच के विपरीत संदेश जाता तथा दूसरे गांवों पर भी इसका असर होता। इन नवमाओवादियों ने इस आवाज को निकलने के पहले ही हिंसा की बदौलत बंद करने की कोशिश की है।  परंतु इससे हिंसक शक्तियों के खिलाफ पत्नकारों की आवाज बंद नहीं हो सकती। सुरक्षाबल भी अपना बलिदान देकर इन नवमाओवादियों के खात्मे में लगे हैं और लगे रहेंगे।

Web Title: chhattisgarh dantewada Naxal Attack one journalist killed impact of india and as well as world

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