ब्लॉग: भारत के सच्चे रत्न थे चौधरी चरण सिंह

By राजकुमार सिंह | Published: February 10, 2024 09:46 AM2024-02-10T09:46:47+5:302024-02-10T09:48:56+5:30

23 दिसंबर, 1902 को जन्मे और 29 मई, 1987 को दिवंगत हुए चरण सिंह ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखते हुए जिस वैकल्पिक लोकदली समाजवादी राजनीति की नींव रखी, वह लगभग तीन दशक तक उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और ओडिशा में गैरकांग्रेसवाद की राजनीति का आधार रही।

Chaudhary Charan Singh was the true gem of India Bharat Ratna | ब्लॉग: भारत के सच्चे रत्न थे चौधरी चरण सिंह

चौधरी चरण सिंह (फाइल फोटो)

Highlights23 दिसंबर, 1902 को जन्मे और 29 मई, 1987 को दिवंगत हुए चरण सिंहचरण सिंह ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखते हुए जिस वैकल्पिक लोकदली समाजवादी राजनीति की नींव रखीचरण सिंह महज राजनेता नहीं, एक बड़े अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भी थे

चौधरी चरण सिंह को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा 18 वीं लोकसभा के चुनाव से ठीक पहले और भाजपा रालोद गठबंधन की चर्चाओं के बीच किए जाने से इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले ही जाएंगे, पर वह आजाद भारत के इस सबसे बड़े किसान नेता और गैर कांग्रेसवाद के पुरोधा के साथ अन्याय होगा।

चरण सिंह ने 1959 में जिस समय कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू के सहकारी खेती के प्रस्ताव का अकाट्य तर्कों के साथ विरोध किया, वह बड़ा राजनीतिक जोखिम था। आज की राजनीति में यह कल्पना भी मुश्किल है कि कोई नेता देश समाज के भविष्य की चिंता में अपने राजनीतिक भविष्य को दांव पर लगा दे। उस साहस की कीमत चरण सिंह को कांग्रेस से इस्तीफा देकर चुकानी पड़ी, पर वह उनकी राजनीतिक पारी का अंजाम नहीं, बल्कि ऐसा आगाज साबित हुआ, जिसने देश में बदलावकारी वैकल्पिक राजनीति की नींव रखी।

23 दिसंबर, 1902 को जन्मे और 29 मई, 1987 को दिवंगत हुए चरण सिंह ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखते हुए जिस वैकल्पिक लोकदली समाजवादी राजनीति की नींव रखी, वह लगभग तीन दशक तक उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और ओडिशा में गैरकांग्रेसवाद की राजनीति का आधार रही। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में चरण सिंह को लंबा कार्यकाल नहीं मिला, लेकिन उत्तर प्रदेश में उन्होंने जिन भूमि सुधारों की पहल की, उन्हीं से प्रेरित वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में साढ़े तीन दशक तक शासन करने में सफल रहा।

चौधरी चरण सिंह का सबसे बड़ा राजनीतिक योगदान रहा कि उन्होंने नेहरू की लोकप्रियता और कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी वर्चस्व के दौर में वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद ही नहीं जगाई, उसे केंद्रीय सत्ता परिवर्तन के अकल्पनीय मुकाम तक भी पहुंचाया। नई पीढ़ी को शायद ही पता हो कि चरण सिंह महज राजनेता नहीं, एक बड़े अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भी थे। समाज सुधार उनके लिए प्रवचन का नहीं, आचरण का विषय था। ऐसे विराट व्यक्तित्व और कृतित्व वाले जन नेता की विरासत को उनके वारिस बढ़ाना तो दूर, संभाल तक नहीं पाए। चरण सिंह ने अपना राजनीतिक सफर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव नूरपुर से शुरू कर दिल्ली की सत्ता हासिल की थी, पर उनकी विरासत मेरठ के आसपास तक सिमटती नजर आ रही है। विडंबना यह है कि यह संकुचन ऐसे समय हुआ है, जब उनकी विचारधारा की शायद सबसे ज्यादा जरूरत है।

Web Title: Chaudhary Charan Singh was the true gem of India Bharat Ratna

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