ब्लॉग: इनोवेशन से अंतरिक्ष में परचम लहराने को तैयार भारतीय स्टार्टअप्स

By ऋषभ मिश्रा | Updated: July 14, 2023 11:56 IST2023-07-14T11:53:56+5:302023-07-14T11:56:17+5:30

भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी बड़ी शक्ति इसलिए बन पाया क्योंकि भारत की कंपनियां अब पश्चिमी देशों की नकल या उनके लिए काम करने के बारे में नहीं सोच रही हैं, बल्कि अब ज्यादातर स्टार्टअप्स ‘इनोवेशन’पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

Chandrayaan 3 Indian startups ready to make waves in space with innovation | ब्लॉग: इनोवेशन से अंतरिक्ष में परचम लहराने को तैयार भारतीय स्टार्टअप्स

प्रतिकात्मक तस्वीर

एक जमाने में भारत को ‘कंट्री ऑफ स्नेक चार्मर्स’ यानी कि संपेरों का देश कहा जाता था, लेकिन अब भारत ‘कंट्री ऑफ स्पेस चार्मर्स’ यानी अंतरिक्ष की दुनिया में एक सुपरपावर बनने के रास्ते पर अग्रसर हो चुका है. पिछले तीन वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी भूमिका को पूरी तरह से बदल दिया है. 

वर्ष 2014 से पहले जहां भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ा सिर्फ एक टेक्नोलॉजी स्पेस स्टार्टअप था, वहीं अब भारत में ऐसे रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स की संख्या 140 तक पहुंच चुकी है. साथ ही प्राइवेट स्पेस सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी भी ऐतिहासिक रूप से बढ़ चुकी है. गौरतलब है कि पहले हमारी हिस्सेदारी 0.1 प्रतिशत से भी कम थी, लेकिन अब ये 2 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है. 

इसके अतिरिक्त भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या 400 से ज्यादा हो गई है जो सैटेलाइट्स और रॉकेट इंजन को विकसित करने में मदद करती हैं.

वर्तमान समय में अंतरिक्ष सेवाएं देने के मामले में प्रमुख देशों में पहले स्थान पर अमेरिका, दूसरे पर चीन, तीसरे पर जापान, चौथे स्थान पर ब्रिटेन है. किंतु अब पांचवें स्थान पर हमारा देश भारत पहुंच चुका है, जहां 400 से ज्यादा कंपनियां आज स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रही हैं. ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. 

अनुमान है कि भारत में जिस तेजी से स्पेस से जुड़े स्टार्टअप्स स्थापित हो रहे हैं, वो गति भारत को इस सूची में अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंचा सकती है. अभी पूरी दुनिया की स्पेस इकोनॉमी लगभग 30 लाख करोड़ रुपए की है, जिसमें भारत की स्पेस इकोनॉमी 57431 करोड़ रुपए की है. लेकिन अगले पांच वर्षों में इसमें सालाना 48 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जिससे आने वाले पांच वर्षों में भारत की स्पेस इकोनॉमी 4 लाख 10 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है.

आज भारत के बहुत सारे स्टार्टअप्स अब सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि ये स्टार्टअप्स सैटेलाइट्स और रॉकेट इंजन भी अपने देश में विकसित कर रहे हैं. इसमें से कुछ स्टार्टअप्स ने अगले एक दशक में 30 हजार सैटेलाइट्स लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है. 

भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी बड़ी शक्ति इसलिए बन पाया क्योंकि भारत की कंपनियां अब पश्चिमी देशों की नकल या उनके लिए काम करने के बारे में नहीं सोच रही हैं, बल्कि अब ज्यादातर स्टार्टअप्स ‘इनोवेशन’पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. और इनोवेशन ही वो राॅकेट है जो किसी भी देश को सफलता के स्पेस में ले जा सकता है. चंद्रयान-3 पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’है. 

वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 के असफल होने के बाद ये भारत का तीसरा चंद्रयान मिशन है, जिसे 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा.

Web Title: Chandrayaan 3 Indian startups ready to make waves in space with innovation

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