जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बढ़ते व्यापार घाटे से निपटने की चुनौती, समाधान के लिए भारत उठा रहा है यह कदम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 3, 2022 10:22 AM2022-09-03T10:22:42+5:302022-09-03T10:50:10+5:30

आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारिक सौदों के लिए उठाए गए नए कदम के कारण आयातकों को अब व्यापार के लिए डॉलर की अनिवार्यता नहीं रहेगी। ऐसे में अब दुनिया का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डॉलर के व्यापार कर सकता है।

challenge dealing with the growing trade deficit India is taking this step to solve it russia usa china taiwan | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बढ़ते व्यापार घाटे से निपटने की चुनौती, समाधान के लिए भारत उठा रहा है यह कदम

फोटो सोर्स: ANI

Highlightsभारत के लिए आर्थिक चिंता का बड़ा कारण तेजी से बढ़ता व्यापार घाटा है। यही नहीं बहुत ही तेजी से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी घट रहा है। यही नहीं बहुत ही तेजी से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी घट रहा है।

इस समय एक ओर तेजी से बढ़ता देश का व्यापार घाटा तो दूसरी ओर तेजी से घटता हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक चिंता का बड़ा कारण बन गया है. हाल ही में प्रकाशित विदेश व्यापार के आंकड़े तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे का संकेत दे रहे हैं. 

इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान भारत का कुल निर्यात बढ़कर 121 अरब डॉलर रहा, वहीं इस अवधि में आयात और तेजी से बढ़कर 190 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया. इस तरह इस तिमाही में भारत को 69 अरब डॉलर का घाटा हुआ. 

जुलाई 2022 में 30 अरब डॉलर का हुआ व्यापार घाटा 

जहां जुलाई 2022 में देश में 66.27 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया गया, वहीं 36.27 अरब डॉलर का निर्यात किया गया. ऐसे में जुलाई 2022 में भी 30 अरब डॉलर का व्यापार घाटा दिखाई दिया. यह व्यापार घाटा पिछले वर्ष जुलाई 2021 में 10.63 अरब डॉलर था. सालाना आधार पर जुलाई 2022 में आयात में 43.61 फीसदी वृद्धि हुई है.

इसी तरह 19 अगस्त को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का आकार घटते हुए 564.05 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर 2021 को 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर था. 

चीन और ताइवान के तनाव के कार भी मजबूत हो रहा है डॉलर

अब तक रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के कारण जो डॉलर लगातार मजबूत हुआ है, वह डॉलर चीन और ताइवान के बीच गहरे तनाव के मद्देनजर और मजबूत होने की प्रवृत्ति बता रहा है. 

ऐसे में देश के तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे पर नियंत्रण एवं विदेशी मुद्रा भंडार को घटने से बचाने के लिए निर्यात बढ़ाने और अनावश्यक आयात घटाने के लिए अधिक कारगर प्रयासों की जरूरत बढ़ गई है.

अधिक निर्यात बढ़ाकर अधिक डॉलर की कमाई पर देना होगा ध्यान

चूंकि पिछले वर्ष 2021-22 में वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भी भारत का उत्पाद निर्यात करीब 419 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा है, अतएव हमें और अधिक निर्यात बढ़ाकर अधिक डॉलर की कमाई करनी होगी. वर्ष 2021-22 में भारत के द्वारा अमेरिका को 76 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था. 

अब अमेरिका में मंदी की शुरुआत जैसी स्थिति के मद्देनजर भारतीय निर्यात पर असर दिख रहा है. चीन सहित दुनिया के कई देशों को भी निर्यात बढ़ाने में चुनौती दिख रही है. ऐसे में निर्यात के नए बाजार खोजना जरूरी है. 

लैटिन अमेरिका के 3 देशों में निर्यात बढ़ाने पर दिया जा रहा है जोर

उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री जयशंकर 22 से 27 अगस्त तक लैटिन अमेरिका के तीन देशों ब्राजील, अर्जेंटीना व पैराग्वे के दौरे पर रहे और वहां उन्होंने निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं खोजीं. पिछले वित्त वर्ष में लैटिन अमेरिकी देशों को 18.89 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया गया था. 

चूंकि कोविड-19 के बीच भारत ने 200 से अधिक देशों को कोरोना की दवाइयां निर्यात की हैं, अतएव भारत से भावनात्मक रूप से जुड़े ऐसे देशों में निर्यात की नई संभावनाएं मुट्ठियों में ली जा सकती है. अब देश के द्वारा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को तेजी से आकार देने की रणनीति पर भी आगे बढ़ना होगा. इससे भी निर्यात बढ़ेंगे.

बिना अमेरिकी डॉलर से भारत से कोई भी कर सकता है व्यापार

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपए में किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय से जहां भारतीय निर्यातकों और आयातकों को अब व्यापार के लिए डॉलर की अनिवार्यता नहीं रहेगी, वहीं अब दुनिया का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डॉलर के व्यापार कर सकता है. 

जहां डॉलर संकट का सामना कर रहे रूस, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान, एशिया और अफ्रीका सहित कई छोटे-छोटे देशों के साथ भारत का विदेश व्यापार तेजी से बढ़ेगा, वहीं भारत का व्यापार घाटा कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा. 

भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार से दोनों देशों को हुआ फायदा

इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि जिस तरह भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार को ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे की मुद्राओं में करने को लेकर दोनों देशों ने कदम आगे बढ़ाए हैं, उसी तरह भारत के द्वारा अन्य देशों के साथ एक दूसरे की मुद्राओं में भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. 

यह बात महत्वपूर्ण है कि रूस ने कहा है कि भारत की भुगतान व्यवस्था रुपए और रूस की भुगतान व्यवस्था रूबल के बीच उपयुक्त सामंजस्य बनाने की कोशिश दोनों देशों के लिए लाभप्रद होगी. 

हम उम्मीद करें कि प्रवासी भारतीयों से अधिक विदेशी मुद्रा का सहयोग प्राप्त हो सकेगा, व्यापार घाटे में कमी लाई जा सकेगी और घटता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार फिर से संतोषजनक स्थिति में पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगा.

Web Title: challenge dealing with the growing trade deficit India is taking this step to solve it russia usa china taiwan

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे