बाढ़ के कहर से जूझता देश, काश पर्यावरण के साथ ना किया होता ऐसा...

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 21, 2018 04:38 AM2018-08-21T04:38:31+5:302018-08-21T04:38:31+5:30

भारत में बाढ़ की रोकथाम के बारे में सबसे अधिक कार्य वैज्ञानिक डा। मेघनाद साहा ने किया है। उन्होंने भारत की नदियों की समस्या की व्याख्या की और बताया कि जर्मनी, अमेरिका और रूस में कैसे नदियों को नियंत्रित किया जाता है।

causes of floods in India, atmosphere pattern changes | बाढ़ के कहर से जूझता देश, काश पर्यावरण के साथ ना किया होता ऐसा...

बाढ़ के कहर से जूझता देश, काश पर्यावरण के साथ ना किया होता ऐसा...

निरंकार सिंह

केरल में भारी वर्षा और बाढ़ से जो तबाही हुई है उससे यह साबित हो गया है कि जलवायु का पैटर्न बदल रहा है। खनन और वृक्षों को काटकर पर्यावरण को जो क्षति पहुंचाई गई है उसका केरल को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 

दुनिया के कई देशों के साथ भारत भी बाढ़ और जलवायु परिवर्तन से परेशान है। इसके कारण हर साल लगभग 10 अरब डॉलर की चपत लग रही है। केरल के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, नगालैंड सहित देश के कुछ हिस्से जहां भारी वर्षा, बाढ़ से त्रस्त हैं, वहीं कुछ राज्य पर्याप्त वर्षा नहीं होने से परेशान हैं। मुंबई और बेंगलुरू में तो भारी वर्षा से जनजीवन ठप हो जाता है। 

केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 64 साल यानी 1953 से 2017 के बीच भारत में बाढ़ से कुल 1,07487 लोगों की मौत हो गई। इसमें 3,65,860 करोड़ रु। का नुकसान हुआ है। इस साल बाढ़ से अब तक 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ आज भी हमारे देश के लिए एक बड़ी समस्या है। बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश और पूर्वाेत्तर के राज्यों में भी बाढ़ की समस्या हर साल पैदा होती है। पर अब तक बाढ़ रोकने और नियंत्रित करने के लिए हम किसी कारगर योजना को अंजाम नहीं दे सके हैं। इसलिए जब वर्षा कम होती है तो सूखा पड़ जाता है और जब अधिक हुई तो बाढ़ आ जाती है। 

भारत में बाढ़ की रोकथाम के बारे में सबसे अधिक कार्य वैज्ञानिक डा। मेघनाद साहा ने किया है। उन्होंने भारत की नदियों की समस्या की व्याख्या की और बताया कि जर्मनी, अमेरिका और रूस में कैसे नदियों को नियंत्रित किया जाता है। बाढ़ नियंत्रण की योजनाएं तभी सफल हो सकती है जब बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों की नदियों के जलविज्ञान व स्थलाकृति संबंधी विज्ञान का गहन अध्ययन किया जाए। नदी के विशेष स्थानों पर बाढ़ आने का सही अनुमान लगाया जाए। 

Web Title: causes of floods in India, atmosphere pattern changes

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