लाइव न्यूज़ :

पंकज चतुर्वेदी ब्लॉग: किशोरों के लिए ठोस नीति के अभाव का नतीजा है साक्षी की पाशविक हत्या

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 10, 2023 15:07 IST

राजधानी दिल्ली में शाहबाद डेयरी इलाके में एक नाबालिग बच्ची की सरेआम चाकू मार कर हत्या कर दी गई और उसकी हत्या करने वाला और कोई नहीं उसका अपना दोस्त था।

Open in App

जब एक 16 साल की लड़की को पाशविकता से मार दिया गया तो देश, समाज, धर्म, सरकार सभी को याद आई कि दिल्ली में रोहिणी के आगे कोई शाहबाद डेयरी नामक बस्ती भी है।

महज जीने की लालसा लिए दूरदराज के इलाकों से सैकड़ों किलोमीटर पलायन कर आए मजदूर-मेहनतकश बहुल झुग्गी इलाका है। यह यहां रहने वाली आबादी को साफ पानी नहीं मिलता है, गंदे नाले, टूटी-फूटी सड़कों की भीषण समस्या तो है ही, एक इंसान होने के अस्तित्व की तलाश यहां किसी गुम अंधेरे में खो जाती है। 

चूंकि साक्षी की हत्या दूसरे धर्म को मानने वाले ने की थी तो किसी के लिए यह धार्मिक साजिश है तो किसी के लिए पुलिस की असफलता तो किसी के लिए और कुछ एक सांसद पहुंच गए, कई विधायक, मंत्री गए, यथासंभव सरकारी फंड से पैसे दे आए।

दुर्भाग्य है कि नीतिनिर्धारक एक बच्ची की हत्या को एक अपराध और एक फांसी से अधिक नहीं देख रहे। मरने वाली 16 की और मारने वाला भी 20 वर्ष का। दिल्ली की एक तिहाई आबादी शाहबाद डेयरी जैसी नारकीय झुग्गियों में बसती है।

मेरठ, आगरा में कुल आबादी का 45 फीसदी ऐसे असहनीय पर्यावास में बसता है. अब देश का कोई कस्बा-शहर-महानगर बचा नहीं है जो पलायन-मजदूरी और मजबूरी के त्रिकोण के साथ ऐसी बस्तियों में न बस रहा हो।

 इस हत्याकांड के व्यापक पक्ष पर कोई प्रश्न नहीं उठा रहा- एक तो इस तरह की बस्तियों में पनप रहे अपराध और कुंठा और देश में किशोरों के लिए, खासकर निम्न आयवर्ग और कमजोर सामाजिक स्थिति के किशोरों के लिए किसी ठोस कार्यक्रम का अभाव।

सन् 2013 में अर्थात एक दशक पहले विभिन्न गंभीर अपराधों में किशोरों की बढ़ती संलिप्तता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि हर थाने में किशोरों के लिए विशेष अधिकारी हो लेकिन देश में शायद ही इसका कहीं पालन हुआ हो. सवाल तो यह है कि किशोर या युवा अपराधों की तरफ जाएं न, इसके लिए हमारी क्या कोई ठोस नीति है?

रोजी-रोटी के लिए मजबूरी में शहरों में आए ये युवा फांसी पर चढ़ने के रास्ते क्यों बना लेते हैं? असल में किसी भी नीति में उन युवाओं का विचार है ही नहीं. वस्तुत: कुशल जन-बल के निर्माण के लिए निम्न आय वर्ग बस्तियों में रहने वाले किशोर वास्तव में ‘कच्चे माल’ की तरह हैं, जिसका मूल्यांकन कभी ठीक से किया ही नहीं गया।

जरूरत है ऐसी बस्तियों में नियमित काउंसलिंग, मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्य विमर्श की. किशोरों को स्वस्थ मन:स्थिति के लिए व्यस्त रखने वाली गतिविधियों की और इस ताकत को समाज और देश निर्माण के लिए परिवर्तित करने वाली गतिविधि, नीति और मार्गदर्शकों की।

टॅग्स :दिल्लीदिल्ली पुलिसदिल्ली क्राइमहत्या
Open in App

संबंधित खबरें

भारतपीएम मोदी से मिले राहुल गांधी?, मुख्य सूचना आयुक्त और 8 सूचना आयुक्तों के चयन पर बैठक, कांग्रेस सांसद ने असहमति पत्र दिया

बॉलीवुड चुस्कीसंगीतकार पलाश मुच्छल से शादी तोड़ने के बाद पहली बार दिखीं स्मृति मंधाना?, कहा-मुझे नहीं लगता क्रिकेट से ज्यादा मैं किसी चीज से प्यार करती हूं, वीडियो

भारतGoa Nightclub Fire: लूथरा ब्रदर्स ने जमानत के लिए दिल्ली कोर्ट में लगाई अर्जी, गिरफ्तारी से बचने के लिए दायर की याचिका

क्राइम अलर्टDelhi: पूर्वी दिल्ली के स्कूलों में बम की धमकी से हड़कंप, फौरन खाली कराया गया; पुलिस मौजूद

भारतDelhi: होटलों में तंदूर में कोयले के इस्तेमाल पर रोक, खुले में कचरा जलाने पर लगेगा 5000 का जुर्माना; बढ़ते AQI पर सरकार सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतFIH Men's Junior World Cup: जर्मनी ने गोल्ड पर किया कब्जा, स्पेन के पास रजत और भारत ने जीता कांस्य

भारतगोवा अग्निकांड: गौरव और सौरभ लूथरा का पासपोर्ट रद्द करने पर विचार कर रहा विदेश मंत्रालय, गोवा सरकार ने पत्र दिया?

भारतइजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को किया फोन?, गाजा शांति योजना पर बातचीत

भारतमुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीण योजनाः 8000 सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिला?, अदिति तटकरे ने कहा- 12,000 से 14,000 महिलाओं ने पति खातों का किया इस्तेमाल

भारतक्या अधिकारी उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ को प्राथमिकी में नामजद न करके बचाने की कोशिश कर रहे हैं?, मुंबई उच्च न्यायालय ने पुणे विवादास्पद भूमि सौदे पर पूछे सवाल?