ब्लॉग: लद्दाख की हवा में बढ़ती राजनीतिक गर्मी को दूर करना होगा

By शशिधर खान | Published: February 28, 2024 10:48 AM2024-02-28T10:48:01+5:302024-02-28T10:54:10+5:30

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लद्दाख में लगातार चल रहे जनआंदोलनों को देखते हुए लद्दाख सिविल सोसाइटी संगठन नेताओं से बातचीत की। 

Blog: The rising political heat in the air of Ladakh needs to be removed | ब्लॉग: लद्दाख की हवा में बढ़ती राजनीतिक गर्मी को दूर करना होगा

ब्लॉग: लद्दाख की हवा में बढ़ती राजनीतिक गर्मी को दूर करना होगा

Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख में चल रहे जनआंदोलनों को देखते हुए सिविल सोसाइटी से बात की केंद्र सरकार लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर विचार करते को तैयार हो गई हैलद्दाखी सिविल सोसाइटी बीते दो वर्षों से केंद्र के साथ विभिन्न मांगों को लेकर वार्ता कर रहा हूं

पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लद्दाख में लगातार चल रहे जनआंदोलनों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख सिविल सोसाइटी संगठन नेताओं से बातचीत की। वार्ता को सार्थक कहा जाए या नहीं, इस पर कोई राय तभी बनाई जा सकती है, जब ठोस मुद्दे पर सहमति हो। लद्दाख के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर विचार करते को तैयार हो गई है, जबकि गृह मंत्रालय ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।

विभिन्न मांगों को लेकर लद्दाखी सिविल सोसाइटी संगठनों की केंद्र से वार्ता दो वर्षों से चल रही है और गत हफ्ते की दिल्ली बैठक में तीसरे दौर की बातचीत हुई लेकिन हालिया 19 फरवरी और 24 फरवरी की बैठक में लद्दाखी नेताओं के तेवर निर्णायक दौर के मूडवाले थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाखी नेताओं को बुलाया भी उसी वक्त था, जब वहां की हवा में राजनीतिक गर्मी उफान पर आ गई। इस बार की बातचीत वैसे समय में हुई है, जब लद्दाखी नेता अपनी सबसे महत्वपूर्ण मांग को पत्थर की तरह ठोस बनाकर दिल्ली आए, इसलिए पहले की तरह तरल वायदों से शायद केंद्र सरकार का काम न चले।

लद्दाखियों की प्रमुख मांगें हैं- लद्दाख यूटी (केंद्र शासित क्षेत्र) को पूर्ण राज्य और जनजातीय क्षेत्र का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए और लद्दाख के लिए अलग लोक सेवा आयोग का गठन हो। इन मांगों में नंबर एक है, लद्दाख को राज्य का दर्जा। 19 फरवरी की बैठक में तय हुआ कि संयुक्त उपसमिति के साथ 24 फरवरी को इन मांगों पर चर्चा होगी। लेकिन किसी भी मांग पर सहमति बनने जैसी भनक नहीं मिली।

श्रीनगर से छपनेवाले अखबार ‘ग्रेटर कश्मीर’ ने 25 फरवरी को लिखा कि 19 से 24 फरवरी तक सिर्फ इतना हुआ कि आंदोलनकारियों की मांगों पर चर्चा के लिए संयुक्त उप-समिति का गठन हुआ और उसकी पहली बैठक दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव के साथ हुई। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार लद्दाख को ‘संवैधानिक सुरक्षा’ प्रदान करने से एक भी कदम आगे बढ़ने के पक्ष में नहीं है।

‘संवैधानिक सुरक्षा’ का तात्पर्य लद्दाख की परंपरागत संस्कृति, रीति-रिवाज, पर्यावरण और अपनी अलग पहाड़ी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा से जुड़े पहलुओं से है। 24 फरवरी की बैठक के बाद यह खबर आई कि सरकार कानूनी विशेषज्ञों से राय ले रही है। चीन और पाकिस्तान की सीमा से सटे होने के कारण लद्दाख का मामला संवेदनशील है। ऐसे में केंद्र को स्थानीय लोगों की भावना को समझना होगा। लद्दाखियों को विश्वास में लिए बगैर सीमा की सुरक्षा और इस क्षेत्र पर कब्जा बनाए रखना मुश्किल है।

Web Title: Blog: The rising political heat in the air of Ladakh needs to be removed

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