ब्लॉग: रोंगटे खड़े कर देती हैं विभाजन की कहानियां
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 14, 2023 08:57 AM2023-08-14T08:57:31+5:302023-08-14T09:36:06+5:30
देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस देश के निवासी विभाजन की विभीषिका को समझें ताकि विभाजनकालीन इतिहास और परिस्थिति के प्रति सतर्क एवं जागरूक रहें।
देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस देश के निवासी विभाजन की विभीषिका को समझें ताकि विभाजनकालीन इतिहास और परिस्थिति के प्रति सतर्क एवं जागरूक रहें।
इतिहास के इस दर्दनाक अध्याय और उस दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना से भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को परिचित कराने के उद्देश्य के तहत भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
विश्व इतिहास के इस क्रूर जख्म का प्रभाव आज भी देश भुगत रहा है। भारत को ब्रिटिश शासकों ने विभाजित कर कमजोर करने का कार्य किया। लाखों लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर ब्रिटिश हुकूमत से स्वाधीनता प्राप्त की थी परंतु भारत की आजादी के साथ देश का विभाजन एक गहरा घाव दे गया।
वैसे विभाजन कोई भी अच्छा नहीं होता, परंतु धर्म विशेष के नाम पर एक पूरी सभ्यता और संस्कृति का विभाजन विश्व इतिहास में हमेशा के लिए एक दर्दनाक याद बना रहेगा। इस विभाजन से जमीन, सड़क, रेल, नकदी, नदी, डाक टिकट, सोने की ईंटें, किताबें तक सारी चीजें बंटीं।
कहा जाता है कि भारत विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब दस लाख लोग मारे गए थे। बंटवारे के समय लाहौर, सियालकोट, गुजरांवाला, शेखपुरा, गुजरात, शाहपुर, रावलपिंडी, झेलम, झंग, मुलतान, मुजफ्फरगढ़, मोन्टगोमरी आदि से 10 लाख से अधिक लोगों ने पलायन किया था। विभाजन के समय पंजाब में छोटे-बड़े 85 शरणार्थी शिविर लगे थे।