ब्लॉगः गरीबी के आधार पर आरक्षण...ऐसा होता तो भारत की गिनती दुनिया के महासंपन्न और महाशक्तिशाली राष्ट्रों में होती..

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 10, 2022 04:24 PM2022-11-10T16:24:28+5:302022-11-10T16:25:53+5:30

संविधान की किसी धारा में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निश्चित नहीं की गई है। वो तो मान ली गई है 1992 में सर्वोच्च न्यायालय में आए इंदिरा साहनी मामले के कारण! उसी समय नरसिंह राव सरकार ने गरीबी के आधार पर लोगों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। उसी घोषणा को 2019 में भाजपा सरकार ने संविधान का अंग बना दिया। 

Blog Reservation on the basis of poverty bjp congress supreme court | ब्लॉगः गरीबी के आधार पर आरक्षण...ऐसा होता तो भारत की गिनती दुनिया के महासंपन्न और महाशक्तिशाली राष्ट्रों में होती..

ब्लॉगः गरीबी के आधार पर आरक्षण...ऐसा होता तो भारत की गिनती दुनिया के महासंपन्न और महाशक्तिशाली राष्ट्रों में होती..

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का कौन स्वागत नहीं करेगा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण का आधार सिर्फ गरीबी होगी। यह 10 प्रतिशत आरक्षण अतिरिक्त है। यानी पहले से चले आ रहे 50 प्रतिशत आरक्षण में कोई कटौती नहीं की गई है।

फिर भी पांच में से दो जजों ने इस आरक्षण के विरुद्ध फैसला दिया है और तमिलनाडु की सरकार ने भी इसका विरोध किया है। जिन दो जजों ने इसके विरुद्ध फैसला दिया है उनका कहना है कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देना संविधान का उल्लंघन करना है। लेकिन संविधान की किसी धारा में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निश्चित नहीं की गई है। वो तो मान ली गई है 1992 में सर्वोच्च न्यायालय में आए इंदिरा साहनी मामले के कारण! उसी समय नरसिंह राव सरकार ने गरीबी के आधार पर लोगों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। उसी घोषणा को 2019 में भाजपा सरकार ने संविधान का अंग बना दिया। 

अब कांग्रेस और भाजपा दोनों इसका श्रेय लूटने की प्रतिस्पर्धा में हैं लेकिन मैं तो जन्म के आधार पर दिए गए सारे आरक्षणों के विरुद्ध हूं। मेरी राय में आरक्षण जन्म के आधार पर नहीं, जरूरत के आधार पर दिया जाना चाहिए। मुझे खुशी थी कि नरसिंह राव और मनमोहन सिंह सरकार ने उस दिशा में कदम बढ़ाए और मोदी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने इस मामले में ठोस निर्णय का साहस दिखाया। लेकिन यह काम अभी भी अधूरा है। संसद में 2019 में जब गरीबी को आरक्षण का आधार बनाकर सरकार विधेयक लाई थी, तब 323 सांसदों ने उसका समर्थन किया था और सिर्फ तीन सांसदों ने विरोध।

गरीबी के आधार पर दिया गया आरक्षण कहीं बेहतर सिद्ध होता। वह भारत में एकता और समानता का मूलाधार बनता और 75 साल में भारत की गिनती दुनिया के महासंपन्न और महाशक्तिशाली राष्ट्रों में हो जाती।  

Web Title: Blog Reservation on the basis of poverty bjp congress supreme court

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