ब्लॉग: नेताओं के आपराधिक मामले जल्द निपटाने का आदेश सराहनीय
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 11, 2023 12:37 PM2023-11-11T12:37:10+5:302023-11-11T12:38:13+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में जल्द सुनवाई पूरी किए जाने की जरूरत है। कोर्ट ने विशेष अदालतों से यह भी कहा कि वे दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर ऐसे मामलों में कार्यवाही स्थगित न करें।
नई दिल्ली: सांसदों और विधायकों के खिलाफ दशकों से चल रहे आपराधिक मामलों की अब जल्द सुनवाई पूरी होगी और फैसला भी जल्द आएगा, ऐसी उम्मीद है। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी हों या पुलिस कस्टडी में मारे जा चुके अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज मुकदमों में फैसला आने में दो से तीन दशक लग गए। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में जल्द सुनवाई पूरी किए जाने की जरूरत है।
कोर्ट ने विशेष अदालतों से यह भी कहा कि वे दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर ऐसे मामलों में कार्यवाही स्थगित न करें। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि देश भर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 5175 मुकदमे लंबित हैं। इनमें से लगभग 40 प्रतिशत मामले पांच साल से ज्यादा समय से अदालतों में लंबित हैं। इनमें से सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश में हैं जिनकी संख्या लगभग 1377 है, जबकि महाराष्ट्र में 482 केस लंबित हैं। नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामलों को प्राथमिकता से निपटाने की गुहार कई बार लगाई जा चुकी है।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इस देश में अधिकतर नेता अपराधों में लिप्त रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन नेताओं के अपराधों के शीघ्र निपटारे के लिए विशेष अदालतों व फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का फैसला लिया, इस फैसले के 5 साल बाद भी आज देश के न्यायालयों में नेताओं के खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक मामले लंबित हैं। नेताओं को न्यायालयों के फैसलों की चिंता इसलिए नहीं होती, क्योंकि अपराधी घोषित होने संबंधी फैसले तक उन्हें कोई चुनाव लड़ने से रोक नहीं सकता, यहां तक कि जेल में रहकर भी नेता चुनाव लड़ सकता है।
न्यायालयों में इन नेताओं के मामलों का निपटारा नहीं हो पाने के कई कारण होते हैं। जैसे नेताओं के पास पैसे और समय की कमी नहीं होती। इसलिए उनके वकील मामलों का निपटारा नहीं होने देते। एक कारण यह भी है कि आपराधिक मामलों का कोई भी गवाह बार-बार कोर्ट आना नहीं चाहता, गवाहों को धमकाया जाता है, इसके कारण कई बार गवाह अपने बयान बदल देते हैं।
अगर एक कांस्टेबल पर आपराधिक मामला सिद्ध होता है तो उसे सजा मिलती है और उसकी नौकरी चली जाती है। वहीं दूसरी ओर एक सांसद गंभीर अपराध के लिए दोषी पाया जाता है तो वो केवल छह साल के लिए जेल जाता है और बाहर आकर विधायक बन जाता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर पहले भी अपनी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने वकीलों से कहा था कि हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट तारीख पर तारीख वाली अदालत बन जाए। भारत सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने ही ऐसे मामलों में सख्त कानून बना रखे हैं, लेकिन यह सिर्फ कहने को ही सख्त हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सांसदों/विधायकों के खिलाफ 5,000 से ज्यादा आपराधिक मामलों की तेजी से सुनवाई हो सकेगी।