ब्लॉग: योजनाबद्ध संरक्षण से ही भविष्य में बच पाएंगे ऊर्जा संकट से

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 14, 2023 10:05 AM2023-12-14T10:05:55+5:302023-12-14T10:12:05+5:30

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना है।

Blog: Only planned conservation will save us from energy crisis in future | ब्लॉग: योजनाबद्ध संरक्षण से ही भविष्य में बच पाएंगे ऊर्जा संकट से

फाइल फोटो

Highlightsराष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता हैइसका उद्देश्य लोगों को ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना है।ऊर्जा संरक्षण का मतलब है ऊर्जा का उपयोग कम करना

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना है। ऊर्जा संरक्षण का मतलब है ऊर्जा का उपयोग कम करना। हम अपने दैनिक जीवन में आवश्यकतानुसार बिजली, पानी और ईंधन का सही उपयोग करके और ऊर्जा कुशल उपकरणों का इस्तेमाल करके ऊर्जा संरक्षण कर सकते हैं।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को ऊर्जा संरक्षण के बारे में शिक्षित करना और उन्हें ऊर्जा संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने की शुरुआत 1991 में हुई थी. तब से हर साल 14 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने के लिए 14 दिसंबर का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि इसी दिन 1991 में भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 1991 को पारित किया था। इस अधिनियम का उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देना है। हम सबको अपने दैनिक जीवन में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके ऊर्जा संरक्षण में योगदान देना चाहिए। जैसे, जब बिजली की जरूरत न हो तो बल्ब और पंखे बंद कर देने चाहिए। जब पानी की जरूरत न हो तो नल बंद कर दें। जब गाड़ी न चलाना हो तो इंजन बंद कर दें और ऊर्जा कुशल उपकरणों का इस्तेमाल करें। इन छोटे-छोटे बदलावों से हम ऊर्जा का सही उपयोग कर सकते हैं और इसकी बर्बादी को रोक सकते हैं।

हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकतर ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पेट्रोलियम उत्पाद, कोयला, गैस, लकड़ी के ईंधन आदि गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत शामिल हैं। जीवाश्म ईंधन हजारों सालों तक पृथ्वी के नीचे दबे पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के जीवाश्मों से प्राप्त होते हैं और इनके भंडार अब बहुत सीमित रह गए हैं। आबादी बढ़ने के साथ-साथ पूरे विश्व और भारत की ऊर्जा जरूरतें बढ़ती जा रही हैं।

ऐसे में भारत सहित विश्व भर में ऊर्जा को लेकर एक बड़ा संकट पैदा हो सकता है। इसके अलावा ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों से पृथ्वी और पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है, जो जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान को सीमित करने के लिए अब ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की मांग बढ़ रही है, लेकिन अभी नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा हमारी दैनिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए ऊर्जा संरक्षण करना बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण हो जाता है। ऊर्जा संरक्षण करके ही हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को हरित ऊर्जा के माध्यम से पूरा कर सकेंगे।

Web Title: Blog: Only planned conservation will save us from energy crisis in future

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