शोभना जैन का ब्लॉग: चुनाव, मोदी और संयुक्त अरब अमीरात में हिंदू मंदिर का निर्माण
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 7, 2019 03:11 PM2019-04-07T15:11:10+5:302019-04-07T15:11:10+5:30
गौरतलब है कि अमीरात में लगभग 28 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं.इससे पूर्व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भी यह पुरस्कार मिल चुका है.
देश में चुनावी ज्वर में घरेलू चुनावी मुद्दों के अलावा परदेस के भी एक मंदिर से जुड़ा मुद्दा तेजी से चर्चा में आ गया है. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक और प्रतिष्ठित ‘जायद मेडल’ पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद से चर्चा है कि क्या चुनावी मौसम में पीएम मोदी यह पुरस्कार ग्रहण करने खुद वहां जाएंगे और इस दौरान अबुधाबी में देश के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास करेंगे.
इस चुनावी मौसम में विदेश यात्ना से जुड़े मंदिर के शिलान्यास के राजनीतिक या यूं कहें चुनावी पहलू के साथ ही राजनयिक पहलू, उसके औचित्य, परदेस में मंदिर का शिलान्यास और आदर्श चुनाव संहिता के दायरे को लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.
दरअसल, मुद्दा प्रधानमंत्नी की विदेश यात्ना नहीं है, विदेश यात्ना वह कभी भी कर सकते हैं, अहम मुद्दा है इस यात्ना के होने की स्थिति में उनके हिंदू मंदिर के शिलान्यास करने का. हिंदू मतदाताओं की आस्था से जुड़े परदेस के मंदिर मुद्दे से देश में हिंदू मतदाता भी प्रभावित होगा. भाजपा समर्थक उसे हिंदू गौरव के रूप में पेश करेंगे.
सत्ता पक्ष के एक नेता का कहना है कि सम्मान भारत के लिए गौरव का विषय है और अगर पीएम इसे ग्रहण करने के लिए वहां जाते भी हैं और मंदिर का भी शिलान्यस करते हैं तो उसे राष्ट्र के गौरव के रूप में देखा जाना चाहिए. हालांकि इस यात्ना को लेकर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा/ टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि दोनों देश इस यात्ना की तैयारियां कर रहे हैं. हो सकता है कि प्रधानमंत्नी आगामी 20 अप्रैल को एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल के साथ अमीरात का संक्षिप्त दौरा करें और पुरस्कार ग्रहण करने के साथ ही इस मंदिर का शिलान्यास भी करें.
बहरहाल यहां बात यात्ना से जुड़ी डिप्लोमेसी की. अनेक पूर्व राजनयिकों का कहना है कि भले ही यह घरेलू राजनीति से जुड़ा मुद्दा हो लेकिन दोनों देशों के दीर्घकालिक रिश्तों के लिए चुनावी मौसम में फिलहाल वहां जाकर मंदिर का भूमि पूजन करने के लिए यह समय सही नहीं है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्नी मोदी की गत वर्ष फरवरी की अबुधाबी यात्ना में पीएम ने इस मंदिर का भूमि पूजन किया था जब वे दुबई में विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दुबई गए थे. तब वहां पर उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भी संबोधित किया था. तब भी भारत में अबुधाबी के पहले हिंदू मंदिर की खासी चर्चा रही थी और भाजपा समर्थक वर्गो ने इसे आस्था से जुड़ी उपलब्धि से जोड़ा था. प्रधानमंत्नी ने अगस्त 2015 में यूएई की पहली यात्ना की थी.
पूर्व राजदूत एवं पश्चिम एशिया मामलों के विशेषज्ञ अनिल त्रिगु्णायत के अनुसार पीएम मोदी का यह सम्मान भारत-अमीरात के प्रगाढ़ होते रिश्तों का द्योतक है. अमीरात एक समावेशी व्यवस्था वाले देश के रूप में उभर रहा है. इस मंदिर के लिए शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद द्वारा भूमि दिया जाना भारत के प्रति बढ़ती मैत्नी और सहिष्णु समाज का प्रतीक है. विदेश नीति के लिए पुरस्कार और बढ़ते रिश्ते अच्छी बात हैं लेकिन साथ ही चूंकि यह चुनावी मौसम है तो चुनाव आयोग से पूछ कर ही यह यात्ना की जानी चाहिए.
वैसे पीएम मोदी स्वयं काफी विचार करके ही वहां जाएंगे. एक अन्य पूर्व राजनयिक का कहना है कि पुरस्कार भारत के लिए सम्मान की बात है लेकिन निश्चित तौर पर मोदी समर्थक उसका इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए करेंगे जो कि डिप्लोमेसी के लिए उचित नहीं है. गौरतलब है कि अमीरात में लगभग 28 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं.
इससे पूर्व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भी यह पुरस्कार मिल चुका है.