पवन के वर्मा का ब्लॉग: पाकिस्तान से निपटने के लिए स्पष्ट नीति जरूरी
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: September 26, 2018 13:18 IST2018-09-26T13:18:52+5:302018-09-26T13:18:52+5:30
भारत के प्रति पाकिस्तान का रवैया एकदम स्पष्ट है। जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि पाकिस्तान सोची-समझी रणनीति के तहत भारत के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाता है।

पवन के वर्मा का ब्लॉग: पाकिस्तान से निपटने के लिए स्पष्ट नीति जरूरी
पवन के वर्मा
मैं सुषमा स्वराजजी का बहुत सम्मान करता हूं। वह मौजूदा सरकार की सबसे योग्य मंत्रियों में से एक है। इसी कारण मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि पाकिस्तान के प्रति हमारी नीति को लेकर क्या हो रहा है।
भारत के प्रति पाकिस्तान का रवैया एकदम स्पष्ट है। जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि पाकिस्तान सोची-समझी रणनीति के तहत भारत के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाता है। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी पाकिस्तान के इस रवैये में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
यही कारण है कि सत्ता संभालने के बाद जब इमरान खान भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे, तब दूसरी ओर भारत के खिलाफ आतंकवाद को पाकिस्तान पूरी मजबूती के साथ समर्थन देता रहा, पाकिस्तान की नीति यही है कि हमला करने के बाद शांति की बात करो।
हमारा पाकिस्तान को क्या जवाब रहता है। मुझे लगता है कि हमारी नीति में निरंतरता नहीं है, न हमारी पाकिस्तान को उचित जवाब देने की तैयारी है।
बातचीत की इमरान की पेशकश अपेक्षित होनी चाहिए थी। हमें इसके लिए तैयार भी रहना चाहिए था। हमें पहले पहल कर यह बयान जारी कर देना चाहिए था कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री आतंकवाद का रास्ता छोड़ दें ताकि दोनों देशों के बीच आतंकवाद सहित विभिन्न मसलों पर नए सिरे से वार्ता हो सके।
ऐसे में गेंद पाकिस्तान के पाले में होती। चूंकि हमने कुछ नहीं किया तो सब उल्टा हो गया। पाकिस्तान ने बातचीत की पेशकश कर दी और हम जवाब ढूंढने में व्यस्त हो गए। हमारा जवाब भी आया।
पहले हमने यह कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की न्यूयार्क में मुलाकात होगी। बाद में हमने स्पष्ट किया कि मुलाकात होगी, बातचीत नहीं। इसका क्या मतलब हुआ?
इसके बाद हमें और शर्मिंदा होना पड़ा। अगले ही दिन विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों की प्रस्तावित मुलाकात रद्द हो गई। पाकिस्तान परस्त आतंकियों द्वारा हमारे जवानों की हत्या और आतंकवादी बुरहान वानी को पाकिस्तान द्वारा सम्मान दिए जाने को इसका कारण बताया गया।
यह सब रहस्यमय था। क्या हमें बुरहान वानी के आतंकी होने में शक था और क्या वार्ता की घोषणा के पहले पाकिस्तानी आतंकवादी हमारे जवानों की हत्या नहीं कर रहे थे? बुरहान के सम्मान में डाक टिकट जारी होने के बाद ही हमें पता चला कि पाकिस्तान का असली चेहरा क्या है?
सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को हमारा जवाब बेहद सतही था और उसमें कोई ठोस रवैया नहीं नजर आया। सवाल पाकिस्तान से वार्ता करने या न करने का नहीं है। असली मसला यह कि हम सुनियोजित रणनीति के तहत कदम उठाएं।
सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ को भव्य तरीके से मनाने की आड़ में बुनियादी मुद्दे से ध्यान नहीं हटाया जाना चाहिए। जवानों के साहस को निश्चित रूप से सलाम मगर सीमा पार से चल रही भारत विरोधी हरकतों को रोकने के लिए सिर्फ एक सर्जिकल स्ट्राइक काफी नहीं है और न ही ताकतवर होने का आभास करवाने से नीतिगत स्पष्टता झलकती है।
(पवन के वर्मा पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। वह एक आएफएस अधिकारी रह चुके हैं।)