Blog: संस्थान में नहीं सड़क पर दामन में दाग लगते हैं मैडम
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: December 15, 2017 15:18 IST2017-12-15T14:48:32+5:302017-12-15T15:18:20+5:30
मेनका गांधी ने वर्क प्लेस पर लोगों को सेक्शुअल हैरसमेंट से सुरक्षित बचाने के लिए चिट्ठी लिखकर नियमों का पालन करने को कहा है।

Blog: संस्थान में नहीं सड़क पर दामन में दाग लगते हैं मैडम
केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने तमाम बॉलीवुड के प्रोड्यूसर को पत्र लिखकर महिलाओं की सुरक्षा पर सचेत रहने की बात कही है। बॉलीवुड के निर्माताओं को उनके वर्क प्लेस पर लोगों को सेक्शुअल हैरसमेंट से सुरक्षित बचाने के लिए चिट्ठी लिखकर नियमों का पालन करने को कहा है। यह चिट्ठी सभी प्रोडक्शन हाउस को भेजी गईं हैं।
भेजे गए इस पत्र में साफ लिखा है कि इन प्रोडक्शन हाउस का लीडर होने के नाते आप भी कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं और आपकी भी कानूनी रूप से जिम्मेदारी है, कार्यस्थल पर सभी स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों की सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है।
खत का असर
ऐसे में जिस रफ्तार से हम आगे बढ रहे हैं उसी के साथ कई लोगों की मानसिक सोच और छोटी होती जा रही है। कभी छोटे कपड़े को कभी देर रात सड़क पर हुए दुर्वयवहार के लिए तो भाई संस्कारों पर तक सवाल उठ जाते हैं। लेकिन कोई उन तुच्छ लोगों की सोच के लिए क्यों नहीं बोलता। सरकार की ओर से पेश किए गए इस खत ने कहीं न कहीं एक बात साफ की है कि सरकार महिला सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं कर सकती है। हर किसी को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी। जैसा कि मेनका जी के खत में कहा गया है आपकी भी कानूनी रूप से जिम्मेदारी है, कार्यस्थल पर सभी स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों की सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है। लेकिन क्या सरकार की भी कोई जिम्मेदारी है।
वो हादसा
मुझे आज भी याद है 2012 में एक संस्थान में मेरी सहयोगी के साथ ऑफिस में एक लड़के ने दुर्वयव्हार किया था। उस लड़के के खिलाफ संस्थान ने एक्शन लिया और उसको बाहर निकाल दिया। लेकिन मेरी सहयोगी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने गई थी तो ये कह कर केस दर्ज नहीं किया गया था कि ऐसा तो रोज होता है हम कब तक ये सब करें। अब मेरे मन में कौतूहल ये है कि जब संस्थान एक्शन ले सकता है तो ये सरकार के लोग जो हमारी मदद के लिए हैं वो क्यों नहीं करते।
जिम्मेदारी से भागना
पिछले साल दर्ज अपहरण के 699 मामलों में से 524 में महिलाएं पीड़ित थीं।साल 2015 में दिल्ली में 7,937 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 792 मामले बालिग लोगों के अपहरण से जुड़े थे और कुल मामलों के 52.78 फीसदी में महिलाएं पीड़ित थीं। पिछले साल की तुलना में 2015 में रेप के 2,338 मामले दर्ज किए गए थे। सरकारी की ओर से इन आंकड़ों को रोकने के लिए संस्थानों को खत दिया गया है। वैसे एक सच ये भी है कि ऑफिसों से ज्यादा लड़कियां ऑटो, सड़क, बस में हासदों का शिकार रही हैं। तो क्या सरकार को ये खत महिलाओं को सुरक्षा को लेकर भेजा गया है फिर अपनी जिम्मदारियों से भागने के लिए। खैर ये मेरी निजी राय लेकिन एक महिला होने के नाते बड़ा दुख हुआ जब खुद सरकार मदद नहीं कर पा रही तो चंद घंटो संस्थान में काम करने वाली महिला सुरक्षित होगी। मुद्दा ये नहीं कि बॉलीवुड के लिए खत पेश किया गया है बात है महिला सुरक्षा पर सरकार का ये विचित्र कदम।