ब्लॉग: पन्नू मामले से सतर्क हुई जांच एजेंसी!

By हरीश गुप्ता | Published: December 14, 2023 09:51 AM2023-12-14T09:51:40+5:302023-12-14T09:56:35+5:30

कनाडा और अमेरिका में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को लेकर चल रहे विवाद ने माहौल खराब कर दिया है। कनाडा में अज्ञात हमलावरों द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश सुर्खियों में रही।

Blog: Investigation agency alerted by Pannu case! | ब्लॉग: पन्नू मामले से सतर्क हुई जांच एजेंसी!

फाइल फोटो

Highlightsकनाडा-अमेरिका में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को लेकर चल रहे विवाद ने माहौल खराब कर दिया हैकनाडा में अज्ञात हमलावरों द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से भारी बवाल मचा हुआ है वहीं अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश भी अखबारों की सुर्खियों में बनी हुई है

देश की शीर्ष जासूसी एजेंसी के एक उच्च वरिष्ठ अधिकारी एक पारिवारिक समारोह के लिए निजी यात्रा पर अमेरिका जाने पर विचार कर रहे थे। यद्यपि वे अनुकरणीय प्रदर्शन के बाद सेवा से सेवानिवृत्त हो गए थे, फिर भी उन्होंने आसन्न यात्रा को सरकार के ध्यान में लाना उचित समझा। कुछ ही घंटों में उन्हें संदेश मिला कि उन्हें अपने जोखिम पर अमेरिका जाना चाहिए क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं है। किसी भी विपरीत परिस्थिति में भारत सरकार शायद उनकी मदद न कर पाए।

कनाडा और अमेरिका में खालिस्तानी कार्यकर्ताओं को लेकर चल रहे विवाद ने माहौल खराब कर दिया है। कनाडा में अज्ञात हमलावरों द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश सुर्खियों में रही। न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अमेरिका भारत पर कड़ा दबाव बना रहा है। भारत ने अमेरिका को उक्त साजिश में एक भारतीय की कथित संलिप्तता के मुद्दे की जांच के लिए तेजी से कार्रवाई करने और एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का आश्वासन दिया है।

हालांकि कनाडा ने भारत के खिलाफ अपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया है, लेकिन बताया जाता है कि अमेरिका ने भारत सरकार के साथ अपनी जांच के बारे में विवरण साझा किया है। इस मामले में कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के लिए हाल ही में अमेरिका के कई वरिष्ठ खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों ने भी भारत का दौरा किया है। देश की शीर्ष जासूसी एजेंसी और सुरक्षा तंत्र की जानकारी रखने वालों का कहना है कि इस मुद्दे को सुलझाने में उम्मीद से अधिक समय लगेगा। इस बीच दोनों पश्चिमी देश भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की खुली धमकी देने वालों पर भी कार्रवाई करेंगे।

नॉन-स्टेट एक्टर्स की भूमिका

हाल के विवादों के कारण पश्चिमी दुनिया में देश की हॉट परस्यूट नीति ठंडी पड़ सकती है, लेकिन पाकिस्तान में छिपे भारत के दुश्मनों के खिलाफ कार्रवाई में कोई कमी आती नहीं दिख रही है। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार और मौलाना मसूद अजहर सहित अन्य वांछित आतंकवादियों से निकटता से जुड़े लोग पाकिस्तान में जान बचाने के लिए भागते फिर रहे हैं।

हालांकि आईएसआई ने उनमें से कुछ को सुरक्षित स्थान प्रदान किया था, फिर भी पाकिस्तान के कई शहरों में अज्ञात हमलावरों ने कई लोगों की हत्या कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी सरकार ने ऐसी हत्याओं के लिए भारत को दोषी नहीं ठहराया है। कारण यह है कि जब वाजपेयी के दौर में कारगिल में हमले हुए तो पाकिस्तानी नेतृत्व ने एक नया शब्द गढ़ा था।

पाकिस्तान ने तब यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ (राज्येतर कारकों) का काम है और इसमें सेना की कोई भागीदारी नहीं हैॉ। हालांकि तब अमेरिका ने हस्तक्षेप किया था और पाकिस्तान को दृढ़तापूर्वक पीछे हटने के लिए कहा था। ऐसा लगता है कि वही ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ शब्द अब आईएसआई को परेशान कर रहा है।

पिछले कुछ महीनों में ऐसे दो दर्जन से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए हैं और पाकिस्तान इस पर चुप्पी साधे हुए है। भारतीय संसद पर हमले सहित जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवाद फैलाने के लिए भारत पाकिस्तान को उसी अंदाज में जवाब दे रहा है। जब पाकिस्तान में भारत के जासूसी नेटवर्क को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा था तो केंद्र में पिछली कांग्रेस और संयुक्त मोर्चा सरकारों ने अनदेखी की थी।

एक मंत्रिस्तरीय हारा-कीरी !

दिल्ली की फायर-ब्रांड लोकसभा सांसद और विदेश एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने उस समय हलचल मचा दी जब उन्होंने लोकसभा में उनके हवाले से दिए गए एक जवाब को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी संसदीय प्रश्न का निपटारा नहीं किया और कभी भी उत्तर पर हस्ताक्षर नहीं किए।

लोकसभा का सत्र चल रहा है और फिर भी उन्होंने ‘एक्स’ (जिसे ट्विटर के नाम से जाना जाता है) पर अपनी शिकायत सार्वजनिक करने का विकल्प चुना। पूछा गया सवाल यह था कि क्या सरकार की भारत में हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने की कोई योजना है, और क्या इजराइल ने विशेष रूप से नई दिल्ली से ऐसा करने के लिए कहा था। अतारांकित प्रश्न का उत्तर उनके नाम से पिछले शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया था।

लेखी ने अपने पोस्ट के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया। एक अलग पोस्ट में, लेखी ने कहा: ‘जांच से जिम्मेदार व्यक्ति का पता चल जाएगा।’ मीनाक्षी लेखी को इस बारे में ट्वीट करते देख राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। संविधान के अनुच्छेद 75(3) में कहा गया है कि ‘मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होगी’, जिससे प्रत्येक मंत्री, वरिष्ठ या कनिष्ठ, को सरकारी नीति पर एक स्वर में बोलना बाध्यकारी हो जाता है।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस आधार पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव भी पेश किया कि लेखी ने मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का उल्लंघन किया है। विदेश मंत्रालय के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि साउथ ब्लॉक में सब कुछ ठीक नहीं है और लेखी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के बीच कुछ गड़बड़ है।

हालांकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्पष्ट किया कि तकनीकी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि उत्तर का श्रेय एक अन्य कनिष्ठ मंत्री वी. मुरलीधरन को दिया जाना चाहिए था। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जब मंत्री संसद में गलत उत्तर देते हैं और बाद में माफी मांगते हैं या वरिष्ठ मंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों की गलती को सुधारने के लिए आगे आते हैं लेकिन लेखी ने जो किया वह अभूतपूर्व है और ऐसा लगता है कि 22 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद और भी कुछ सामने आएगा।

भाजपा में पहले भी मिला है युवा चेहरों को मौका

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए पीएम मोदी द्वारा तीन नए युवा चेहरों को चुने जाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक गदगद हैं। इसमें कोई शक नहीं कि छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय (59 वर्ष), मध्य प्रदेश में मोहन यादव (58 वर्ष) और राजस्थान में भजन लाल शर्मा (56 वर्ष) युवा हैं।

लेकिन 2003 में जब भाजपा ने इन राज्यों में जीत हासिल की तो अटल-आडवाणी की टीम ने रमन सिंह (52 साल), शिवराज सिंह चौहान (44 साल) और वसुंधराराजे सिंधिया (50 साल) को मुख्यमंत्री बनाकर भेजा था। वे सभी अपेक्षाकृत युवा थे और इन राज्यों के सभी वरिष्ठ नेताओं को पछाड़ रहे थे। अगर यह 2023 में भाजपा में पीढ़ीगत बदलाव है तो 20 साल पहले भी यही हुआ था।

Web Title: Blog: Investigation agency alerted by Pannu case!

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे