ब्लॉग: तालाब बचेंगे तो कम आएंगे भूकंप

By पंकज चतुर्वेदी | Published: October 11, 2023 09:49 AM2023-10-11T09:49:13+5:302023-10-11T09:57:26+5:30

राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद के एक शोध से स्पष्ट हुआ है कि भूकंप का एक बड़ा कारण धरती की कोख से जल का अंधाधुंध दोहन करना भी है।

Blog: If ponds are saved then earthquakes will be less | ब्लॉग: तालाब बचेंगे तो कम आएंगे भूकंप

ब्लॉग: तालाब बचेंगे तो कम आएंगे भूकंप

Highlightsभूकंप का एक बड़ा कारण धरती की कोख से जल का अंधाधुंध दोहन करना भी हैदेश के जिन इलाकों में भूकंप आता रहता है, वहां तालाब, बावड़ी, छोटी नदियों का होना जरूरी हैइसलिए बेहद जरूरी है कि भूकंप वाले इलाकों में पारंपरिक जल निधियों को सूखने से बचाया जाना चाहिए

4 अक्तूबर 2023 को लगभग सारे उत्तरी भारत के साथ दिल्ली एनसीआर  में कोई 15 सेकंड तक धरती  थरथराई । यह झटका रेक्टर स्केल पर  6.2 का था , जिसे अति गंभीर माना जाता है।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने दिल्ली एनसीआर में भूकंप के बीते 63 सालों के आंकड़ों के आकलन  में पाया है कि अतिक्रमण व अवैध कब्जों की भेंट चढ़ रहे जलाशयों के ऊपर इमारतें भले खड़ी हो गई हों, लेकिन उनके नीचे पानी में अभी भी भूकंप के झटके लगते रहते हैं।

एनसीएस के मुताबिक एक जनवरी 1960 से लेकर 31 मार्च 2023 के दरम्यान 63 साल में दिल्ली-एनसीआर में अधिकेंद्र वाले कुल 675 भूकंप आए हैं लेकिन सन् 2000 तक 40 वर्षों में जहां केवल 73 भूकंप दर्ज किए गए, वहीं इसके बाद 22 वर्षों में 602 भूकंप रिकॉर्ड किए गए।

साल 2020 में दिल्ली में कुल 51 बार धरती थर्राई। एनसीएस के मुताबिक दिल्ली- एनसीआर में आने वाले भूकंप अरावली पर्वतमाला के नीचे बने छोटे-मोटे फाल्टों के कारण आते हैं, जो कभी-कभी ही सक्रिय होते हैं। यहां प्लेट टेक्टोनिक्स की प्रक्रिया भी बहुत धीमी है।

शुरुआत में भूकंप के झटके बहुत सामान्य थे जिनकी तीव्रता 1.1 से 5.1 तक थी लेकिन जैसे जैसे इस समग्र महानगर में जल निधियां सूखना  शुरू हुईं, सन्‌ 2000 के बाद भूकंप  की तीव्रता में तेजी आ रही है। खासकर यमुना के सूखने और उसकी कचार की जमीन पर निर्माण ने भूकंप से नुकसान की संभावना को प्रबल कर दिया है।

यमुना कई लाख साल पुरानी नदी है और धरती के भीतर भी पैलियों चैनल अर्थात भीतरी जल मार्ग हैं और इन जल मार्गों के सूखने और नष्ट होने से धरती के धंसने और हिलने की संभावना में इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद के एक शोध से स्पष्ट हुआ है कि भूकंप का एक बड़ा कारण धरती की कोख से जल का अंधाधुंध दोहन करना भी है।

भू-विज्ञानी के अनुसार भूजल धरती के भीतर लोड यानी कि एक भार के तौर पर उपस्थित होता है. इसी लोड के चलते फॉल्ट लाइनों में भी संतुलन बना रहता है। समझना जरूरी है कि देश के जिन भी इलाकों में यदा-कदा धरती कांपती रहती है, उन सभी शहर, जिलों  में पारंपरिक जल-निधियों- जैसे तालाब, झील, बावड़ी, छोटी नदियों को पानीदार बनाए रखना जरूरी है।

इसके साथ ही आज जरूरत है कि शहरों  में आबादी का घनत्व कम किया जाए, जमीन पर मिट्टी की ताकत मापे बगैर कई मंजिला भवन खड़े करने और बेसमेंट बनाने पर रोक लगाई जाए। भूजल के दोहन पर सख्ती हो, इसके साथ ही देश के भूकंप संभावित इलाकों के सभी मकानों में  भूकंप रोधी रेट्रोफिटिंग करवाई जाए। सबसे बड़ी बात अपनी पारंपरिक जल निधियों को सूखने से बचाया जाए।

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