ब्लॉग: देशभर में हों काशी-तमिल संगमम जैसे प्रयोग

By पंकज चतुर्वेदी | Published: December 27, 2023 11:50 AM2023-12-27T11:50:29+5:302023-12-27T11:55:44+5:30

तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर तक आना। तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरै मीनाक्षी के स्थान से काशी विशालाक्षी के स्थान तक आना।

Blog: Experiments like Kashi-Tamil Sangamam should be done across the country | ब्लॉग: देशभर में हों काशी-तमिल संगमम जैसे प्रयोग

फाइल फोटो

Highlightsतमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर तक आनातमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरै मीनाक्षी के स्थान से काशी विशालाक्षी के स्थान तक आनाकाशी की तरह कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर या फिर नासिक में इस तरह का आयोजन होना चाहिए

‘तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर तक आना। तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरै मीनाक्षी के स्थान से काशी विशालाक्षी के स्थान तक आना’। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘तमिलनाडु और काशी के लोगों के दिलों में जो प्यार और बंधन है, वह अलग और अनोखा है। मुझे यकीन है, काशी के लोग आप सभी की मेहमाननवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जब आप जाएंगे तो अपने साथ बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद, काशी का स्वाद, संस्कृति और यादें भी लेकर जाएंगे।’

काशी तमिल संगमम के दूसरे संस्करण का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कहा वह वास्तव में हमारे देश के विभिन्न अंचलों के साझा ज्ञान, साझा परंपराओं को सशक्त करने का सूत्र है। यह सच है कि भारत में राज्यों का विभाजन पहले भाषा और उसके बाद स्थानीय संस्कृति के आधार पर हुआ लेकिन दुखद है कि बहुत से राज्य देश के ही अन्य हिस्सों को भलीभांति समझा नहीं पाए।

हालांकि हमारे देश में ढेर सारी विविधता के बावजूद अतीत-सूत्र सभी को साथ बांधते हैं। बनारस में तमिलनाडु का 15 दिन का उत्सव उस समय को उत्खनित करता है, जिसकी जानकारी के अभाव में कभी तमिलनाडु में हिंदी या उत्तर भारतीय विरोधी स्वर देखा जाता था। जैसे-जैसे बेंगलुरु और हैदराबाद में बहुराष्ट्रीय कंपनियां आईं और वहां देशभर के लोग नौकरी के लिए पहुंचने लगे, अकेले भाषा ही नहीं, संस्कृति , पर्व, मान्यताओं के अनछुए पहलू सामने आने लगे।

इस समय अनिवार्य है कि काशी की ही तरह कश्मीर या अरुणाचल प्रदेश या फिर मणिपुर और नासिक में इस तरह का आयोजन हो, जिनमें किन्हीं दो ऐतिहासिक शहरों -नदियों-सांस्कृतिक धरोहरों के बीच सामंजस्य की बात हो। इस तरह के आयोजन कम से कम 15 दिन होने से यह फायदा होता है कि आगंतुक अतिथि भाव से मुक्त होकर स्थानीयता को अपने नजरिये से आंकता-देखता है।

ऐसे आयोजन देश के दो सिरों, उत्तर और दक्षिण या पूर्व-उत्तर के मिलन का प्रतीक होंगे। दो हफ्ते तक छात्र, शिक्षक, किसान, लेखक सभी क्षेत्रों के पेशेवर और संस्कृति और विरासत के विशेषज्ञ एक साथ आएं और इस साझा विरासत के सार को जीवित रखने का प्रयास करते हुए उसे प्रासंगिक बनाने के लिए प्रयास करें। जब हमें विरासत में इस तरह का जीवंत इतिहास और जुड़ाव मिला हो तो इसका संरक्षण सर्वोपरि हो जाता है।

Web Title: Blog: Experiments like Kashi-Tamil Sangamam should be done across the country

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