ब्लॉगः दलों की चंदे के रूप में अवैध कमाई पर लगेगी रोक, चुनाव आयोग ने बढ़ाया कदम

By प्रमोद भार्गव | Published: September 24, 2022 10:40 AM2022-09-24T10:40:40+5:302022-09-24T10:43:41+5:30

ख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजु को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसे सुधार करने की आवश्यकता जताई है, जिससे मनमाने चंदे पर लगाम लग सके।

Blog Election Commission's initiative to bring transparency in election donations | ब्लॉगः दलों की चंदे के रूप में अवैध कमाई पर लगेगी रोक, चुनाव आयोग ने बढ़ाया कदम

ब्लॉगः दलों की चंदे के रूप में अवैध कमाई पर लगेगी रोक, चुनाव आयोग ने बढ़ाया कदम

राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। ज्यादातर लोग इस मांग के पक्षधर हैं कि जिस तरह से मतदाताओं को अपने प्रत्याशी के चरित्र को जानने का अधिकार प्राप्त है, उसी तरह राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की यह जानकारी भी हासिल होनी चाहिए कि दल को चंदा किस माध्यम से मिला और कितना मिला? विडंबना है कि कोई भी दल इस नाते पारदर्शिता के हक में नहीं है। अतएव मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजु को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसे सुधार करने की आवश्यकता जताई है, जिससे मनमाने चंदे पर लगाम लग सके। हालांकि निर्वाचन बांड को लागू करते वक्त यह उम्मीद जगी थी कि दलों को चंदे के रूप में जो अवैध कमाई का धन मिलता है उस पर अंकुश लग जाएगा, लेकिन सभी प्रमुख दलों के चंदे के ग्राफ में उत्तरोत्तर वृद्धि होने के आंकड़े सामने आए हैं।  

चुनाव आयोग ने पत्र में कहा है कि दलों को नगद चंदे के रूप में बीस प्रतिशत या बीस करोड़ जो भी धन मिलता है, उसकी अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए। इस नाते चुनावों में कालेधन के चलन पर लगाम के लिए नामी-बेनामी नगद चंदे की सीमा बीस हजार रुपए से घटाकर मात्र दो हजार रुपए कर दी जाए। मौजूदा नियमों के मुताबिक दल आयोग को बीस हजार रुपए से अधिक चंदे की राशि का खुलासा करते हैं। चुनावी चंदे में यदि यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो दो हजार रुपए से अधिक चंदे में मिलने वाली राशि की जानकारी दलों को देनी होगी, नतीजतन एक हद तक पारदर्शिता रेखांकित होगी। इस सिलसिले में आयोग यह भी चाहता है कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी का बैंक में पृथक खाता होना चाहिए, जिसमें चुनावी खर्च का समस्त लेन-देन दर्ज हो। आयोग ने यह सिफारिश ऐसे समय की है, जब उसे 284 ऐसे दलों को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत सूची से इसलिए हटाना पड़ा, क्योंकि उन्होंने चंदे के लेन-देन से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया था।

दरअसल चुनावी चंदे को लेकर वर्तमान में जो निर्वाचन बांड की व्यवस्था है, उसके चलते गुमनाम चंदा लेने का संदेह हमेशा बना रहता है। अतएव इस संदेह को रिश्वत के रूप में देखा जाता है। चंदे का यह झोल चुनावी भ्रष्टाचार के हालात निर्मित कर रहा है। इसलिए राजनीति में भ्रष्टाचार पर रोक के लिए चुनावी चंदे की जड़ पर कुल्हाड़ी मारना जरूरी है। हालांकि प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा तय है, लेकिन प्रमुख दलों का कोई भी प्रत्याशी सीमा में खर्च नहीं करता, अतएव दल उद्योगपतियों और नौकरशाहों से धन वसूलने के प्रयास में भी लगे रहते हैं।
 

Web Title: Blog Election Commission's initiative to bring transparency in election donations

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