ब्लॉग: गंभीर जल संकट की चेतावनी को हल्के में न लें

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 28, 2023 11:10 AM2023-10-28T11:10:29+5:302023-10-28T11:12:12+5:30

सऊदी अरब जैसे कुछ देश पहले ही भूजल जोखिम चरम बिंदु को पार कर चुके हैं, जबकि भारत सहित अन्य देश इससे ज्यादा दूर नहीं हैं। मतलब भारत की हालत भी निकट भविष्य में सऊदी अरब जैसी हो सकती है!

Blog Do not take the warning of serious water crisis lightly | ब्लॉग: गंभीर जल संकट की चेतावनी को हल्के में न लें

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsभूमिगत जल का दोहन बेतहाशा हो रहा है साल 2025 तक कम भूजल उपलब्धता का गंभीर संकट होने का अनुमान हैभारत की हालत भी निकट भविष्य में सऊदी अरब जैसी हो सकती है

नई दिल्ली: दुनिया में बढ़ते जलसंकट को लेकर तो पिछले कई वर्षों से चर्चाएं चल रही हैं लेकिन भारत में वर्ष 2025 तक गंभीर जलसंकट पैदा होने संबंधी संयुक्त राष्ट्र की जो रिपोर्ट आई है, वह हमारे लिए निश्चित रूप से बेहद चिंताजनक है। ‘इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट 2023’ शीर्षक से संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय-पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यूएनयू-ईएचएस) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिंधु-गंगा के मैदान के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के खतरनाक बिंदु को पार कर चुके हैं और पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में साल 2025 तक कम भूजल उपलब्धता का गंभीर संकट होने का अनुमान है।

रिपोर्ट कहती है कि सऊदी अरब जैसे कुछ देश पहले ही भूजल जोखिम चरम बिंदु को पार कर चुके हैं, जबकि भारत सहित अन्य देश इससे ज्यादा दूर नहीं हैं। मतलब भारत की हालत भी निकट भविष्य में सऊदी अरब जैसी हो सकती है! हो सकता है अभी कुछ लोगों को यह बात अतिशयोक्तिपूर्ण लगे लेकिन साल-दर-साल जिस तेजी से जल संकट गहरा रहा है, उससे कुछ वर्षों में वास्तव में ऐसी हालत होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

भूमिगत जल का दोहन तो बेतहाशा हो रहा है लेकिन बारिश के जल को संजोने के प्रयास उतने नहीं हुए हैं कि भूजल स्तर को बरकरार रखा जा सके। जिन कुओं का पानी कभी नहीं सूखता था, उनके भी सूखने या उनका जल स्तर हर साल और अधिक नीचे जाने का अनुभव देश के प्राय: सभी हिस्सों के लोग कर रहे हैं। बारिश के मौसम में भले ही कुछ राहत मिल जाए लेकिन बाकी दिनों में तो देश के कई हिस्सों में जलस्तर इतना नीचे चला जाता है कि बोरवेल भी काम नहीं कर पाते। केवल पानी ही नहीं दरअसल प्रकृति प्रदत्त सभी संसाधनों (मिट्टी, वन, खनिज, पेट्रोलियम आदि) का हमने इतनी लापरवाही के साथ दोहन किया है कि उससे पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ ही कई तरह की आपदाओं की आहट सुनाई देने लगी है।

कई जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं, कहीं नदियां सूख रही हैं तो बाढ़ और अकाल की तीव्रता पहले से कहीं भीषण होती जा रही है। जहां तक जलसंकट की बात है तो नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार भारत के 60 करोड़ से अधिक लोग गंभीर जलसंकट का सामना कर रहे हैं। हालांकि सरकार इस बारे में कदम उठा रही है और जल की उपलब्धता, संरक्षण तथा गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से 2019 में ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया गया है। लेकिन पानी की बर्बादी रोकने और वर्षा जल संचय के उपायों का असर जमीनी स्तर पर भी दिखना आवश्यक है। इसके लिए सरकार के प्रयासों के साथ-साथ जनजागरूकता भी बेहद जरूरी है।

Web Title: Blog Do not take the warning of serious water crisis lightly

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