ब्लॉग: बारिश में धराशायी होते स्मार्ट सिटी के दावे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 19, 2023 01:45 PM2023-07-19T13:45:25+5:302023-07-19T13:45:25+5:30
दिल्ली का जो मंजर बीते सप्ताह बल्कि पखवाड़े में दिखा उसने हर किसी को डराकर रख दिया. अव्यवस्थाओं की इतनी सारी पोल खुली जिसने पूरे देश को झकझोर दिया.
ऋतुपर्ण दवे
देशवासियों ने एक सपना देखा था, बल्कि कहें कि दिखाया गया था. एक स्मार्ट सिटी होगी उसमें सब कुछ स्मार्ट होगा. 25 जून 2015 को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की स्मार्ट सिटीज मिशन की पहल की शुरुआत की गई थी. यह 100 शहरों के बुनियादी ढांचों में सुधार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की मुहिम थी. मिशन के लिए हजारों करोड़ रुपए की फंडिंग भी की गई.
इसमें आईटी कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस के तहत ई-पंचायत, ई-चौपाल, इसी तरह बुनियादी ढांचे के तहत अच्छे और साफ पानी की आपूर्ति, सभी के लिए बिजली, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, शहरी गतिशीलता, पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन, आवास जैसी किफायती जीवन स्थितियां और सतत पर्यावरण जैसे जरूरी विषयों को शामिल किया गया.
लेकिन योजना को लागू हुए 9 बरस हो चुके है. सपने और हकीकत का अंतर अब साफ झलकने लगा है. हाल की बारिश ने जिस तरह से बड़े से बड़े शहरों की पोल खोलकर रख दी है उससे तो यही लगता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में हमारी बुनियाद ही बहुत कमजोर है. केवल दिल्ली को ही एक आदर्श के रूप में रखें तो भी डर लगता है.
राष्ट्रीय राजधानी का जो मंजर बीते सप्ताह बल्कि पखवाड़े में दिखा उसने हर किसी को डराकर रख दिया. 41 वर्षों में महज 24 घंटों में ही 200 मिलीमीटर बारिश का नया रिकॉर्ड तो बना लेकिन अव्यवस्थाओं की इतनी सारी पोल खुली जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. राष्ट्रीय राजधानी के मुख्य स्थानों, इंडिया गेट के आसपास की सड़कों के मंजर से रूह कांप गई. मानसून से पहले नालों की सफाई पर 10 करोड़ रुपए खर्च हुए. जलभराव से बचाने के खासे इंतजाम के दावे हुए जो 9-10 जुलाई की बारिश में धराशायी हो गए. हालात बद से बदतर हो गए.
जब पूरे देश में स्मार्ट सिटी को लेकर दावों-प्रतिदावों का दौर चल रहा हो, ऐसे में यदि देश की राजधानी में ही संसाधनों की जबरदस्त कमी दिखे और जिम्मेदार लोग राजनीतिक बयान दें तो फिर दूसरों को उदाहरण बनाना बेमानी सा लगता है.