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ब्लॉग: कनाडा को लगानी होगी खालिस्तानियों पर लगाम

By अवधेश कुमार | Updated: September 22, 2023 15:17 IST

इस समय भारत कनाडा का व्यापार 8 अरब डॉलर के आसपास है और इसमें कनाडा का भारत को निर्यात करीब 4.3 अरब डॉलर है। तो व्यापार वार्ता रोकने से क्षति उसे भी होगी।

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ठळक मुद्देभारत-कनाडा संबंधों का सामान्य होना आसान नहीं होगाकनाडा की आबादी में 9 लाख 42 हजार सिख हैंउनमें मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थक होंगे

The India-Canada standoff: कनाडा-भारत तनाव उस अवस्था में पहुंच गया है जहां से संबंधों का सामान्य होना आसान नहीं होगा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार की हरकतों से भारत के पास जैसे को तैसा का आक्रामक प्रत्युत्तर देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

1990 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद की चरम अवस्था में पाकिस्तान के बाद सबसे ज्यादा गतिविधियां कनाडा में ही थीं। 1985 में टोरंटो से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान कनिष्क विस्फोट में खत्म हो गया और सवार 329 में से कोई नहीं बचा। कनाडा में दिखावटी जांच की लंबी प्रक्रिया चलाई गई लेकिन सच सामने नहीं आया। 2005 में दो सिख अलगाववादियों को रिहा भी कर दिया गया।

2005 में रिहा हुए मुख्य सरगना माने जाने वाले रिपुदमन सिंह मलिक को जुलाई 2022 में गोली मार दी गई थी। पिछले दिनों सिख अलगाववादियों ने कनाडा की राजधानी टोरंटो में भारत को चिढ़ाने वाला जुलूस निकाला जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या को सही ठहराते हुए हत्यारे को महिमामंडित किया गया। 2015 में जब ट्रूडो प्रधानमंत्री बने तो उनके मंत्रिमंडल में जगमीत सिंह भी था, जो खालिस्तान की रैलियां में शामिल होता है।

ट्रूडो और उनकी सरकार से पूछा जाना चाहिए कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के कोई मायने हैं या नहीं? सरेआम भारत को तोड़ने की बात करना, हिंसा के लिए उकसाना कनाडा के कानून में अपराध है या नहीं? कोई देश भारत की एकता, अखंडता को चुनौती देने वाले को सम्मानित नागरिक कहकर संरक्षण देता है तो उसे प्रत्युत्तर देने में हम सक्षम हैं। भारत की नीति साफ है, जो देश को तोड़ने के लिए काम करेगा, हिंसा करेगा उससे दुश्मन व आतंकवादी की तरह ही निपटा जाएगा। क्या कनाडा सरकार को पता नहीं था कि निज्जर पर 10 लाख रुपए का इनाम था? उसी के संगठन ने 31 अगस्त, 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी।

कनाडा की आबादी में 9 लाख 42 हजार यानी 2.7 प्रतिशत सिख समुदाय के लोग हैं। उनमें मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थक होंगे। इस समय भारत कनाडा का व्यापार 8 अरब डॉलर के आसपास है और इसमें कनाडा का भारत को निर्यात करीब 4.3 अरब डॉलर है। तो व्यापार वार्ता रोकने से क्षति उसे भी होगी। कनाडा की करीब 600 कंपनियां भारत में कार्यरत हैं। हजारों छात्र वहां पढ़ने जाते हैं। कनाडा को इससे करोड़ों का लाभ है। करीब 4 करोड़ की आबादी वाले देश को 140 करोड़ आबादी के देश से ज्यादा क्षति होगी। भारत ट्रूडो के उत्तेजक व्यवहार की तरह इन कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर सकता। भारत का पक्ष स्पष्ट है, कनाडा को भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को रोकना होगा और प्रश्रय देना भी।

टॅग्स :कनाडाभारतजस्टिन ट्रूडो
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