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नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ होना बड़ी सफलता

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: November 11, 2022 13:36 IST

विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, नितिन और चेतन संदेसरा, ललित मोदी और यूरोपियन बिचौलिए गुईडो राल्फ हाश्चके और कार्लो गेरोसा उन 58 आर्थिक भगोड़ों में शामिल हैं जो विदेश में रह रहे हैं और उन्हें देश वापस लाने के लिए सरकार प्रयासरत है।

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ठळक मुद्देभारत के लिए भगोड़े अपराधियों को दूसरे देश से पकड़ कर लाना हमेशा मुश्किल भरा रहा है।भारत ने 40 से ज्यादा देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।कभी प्रत्यर्पण संधि तो कभी मानवाधिकारों की आड़ लेकर ये भगोड़े अपनी जान बचाते रहते हैं।

ब्रिटेन की एक अदालत ने 11,500 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की अपील खारिज कर दी। इसके साथ ही उसके भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। नीरव मोदी ने अपनी बिगड़ती मानसिक स्थिति का हवाला देकर उसे भारत नहीं भेजने का आग्रह किया था लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। नीरव मोदी पर पीएनबी घोटाले के साथ मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। 

इन दोनों घोटालों की जांच कर रही भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी की यह एक बड़ी सफलता है। नीरव ने अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके बैंक मैनेजमेंट को धोखा दिया था। और फिर प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने अपनी खराब मानसिक हालत का हवाला दिया। भले ही नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की राह लंबी है, कई औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, उसके पास कुछ कानूनी विकल्प अब भी मौजूद हैं, फिर भी सरकार के प्रयासों की सराहना करनी होगी। घोटाले करके देश छोड़कर भागने वाले ऐसे भगोड़ों को वापस लाना बेहद मुश्किल काम होता है। 

विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, नितिन और चेतन संदेसरा, ललित मोदी और यूरोपियन बिचौलिए गुईडो राल्फ हाश्चके और कार्लो गेरोसा उन 58 आर्थिक भगोड़ों में शामिल हैं जो विदेश में रह रहे हैं और उन्हें देश वापस लाने के लिए सरकार प्रयासरत है। भारत के लिए भगोड़े अपराधियों को दूसरे देश से पकड़ कर लाना हमेशा मुश्किल भरा रहा है। भारत ने 40 से ज्यादा देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। कभी प्रत्यर्पण संधि तो कभी मानवाधिकारों की आड़ लेकर ये भगोड़े अपनी जान बचाते रहते हैं। कागजी कार्रवाई में देरी से भी प्रत्यर्पण टल जाता है। 

हालांकि यदि आरोपी आतंकी या हत्या जैसे संगीन आरोपों से जुड़ा हो तो प्रत्यर्पण जल्दी हो जाता है, लेकिन आर्थिक अपराधों वाले आरोपियों के लिए विदेशों के कानून प्रत्यर्पण में रोड़ा अटकाते हैं। हर साल भारत कई अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए दूसरे देशों से संपर्क करता है और कई लोगों को भारत वापस लाकर अदालत के सामने पेश किया जाता है। 

सरकारी जानकारी के अनुसार भारत ने 1992 से 2016 के बीच यूके से कम-से-कम 23 प्रत्यर्पण अनुरोध किए हैं। इसमें से सिर्फ एक का ही प्रत्यर्पण हो सका है। भारत सरकार को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली थी जब 2005 में डी कंपनी के डॉन अबु सलेम को भारत वापस लाया गया। सलेम का प्रत्यर्पण पुर्तगाल सरकार ने किया। अंडरवर्ल्ड की दुनिया के दूसरे बड़े अपराधी छोटा राजन को 2015 में भारत लाया गया। 

अगस्ता वेस्टलैंड केस में सबसे बड़े बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के साथ एक अन्य आरोपी राजीव सक्सेना को भी भारत लाया गया है। और अब नीरव मोदी के मामले में सरकार और उसकी जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा त्वरित और पुख्ता कार्रवाई की सराहना की जानी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय बैंकों को चूना लगाने वाले विजय माल्या के प्रत्यर्पण में भी सरकार को जल्दी ही सफलता मिलेगी।

टॅग्स :नीरव मोदीपीएनबी स्कैम
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