लाइव न्यूज़ :

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण से ही रुक सकता है नुकसान

By भरत झुनझुनवाला | Updated: February 23, 2020 18:06 IST

सरकारी दायरे में रखने से इनके द्वारा अर्जित घाटे की भरपाई जनता की गाढ़ी कमाई से की जाती है. इनके निजीकरण से जनता को राहत मिलेगी.साथ-साथ सरकार ने दो जल विद्युत कंपनियों को नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को बेचने का निर्णय लिया है.

Open in App

स रकार ने भारत पेट्रोलियम, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और कोनकोर नाम की तीन सार्वजनिक इकाइयों का निजीकरण करने का निर्णय लिया है. निजीकरण के अंतर्गत इन इकाइयों के सरकार के पास जो शेयर हैं, उन्हें किसी विशेष निजी खरीददार को एकमुश्त बेच दिया जाएगा. इस बिक्री के बाद खरीददार के हाथ में इन इकाइयों का नियंत्नण स्थानांतरित हो जाएगा. इस कदम का स्वागत करना चाहिए क्योंकि सरकारी इकाइयों द्वारा जनहित नहीं बल्किजनता की हानि की जाती है. ये अकुशल हैं अत: इन्हें

सरकारी दायरे में रखने से इनके द्वारा अर्जित घाटे की भरपाई जनता की गाढ़ी कमाई से की जाती है. इनके निजीकरण से जनता को राहत मिलेगी.साथ-साथ सरकार ने दो जल विद्युत कंपनियों को नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को बेचने का निर्णय लिया है. इन दोनों सरकारी कंपनियों को तीसरी सरकारी विद्युत कंपनी को बेचा जाएगा. ये दो कंपनियां हैं नार्थ ईस्ट इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी (नीपको) जो कि पूर्वोत्तर राज्यों में जल विद्युत बनती है और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) जो उत्तराखंड में जल विद्युत बनाती है.

इन दोनों इकाइयों के सरकारी शेयरों को तीसरी सरकारी इकाई एनटीपीसी को बेच दिया जाएगा.यह घुमावदार नियंत्नण अनुचित है क्योंकि इन इकाइयों द्वारा जनता का शोषण किया जा रहा है. टीएचडीसी द्वारा उत्पादित बिजली को विभिन्न राज्यों को 11 रु पए प्रति यूनिट में बेचा जा रहा है. यह बिजली आज इंडिया एनर्जी एक्सचेंज में 3 रुपए में उपलब्ध है. और गंभीर बात यह है कि इस अनुचित लाभ का निवेश टीएचडीसी द्वारा एक और जल विद्युत परियोजना को बनाने में लगाया जा रहा है जो पुन: महंगी बिजली बनाकर हानि करेगी.

टीएचडीसी और नीपको के शेयरों की बिक्री अपनी ही दूसरी इकाई को करने का उद्देश्य सिर्फ यह दीखता है कि सरकार अपने निवेश की उगाही कर सके. एनटीपीसी ने कुछ लाभ कमा रखे हैं. उस रकम का उपयोग वह टीएचडीसी और नीपको को खरीदने में लगाएगा और वह रकम केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएगी. सरकार के दोनों हाथ में लड्डू हैं. शेयर के मूल्य मिल जाएंगे और नियंत्नण भी सचिव महोदय के हाथ में ही रहेगा. इस प्रकार इन कंपनियों द्वारा जनता को महंगी बिजली बेचने का क्रम जारी रहेगा. सरकार को चाहिए कि वह समस्त सार्वजनिक इकाइयों का सामाजिक आकलन अथवा सोशल ऑडिट कराए कि इनके द्वारा जनहित वास्तव में हासिल हो रहा है या नहीं. इन्हें सरकारी नियंत्नण से मुक्त कर इनका पूर्ण निजीकरण कर दें जिससे बाजार के आधार पर इनके कार्यकलाप का संचालन हो.

 

टॅग्स :लोकमत समाचारनरेंद्र मोदी
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वविदेशी धरती पर पीएम मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, यह अवार्ड पाने वाले बने विश्व के पहले नेता

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी

भारतभाजपा को मां के समान मानते?, बिहार प्रमुख संजय सरावगी बोले-आगे बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी से काम करेंगे

विश्वखुद ड्राइव कर प्रधानमंत्री मोदी को जॉर्डन संग्रहालय ले गए प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय, वीडियो

भारतसुशासन दिवस पर पीएम मोदी करेंगे राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण, 232 करोड़ रूपए खर्च कर 65 एकड़ में बनाया गया राष्ट्र प्रेरणा स्थल

भारत अधिक खबरें

भारतLokmat Parliamentary Awards 2025 : आरपीआई प्रमुख रामदास आठवले ने कहा- मैं जिनके साथ रहता हूं उन्हें सत्ता मिलती है

भारतLokmat National Conclave 2025: 'विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अस्तित्व देश के आम नागरिकों के अधिकार, न्याय को सुनिश्चित करना है', पूर्व सीजेआई बीआर गवई बोले

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 राज्यसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, सुधा मूर्ति, डोला सेन, संजय सिंह और दिग्विजय सिंह

भारतInsurance: संसद में 'सबका बीमा सबकी रक्षा' विधेयक पारित, जानिए क्या है ये बीमा और कैसे मिलेगा लाभ

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 लोकसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, इकरा चौधरी, संगीता सिंह, जगदंबिका पाल और टी.आर. बालू