भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: जनसंख्या का लाभ उठाने का हम गंवा रहे अवसर
By भरत झुनझुनवाला | Published: November 10, 2019 07:16 AM2019-11-10T07:16:35+5:302019-11-10T07:16:35+5:30
यदि आज के कर्मी उत्पादक कार्यो में लग सकें या उन्हें रोजगार मिले, अर्थात ये खेती करें या नौकरी करें तो वे देश की आय में या जीडीपी को बढ़ने में सहयोग करेंगे और देश की आय बढ़ेगी. उनके परिवार की भी आय बढ़ेगी. यदि आज के कर्मियों को रोजगार नहीं मिलेगा तो परिस्थिति पूरी तरह पलट जाएगी.
पंद्रह से पैंसठ वर्ष की आयु के लोगों को ‘उत्पादक’ अथवा ‘कर्मी’ माना जाता है. ये किसी न किसी रूप में उत्पादन करके अपना जीवनयापन करते हैं. इसके इतर पंद्रह वर्ष से छोटे बच्चे और पैंसठ वर्ष से बड़े वृद्ध लोगों को ‘अवलंबित’ माना जाता है. इन्हें ‘अनुत्पादक’ माना जाता है. ये कर्मियों पर अवलंबित होते हैं.
कर्मियों और अवलंबित लोगों के अनुपात को ‘अवलंबन अनुपात’ कहा जाता है. जैसे यदि अवलंबित जनसंख्या 100 हो और कर्मी 200 हों तो अनुपात 0.5 होगा. इसके विपरीत यदि अवलंबित जनसंख्या 200 हो और कर्मी 100 हों तो अनुपात 2.0 होगा.
अवलंबन अनुपात न्यून होने का अर्थ है कि कर्मियों को अवलंबियों पर कम खर्च करना होता है जिस कारण उनके पास अन्य कार्य जैसे बच्चों की शिक्षा अथवा शेयर बाजार और प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए रकम उपलब्ध हो जाती है. इसके विपरीत अवलंबन अनुपात ऊंचा होने का अर्थ है कि कर्मियों को अवलंबियों पर अधिक खर्च करना होता है और अन्य कार्यो के लिए उनके पास रकम नहीं बचती है.
स्वतंत्नता के बाद मेडिकल साइंस में सुधार हुआ. अपने देश में बाल मृत्यु दर में भारी गिरावट आई. आने वाले समय में परिस्थिति पुन: पलट जाएगी. कर्मियों की संख्या घटेगी क्योंकि आज के कर्मी कम संख्या में बच्चे पैदा कर रहे हैं. फिर भी अवलंबियों की संख्या में वृद्धि होगी क्योंकि आज के कर्मी पैंसठ वर्ष से बड़े होकर बड़ी संख्या में वृद्ध हो जाएंगे.
कर्मियों पर वृद्धों का बोझ बढ़ेगा और अवलंबन अनुपात पुन: बढ़ जाएगा. इससे स्पष्ट है कि आज से पहले अवलंबन अनुपात अधिक था क्योंकि बच्चों की संख्या अधिक थी. वर्तमान में अवलंबन अनुपात कम है क्योंकि बच्चों की संख्या कम है. और भविष्य में अवलंबन अनुपात फिर से बढ़ जाएगा क्योंकि वृद्धों की संख्या बढ़ जाएगी. यानी अवलंबन अनुपात एक लहर की तरह चलता है. पहले बच्चों की संख्या बढ़ी और लहर पैदा हुई. उसके बाद कर्मियों की संख्या बढ़ी और लहर आगे चली. इसके बाद वृद्धों की संख्या बढ़ी तब लहर और आगे चली और समाप्त हो गई.
इन तीनों में बीच का समय काल हमारे लिए विशेषकर लाभप्रद है. वर्तमान में कर्मियों की संख्या अधिक और बच्चों और वृद्धों की संख्या तुलना में कम है. इस विशेष समय का हम यदि सदुपयोग कर लें तो देश को भारी लाभ होगा.
यदि आज के कर्मी उत्पादक कार्यो में लग सकें या उन्हें रोजगार मिले, अर्थात ये खेती करें या नौकरी करें तो वे देश की आय में या जीडीपी को बढ़ने में सहयोग करेंगे और देश की आय बढ़ेगी. उनके परिवार की भी आय बढ़ेगी. यदि आज के कर्मियों को रोजगार नहीं मिलेगा तो परिस्थिति पूरी तरह पलट जाएगी. अत: वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन के लिए हमें जीडीपी या आय का मापदंड लागू करने के स्थान पर रोजगार का मापदंड लागू करना चाहिए.