भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: भूमिगत पानी के संरक्षण को प्रोत्साहित करें
By भरत झुनझुनवाला | Published: December 30, 2019 03:06 PM2019-12-30T15:06:58+5:302019-12-30T15:06:58+5:30
कर्नाटक में अंगूर, महाराष्ट्र में केला, राजस्थान में लाल मिर्च, उत्तर प्रदेश में मेंथा और गन्ना इत्यादि फसलों को उपजाया जा रहा है.
सरकार ने योजना बनाई है कि किसानों द्वारा जल के उपयोग में सुधार करने के लिए उन्हें संगठित किया जाएगा. जिन पंचायतों द्वारा पानी का सदुपयोग किया जाएगा, उन्हें विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा. उन्हें अधिक रकम आवंटित की जाएगी. वर्तमान में किसानों द्वारा जल की अधिक खपत करने वाली फसलें भारी मात्ना में उपजाई जा रही हैं.
कर्नाटक में अंगूर, महाराष्ट्र में केला, राजस्थान में लाल मिर्च, उत्तर प्रदेश में मेंथा और गन्ना इत्यादि फसलों को उपजाया जा रहा है. इन फसलों को उपजाकर भूमिगत जल का अति दोहन किया जा रहा है. सरकार को साधुवाद है कि योजना बनाई है कि किसानों को समझाया जाए कि वे इस प्रकार की फसलों का उत्पादन न करें और भूमिगत जल को संरक्षित करें जिससे दीर्घ काल तक देश की खेती और उनकी स्वयं की आर्थिकी सुरक्षित रहे.
यह सोच सही दिशा में है परंतु मेरा मानना है कि केवल चर्चा से यह काम हासिल होना कठिन है. किसान को तय करना होता है कि वह आज मिर्च की खेती करके 10 हजार का लाभ कमाएगा अथवा बाजरा की खेती करके 2000 का. ऐसे में उससे कहना कि मिर्च उगाने से भूमिगत जल का उपयोग अधिक होगा इसलिए वह मिर्च न उगाए, सही होते हुए भी इस बात का अनुपालन कठिन होगा.
इस समस्या का सही उपाय है कि किसानों से पानी का मूल्य वसूल किया जाए-पानी चाहे नहर के माध्यम से उपलब्ध हो रहा हो अथवा ट्यूबवेल के माध्यम से. ऐसा करने से मिर्च जैसी फसलों को उपजाने की लागत बढ़ जाएगी और बाजरे की खेती लाभप्रद हो जाएगी.
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने बताया है कि बरसात के पानी को भूमिगत तालाबों में डालने के लिए विशेष प्रकार के रिचार्ज कुएं बनाए जा सकते हैं. इन कुओं को बनाने के लिए बोर्ड ने 70 हजार करोड़ की एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. लेकिन सरकार ने रकम उपलब्ध नहीं कराई है. इसके विपरीत विशाल झीलों को बनाने के लिए सरकार उतनी ही रकम उपलब्ध कराने को तैयार है.
अत: सरकार को चाहिए कि इन परियोजनाओं पर इस विशाल रकम को व्यय करने के स्थान पर इस रकम को भूमिगत जल के पुनर्भरण के लिए रिचार्ज कुएं बनाने पर व्यय करे जिससे कि बरसात का पानी भूमिगत तालाबों में रखा जाए. बताते चलें कि भूमिगत तालाबों में पानी रखने से उसका वाष्पीकरण नहीं होता है और उसे खेत तक ले जाने में नहर से रिसाव भी नहीं होता है. अत: भूमिगत तालाबों में पानी का संरक्षण करना ज्यादा उपयुक्त है.