अवधेश कुमार का ब्लॉग: एनआरसी पर हंगामा ठीक नहीं
By अवधेश कुमार | Published: September 5, 2019 01:11 PM2019-09-05T13:11:30+5:302019-09-05T13:11:30+5:30
2018 तक 3 साल में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता साबित करने के लिए 6.5 करोड़ दस्तावेज भेजे. इसमें 62 हजार कर्मचारी 4 साल से लगे थे. पहली सूची 2017 और दूसरी 2018 में प्रकाशित हुई थी.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी होने के बाद जिस तरह का हंगामा मचा है वह स्वाभाविक है. इसके पहले जब जुलाई 2018 में मसौदा जारी हुआ था तब भी हमने ऐसे ही दृश्य देखे थे. जाहिर है, जो बाहर हुए हैं वे परेशान हैं. उनके समर्थन में राजनीतिक दलों के नेता और एक्टिविस्ट आ गए हैं.
दूसरी ओर विदेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए आंदोलन करने वाले संगठनों में से एक ऑल असम स्टूडेंट यूनियन आसू सहित कई संगठनों ने असंतोष व्यक्त किया है कि सूची में बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम भारी संख्या में आ गए हैं.
असम के मुख्यमंत्नी सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि गलत ढंग से सूची में शामिल हुए विदेशी लोगों और बाहर हुए भारतीयों को लेकर केंद्र सरकार कोई विधेयक भी ला सकती है. हालांकि सरकार की ओर से यह कदम एनआरसी के प्रकाशन के बाद ही उठाया जाएगा. इसका अर्थ हुआ कि भले उच्चतम न्यायालय द्वारा समय सीमा आगे न बढ़ाने के कारण 31 अगस्त को एनआरसी जारी कर दी गई, पर अभी इसे अंतिम नहीं माना जा सकता.
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भारतीय महापंजीयक की देखरेख में यह व्यापक अभियान चला था. असम में एनआरसी कार्यालय 2013 में बना था पर काम 2015 से शुरू हुआ. 2018 तक 3 साल में राज्य के 3.29 करोड़ लोगों ने नागरिकता साबित करने के लिए 6.5 करोड़ दस्तावेज भेजे. इसमें 62 हजार कर्मचारी 4 साल से लगे थे. पहली सूची 2017 और दूसरी 2018 में प्रकाशित हुई थी. एक-एक व्यक्ति की पहचान कितना जटिल था इसका अंदाजा भी हमें होना चाहिए.
एनआरसी से बाहर किए गए लोग शेड्यूल ऑफ सिटिजनशिप के सेक्शन 8 के मुताबिक तय समय सीमा के अंदर विदेशी न्यायाधिकरण के सामने अपील कर सकेंगे. इसके लिए सरकार ने 120 दिनों की पर्याप्त समय सीमा तय कर दी है. असम सरकार का कहना है कि वह वैसे सारे लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराएगी जिनके पास क्षमता नहीं है. न्यायाधिकरण की संख्या भी 100 से बढ़ाकर 300 कर दी गई है. जिनको न्यायाधिकरण नागरिक नहीं मानेगा वे उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय जा सकते हैं.
हालांकि जब तक उनके मामले का अंतिम निपटारा नहीं होता तब तक सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी. हम जानते हैं कि सभी लोगों के लिए इस सीमा तक कानूनी लड़ाई संभव नहीं होगा. उनकी मदद सरकार को करनी होगी. भाजपा सहित सारी पार्टियाें के कार्यकर्ताओं को इसके लिए सक्रि य होना चाहिए कि कोई वास्तविक असमी अन्याय का शिकार न हो. साथ ही कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया लाभ न उठा सके.